राजस्थान

बच्चों व बड़ो को बनाना सिखाया इको फ्रेंडली गणेश

कोटा.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-  प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी पर लाखों लोग गणेश की स्थापना अपने घरों और मंदिरों में करते है। जिनमे से अधिकांश लोग पीओपी से निर्मित मूर्तियों की स्थापना करते है, जो की पर्यावरण, जलीय जीवजन्तु व पेड़-पौधों के लिए हानिकारक होती हैं। ऐसे में इस वर्ष सोसाइटी हैस ईव शी इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट के द्वारा तलवंडी में दो दिवसीय मिट्टी के इको फ्रेंडली गणेश की कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें बच्चों और बड़ों को मिट्टी के गणेश बनाना संस्था की अध्यक्ष डॉ. निधि प्रजापति ने बनाना सिखाया |

इस दौरान डॉ. निधि प्रजापति ने बताया की संस्था की रीना खंडेलवाल, ज्योति भदौरिया, राज लक्ष्मी सिंह, विजय निगम और कविता शर्मा के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया गया क्योंकि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनाई जा रही प्रतिमाएं पर्यावरण के नैतिक सिद्धांतों के विरुद्ध है। पी ओ पी पानी के संपर्क में आते ही जिप्सम बन जाता है, जो बहुत जल्दी जम जाता है। गणेशोत्सव समाप्ति के पश्च्यात जब तालाब, नदियों और समंदर में मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है तो पानी प्रदूषित हो जाता है जो जलीय जीवों के साथ साथ मानव जीवन के लिए भी खतरा है क्योंकि ऐसा करने से पानी का ऑक्सीजन लेवल घट जाता है। वही जल स्त्रोतों में इनके विसर्जन से दूसरे दिन वही मूर्तियां जिनकी 10 दिनों तक सेवा पूजा की वे किनारें और तलहटी पर अपनी दुर्गति के चरम स्तर पर देखी जा सकती है। रीना खंडेलवाल ने बताया कि भारतीय शास्त्रों में भी मूर्ति बनाने के लिए केवल पत्थर तथा मिट्टी का ही जिक्र हैं। ऐसे में आजकल प्लास्टर ऑफ पेरिस से प्रतिमाएं बनाई जाने लगी हैं, जो पूरी तरह गलत है। इनके जल स्रोतों में विसर्जन से जल स्त्रोतों का भी अस्तित्व खतरे में हैं।
ऐसे में कार्यशाला में उपस्थित लोगों को प्लास्टर ऑफ पेरिस के समाज और जल तंत्र पर पढ़ने वाले प्रभाव बताएं व उन्हें स्वयं काली व भूरी मिट्टी के गणेश जी बनाना सिखाया। साथ ही हर गणेश जी में एक बीज डाला गया ताकि उनका विसर्जन घर के आंगन में कर दिया जाये जो बाद में पेड़ बनकर पर्यावरण को भी स्वच्छ व सुंदर बनाएगा और ऑक्सिजन का स्तर भी बढ़ाएगा। कार्यशाला में अमिता खंडेलवाल, कनिष्का भदौरिया, मनुज सिंह, नमन, मान्या, मौलिक, सुप्रिया, समन्वयु आदि ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।