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लगातार पांचवें दिन कोहरे की जद में रहा बून्दी पाले से बचाव के लिए एडवाइजरी जारी

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- प्रदेश सहित जिले में येलो अलर्ट के चलते भीषण सर्दी का दौर जारी रहा। भीषण सर्दी से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। इंसान सहित पशु पक्षी सर्दी से पर प्रभावित नजर आ रहे हैं। हालत यह है कि दोपहर तक सूर्य देव के दर्शन नही हो रहे हैं। भीषण शीत लहर लोगों पर थर्ड डिग्री टॉर्चर करती नजर आ रही है जिसके चलते सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।

भीषण शीतलहर के चलते लोग अपने आप को अलाव जलाकर सर्दी से बचाव करते दिखाई दिए। वही मौसम विभाग द्वारा एक-दो दिन में और अधिक सर्दी बढ़ने व अगले सप्ताह में मावठ की संभावना जताई गई है। शीतलहर के कारण तापमान में भी गिरावट दर्ज होगी। गुरूवार को जिले का न्यूनतम तापमान 9 डिग्री तथा अधिकतम तापमान 19 डिग्री दर्ज किया गया। हालांकि न्यूनतम तापमान पिछले दिन के मुकाबले 2 डिग्री अधिक रहा लेकिन अधिकतम तापमान में 3 डिग्री की गिरावट देखी गई।
दरअसल, आमतौर पर आधा दिसंबर बीतने के बाद कड़ाके की ठंड शुरू हो जाती है। इस बार मौसम चक्र पूरी तरह से बिगड़ा रहा। दिसंबर के तीसरे व चौथे सप्ताह पडने वाली ठंड इस बार जनवरी की शुरुआत में शुरू हुई है। तापमान में और गिरावट हुई तो पाला पडने की संभावना रहेगी, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है।
फसलों के पाले से बचाव के लिए जारी की एडवाइजरी
कृषि विज्ञान केन्द्र के समन्वयक डॉ. हरीश कुमार वर्मा ने बताया कि सामान्यतः न्यूनतम तापमान 4 डिग्री के नीचे आने पर फसलों में पाला गिरने की संभावना रहती है, लेकिन रात को हवा चलने और बारिश नहीं होने के कारण पाले की स्थिति नहीं बनी थीं। वर्मा ने बताया कि वायुमण्डलीय दशाओं को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि पाला गिरने वाला है या नहीं। जब विशेष ठण्ड हो, दिन भर ठण्डी व तेज हवा चले और शाम को हवा चलना रूक जाये, रात्रि में आकाश साफ हो और वायुमण्डल में नमी की मात्रा कम हो। ऐसी परिस्थितियां उस रात में पाला गिरने की संभावना को बढा देती हैं। पाला रात में विशेषतया 12 से 4 बजे के बीच पड़ता है। ऐसे में भी किसानो को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। ऐसे में निम्न उपाय कर फसलों को पाले की स्थिति से बचाया जा सकता है।
धुंआ करना – पाला पड़ने का पूर्वानुमान होने पर खेत की उत्तरी दिशा में अर्धरात्रि में सूखी घास-फूस, सूखी टहनियां, पुआल आदि को आग लगाकर धुंआ कर फसलों को पाले से बचाया जा सकता है। धुंआ करने से खेत में गर्मी बनी रहती है तथा फसलो के पौधों के चारों और तापमान में गिरावट नहीं आती है। आग इस प्रकार ढेरियां बना कर लगाए कि खेत में फसल के ऊपर धुएं की एक पतली परत बन सके। जितना अधिक खेत में धुंआ फैलेगा, तापमान उतना अधिक बना रहेगा। अधिक धुंआ उत्पन्न करने के लिए घास-फूस, सूखी टहनियां, पुआल आदि के साथ इंजन के जले हुवे तेल का भी प्रयोग कर सकते है।
सिंचाई करना – पाले का पूर्वानुमान होने पर खेत में हल्की सिंचाई देने से भूमि गर्म व नम बनी रहती है। सिंचाई देने से भूमि का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। किसानों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा हो तो फव्वारा द्वारा सिंचाई करना लाभदायक रहता है।
गंधक के तेजाब का छिड़काव – जिस दिन पाला गिरने की सम्भावना हो तो फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर बनाकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव करें। गंधक के तेजाब का असर दो सप्ताह तक रहता है। गंधक के तेजाब का छिड़काव करने के लिए केवल प्लास्टिक स्प्रेयर का ही उपयोग करना चाहिए। छिड़काव करते समय ध्यान रखें की पुरे पौधे पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। यदि पाला गिरने की सम्भावना हो तो 15 दिन के अन्तराल पर पुनः छिड़काव करें।
पौधशाला के पौधों का पाले से बचाव – पौधशाला में पौधे छोटी अवस्था में होते है ,जिसके कारण कम तापमान के प्रति अधिक संवेदनशील होते है। इस कारण से नर्सरी में पाले से अधिक नुकसान होता है। नर्सरी के पौधों को पाला से बचाने के लिए पौधों को रात्रि के समय बोरी के टाट या घास-फुस से ढ़क देवें। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे। बोरी के टाट या घास-फुस का प्रयोग दिसंबर से फरवरी तक करें। पौधशाला में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढक कर भी पाले से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। पौधशाला में छप्पर डालकर भी पौधों को बचाया जा सकता है। खेत में रोपित पौधों के थावलों के चारों ओर कड़बी या मूंज की टाटी बांधकर भी पौधों को पाले से बचाया जा सकता है।