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सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के बाद सूचना आयोगों में ऑनलाइन सुनवाइयों की कवायद- राहुल सिंह सूचना आयुक्त मप्र

सूचना के अधिकार अधिनियम के नए आयाम और हम विषय पर आयोजित हुआ 74 वां राष्ट्रीय RTI वेबिनार

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने किया कार्यक्रम की अध्यक्षता, पत्रिका समूह के वरिष्ठ संपादक राजेन्द्र गहरवार,

माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक भास्कर प्रभु और फोरम फॉर फ़ास्ट जस्टिस के ट्रस्टी प्रवीण पटेल ने भी कार्यक्रम में रखे अपने विचार
दातिया@rubarunews.com>>>>>>>>>>>>>>>>>> सूचना के अधिकार और जन जागरूकता का जो अभियान कोरोना लॉकडाउन के समय प्रारंभ हुआ उसका इस रविवार 21 नवंबर 2021 को 74 वां एपिसोड संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता पहले की भांति मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, माहिती अधिकार मंच मुंबई के संयोजक भास्कर प्रभु, फोरम फॉर फास्ट जस्टिस के ट्रस्टी प्रवीण पटेल, मध्य प्रदेश से सागर एवं सतना के पत्रिका समूह के वरिष्ठ संपादक राजेंद्र गहरवार, पत्रिका रीवा के वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह, जबलपुर हाईकोर्ट के अधिवक्ता के नित्यानंद मिश्रा सहित अन्य आरटीआई कार्यकर्ता और सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों ने शिरकत की। कार्यक्रम का विषय सूचना के अधिकार के नए आयाम और हम रहा। कार्यक्रम में राजस्थान से ताराचंद जांगिड़ एवं अन्य कार्यकर्ताओं ने भी अपने विचार रखे। मध्य प्रदेश से पत्रकार कैलाश सनोलिया ने भी अपने विचार साझा किए।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के बाद सूचना आयोगों में ऑनलाइन सुनवाइयों की कवायद – सूचना आयुक्त राहुल सिंह

कार्यक्रम की शुरुआत में राहुल सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार अब लगभग सभी सूचना आयोगों में ऑनलाइन सुनवाई के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई ऐसे मामले होते हैं जहां पर प्रथम अपीलीय अधिकारी अपीलों की सुनवाई तक नहीं करते हैं जिसकी वजह से सूचना आयोग में अपीलों का अंबार लगता जाता है। उन्होंने कहा की की प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा सुनवाई न करके धारा 19 का उल्लंघन किया जाता है। ऐसे ही एक मामले का हवाला देते हुए राहुल सिंह ने कहा कि अभी पिछले दिनों सतना के मामले में प्रथम अपीलीय अधिकारी ने लोक सूचना अधिकारी को 11 हज़ार पन्ने की जानकारी देने के लिए आदेशित किया था जिसकी अपील हमारे पास आई तो हमने इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में पीडीएफ में जानकारी उपलब्ध करवाने के भी आदेश दिए. इस बीच उत्तर प्रदेश से अक्षय गोस्वामी और झारखंड से एके सिंह ने भी अपने विचार साझा किए और अपनी समस्याएं बताई। वीरेंद्र कुमार ठक्कर ने एके सिंह के एक प्रश्न पर कहा कि डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी किसी भी तरह से अपीलार्थी को सम्मन अथवा वारंट जारी नहीं कर सकती है और यह गैरकानूनी है। स्थानीय भाषा को लेकर देवेंद्र होरे ने बताया कि उन्होंने मराठी भाषा में आवेदन किया तो आयोग ने कहा की हिंदी अथवा अंग्रेजी में ही आवेदन करिए। इस पर स्थानीय भाषाओं के प्रयोग को लेकर भी बातें सामने आई और बताया गया कि कैसे बहुत अधिक आवेदन सिर्फ इसलिए नहीं हो पाते कि लोग हिंदी अथवा अंग्रेजी का ज्ञान नहीं रखते हैं इसलिए आरटीआई को स्थानीय भाषा में भी लगाया जाना चाहिए।

आरटीआई के माध्यम से मेडिकल क्षेत्र में भी आये आमूलचूल परिवर्तन, मरीजों को मिल रहा लाभ – राजेन्द्र गहरवार

