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भारतीय संस्कृति में अभिवादन के लिए एक सहज मीठा शब्द है राम-राम

बून्दी.krishnakantRathore-यो तो जब दो परिचित आपस में मिलते हैं तो अभिवादन के लिए नमस्ते नमस्कार हाय हेलो कहते हैं। लेकिन इन शब्दों में अपनेपन वाला  लगाव महसूस  नहीं होता।यह मात्र औपचारिकता भर लगते हैं ।सनातनी धर्म वाली हमारी संस्कृति में अभिवादन के लिए एक सहज मीठा शब्द है राम-राम। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के गुणों से प्रभावित हो हमारे बुजुर्गों ने वषों पूर्व अभिवादन के लिए राम-राम शब्द का बोलचाल की भाषा में उपयोग करना प्रारंभ किया था।
देश के ग्रामीण अंचल में आज भी बड़ी श्रद्धा से अभिवादन हेतु लोगों में राम-राम ही बोलने का प्रचलन  है ।गांव में घर के बाहर चबूतरे पर बैठे बुजुर्गों से राह गुजरते लोग राम-राम शब्द का  आशीर्वाद लिए आगे बढ़ते हैं। बुजुर्ग भी खुश हो जाते हैं कि राम-राम के माध्यम से लोग उन्हें सम्मान दे रहे हैं।
राम-राम शब्द में केवल अभिवादन का महत्व ही नहीं है छिपा है इसमें  तो कुशलक्षेम पूछने एवं मंगल कामना का भाव भी छिपा होता है ।दिवाली पर जब पोस्टकार्ड का प्रचलन अधिक था उस समय कई लोग महंगे कार्ड न खरीद पोस्टकार्ड पर ही दिवाली की राम-राम लिखकर  खुशहाली एवं मंगल कामना की भावना को अभिव्यक्त करते थे।
इतना ही नहीं मॉर्निंग इवनिंग वॉक के समय मिलने वाले कई अनजान व्यक्ति भी आपसे राम राम कह अपना सहज भाव का परिचय दे देते हैं। और जब आप भी जवाब में राम-राम कहते हैं तो वह भी अपने मन से एक संतुष्टि का भाव लिए प्रसन्न हो जाते हैं ।
सच है आज भी देश की सनातनी परंपरा के अभिवादन में राम-राम शब्द की अभिव्यक्ति बहुत गौरवान्वित करती है ।मेल मिलाप वाले मीठे त्योहार दिवाली के दूसरे दिन आज भी कई लोग आपस में दिवाली की राम-राम कह मिलते जुलते हैं ।
एक दूसरे के घरों में जाकर भी ‌ त्योहारी मिलन का आनंद राम-राम से ही करते हैं ।राम राम शब्द के बोल सुख ,आनंद,    व शांति का भाव सहज ही जगा जाते हैं। इसलिए आज भी दिल से लोग एक दूसरे से कहते हैं राम राम जी राम राम।

द्वारा – दिनेश विजयवर्गीय,215 / 4, रजत कॉलोनी,बूंदी