कार्यक्रम में पत्रिका समूह के रीवा से वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह ने भी अपने विचार साझा किए और बताया कि कैसे सूचना आयुक्त राहुल सिंह द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ सुनवाइयों के चलते अब रीवा संभाग में भी आरटीआई कानून के बारे में काफी जागरूकता आ गई है और लोग ज्यादा बृहद आरटीआई न लगाकर सिर्फ बिंदुवार आरटीआई लगाते हैं और जानकारियां हासिल कर रहे हैं। लोक सूचना अधिकारी भी अब आरटीआई को लेकर अलर्ट रहते हैं और देरी न हो इस विषय पर जोर देते हैं जिससे जुर्माने से बचा जाए. कार्यक्रम में सागर-सतना पत्रिका समूह के वरिष्ठ संपादक राजेंद्र गहरवार ने अपने कई महत्वपूर्ण अनुभव साझा किए और बताया कि पहले पत्रकारिता के माध्यम से भी बैकडोर से कुछ जानकारियां हासिल हो जाती थी परंतु अब सूत्रों द्वारा भी जानकारियां नहीं मिल पाती हैं ऐसे में आरटीआई का रोल काफी अहम हो गया है। उन्होंने सिंगरौली में और साथ में झांसी से रांची नेशनल हाईवे सड़क पर चल रहे अनंतकालीन कार्य के विषय में भी बताया की जानकारियां साझा न होने से काफी दिक्कतें सामने आ रही थी। राजेंद्र गहरवार ने कोल ब्लॉक आवंटन के विषय में बताया कि मध्य प्रदेश में 9 कोल ब्लॉक का आवंटन हुआ था जिसमें एक कंपनी विशेष को बेक डोर से तीन आवंटन कर दिए गए थे और यह सब कुछ अंडर टेबल किया गया पर जब मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो कंपनी का टेंडर निरस्त किया गया और ब्रीच आफ कांट्रैक्ट का उल्लंघन था इस प्रकार रिकवरी भी बनाई गई। राजेंद्र गहरवार ने बताया कि मेडिकल क्षेत्र में आरटीआई से काफी जानकारियां सामने आई है। इलेक्शन हो अथवा राज्यपालों की औसत उम्र अथवा उनकी बीमारी आदि के विषय में जानकारी यह सब आरटीआई से प्राप्त की गई। नागपुर में कैंसर को लेकर जानकारी रही हो अथवा बीमारियों के द्वारा मौतों का आंकड़ा या फिर डायलिसिस मशीनों की खरीद जिसमें किडनी से संबंधित मरीजों की जानकारी सामने आने से कैसे सरकार पर दबाव बढ़ा और डायलिसिस मशीनों की खरीदी की गई और किस प्रकार मेडिकल फैसिलिटी में सुधार हुआ यह सब आरटीआई से ही संभव हो पाया। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पत्रिका समूह के आर टी आई पर किये गए अहम् प्रयास की काफी सराहना की और बताया की एक समय प्रतिदिन पत्रिका में एक विशेष आर्टिकल छपता था जो अब नहीं है इस पर राजेन्द्र गहरवार ने कहा की बहुत ही जल्द वह प्रारंभ किया जाएगा.

धारा 4 के प्रावधान हों लागू, धारा 19(8)(ए)(6) के तहत सूचना आयोग ले एक्शन – भास्कर प्रभु

कार्यक्रम में भास्कर प्रभु ने भी अपने विचार रखे और उन्होंने बताया कि हालांकि धारा 4 की पालन करने से संबंधित जानकारी आरटीआई के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है और जनता को इसमें आगे आकर काम करने की जरूरत है परंतु यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी सूचना आयोग की भी है क्योंकि आरटीआई के सेक्शन धारा 19(8)(ए)(6) के तहत सूचना आयोग के पास यह शक्ति है कि वह एनुअल रिपोर्ट्स के माध्यम से अथवा अन्य माध्यम का प्रयोग कर धारा 4 की पालना करवाएं। आरटीआई की धारा 4 पर जोर देते हुए सदैव की भांति इस इस बार भी माहिती अधिकार मंच के संयोजक ने कहा कि पूरे आरटीआई कानून में सेक्शन 4 सबसे महत्त्वपूर्ण क्लॉज़ है और इसकी पालना हुई तो समझो कि आरटीआई कानून बहुत मजबूत हो जाएगा लेकिन सरकारें ऐसा नहीं चाह रही है इसके लिए जनता को आगे आकर काम करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों से सामाजिक कार्यकर्ता, आरटीआई एक्टिविस्ट और अन्य सिविल राइट्स के लिए काम करने वाले लोगों ने सहभागिता की और अपनी अपनी बातें रखी। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालक का कार्य सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया। फोरम फॉर फ़ास्ट जस्टिस के ट्रस्टी संयोजक प्रवीण पटेल ने भी अपने विचार रखे और झारखण्ड के आर टी आई एक्टिविस्ट एके सिंह द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में आर टी आई की जानकारी पर वारंट जारी करने पर उन्होंने कहा की उनका फोरम इस विषय पर मदद करेगा और यह गैरकानूनी है।