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रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व से बुरी खबर, सरिस्का से लाए नर बाघ आरवीटी 4 की संदिग्ध परिस्थिति में मौत

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-बूंदी के रामगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र में टाइगर आरटीवी 4 की संदिग्ध अवस्था में मौत से एक बार फिर बूंदी के पर्यटन विकास की आस को गहरा झटका लगा है। रणथंभौर से लाए टाइगर व सरिस्का से आए टाइगर के बीच हुई फाइटिंग में मौत होना माना जा रहा है।वही आरटीवी की मौत से वन्य जीव एवं पर्यटन प्रेमियों सहित स्थानीय जनप्रतिनिधियों में गहरा रोष है।
उपवन संरक्षक वन्य जीव अरविंद झा ने बताया कि बूंदी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में सरिस्का से लाए गए बाघ आरवीटी-4 की मौत की खबर है।विभाग की टीम को बाघ का शव जंगल में पड़ा मिला। इस बाघ को सरिस्का टाइगर रिजर्व से 11 नवंबर को रामगढ़ टाइगर रिजर्व लाया गया था। 27 दिन पहले उसे एनक्लोजर से निकालकर जंगल में छोड़ा गया। बाघ आरवीटी-4 तीन साल का युवा नर बाघ था, काफी तंदरुस्त था। अभी बाघ की मौत के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही बाघ की मौत के कारणों का पता लग पाएगा।
राज्य में चौथे टाइगर रिजर्व के रूप में करीब ढाई साल पहले अस्तित्व में आए रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में बाघों के अनुपात में विषमता एक नर बाघ की जिंदगी पर भारी पड़ गई। सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाहर निकल हरियाणा के जबुआ के जंगलों में डेरा जमाए युवा टाइगर एस टी 2303 को रामगढ़ में शिफ्ट किया गया था जिसका शुक्रवार को शव मिला। बाघिन आरवीटी 2 का कंकाल मिलने के बाद युवा होते नर बाघ की मौत से वन्यजीव प्रेमियों में निराशा हुई है। बाघ रामगढ़विषधारी वन्यजीव अभयारण्य की सीमा पर बाघ की लोकेशन लगातार एक जगह ही आने से वनकर्मियों को किसी अनहोनी की आशंका हुई जिसपर मौके पर जाकर देखा जहां बाघ मृत मिला। मृत बाघ के शव को बड़ी मशक्कत से पहाड़ी नाले में रास्ता बनाकर नीचे उतारा गया तथा बून्दी जैत सागर झील किनारे जिला कार्यालय में तीन पशु चिकित्सकों की टीम से पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद कार्यालय के पीछे ही गार्ड ऑफ ओनर देकर अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान कोटा के मुख्य वन संरक्षक रामकरण खेरवा, पुलिस अधीक्षक राजेंद्र कुमार मीणा, रामगढ़ के उपवन संरक्षक वीरेंद्र कुमार झा, टेरिटोरियल डी डीफओ देवेंद्र सिंह भाटी, कोटा चिड़ियाघर डीएफओ अनुराग भटनागर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमा शर्मा, बून्दी उपखंड अधिकारी हरबिंदर सिंह ढिल्लो, पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक बिट्ठल सनाढ्य व पृथ्वी सिंह राजावत मौजूद थे। प्रथम दृष्टया बाघ की मौत का कारण क्षेत्राधिकार की लड़ाई होना माना जा रहा है।
जनप्रतिनिधियों ने जताया रोष

बूंदी भाजपा अध्यक्ष राजकुमार श्रृंगी ने उपवन संरक्षक वन्य जीव अरविंद झा से दूरभाष पर वार्ता कर रोष जाहिर किया। शहर अध्यक्ष श्रृंगी ने कहा कि टाइगर की निरंतर दूसरी मौत बूंदी के पर्यटन की प्रगति में लगे पंखों में अवरोध पैदा होगा । गंभीरता से इस घटना को लेते हुए शहर अध्यक्ष ने कहा कि इस संबंध में गहनता से जांच कराई जाकर संबंधित के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाना चाहिए श्रृंगी ने कहा कि वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र में सैकड़ो  वन कर्मी  वन्यजीवों के ट्रैकिंग एवं सुरक्षा हेतु नियुक्त होने के बावजूद इस प्रकार की घटना होना वन विभागकी कार्यशैली को संदेह के घेरे में है साथ ही सरकार की पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना अवरुद्ध होती है। वार्ता के दौरान वन संरक्षक ने उनसे पूछने पर बताया की बूंदी अभयारण्य क्षेत्र में विचरण कर रहे टाइगर्स में से केवल एकमात्र टाइगर जिसकी मौत हो गई उसी के गले में कॉलर माइक लगा हुआ था शेष में लगा हुआ नहीं है। इस पर भी शहर अध्यक्ष ने रोष जाहिर किया और कहा कि जब राज्य सरकार और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के नियमानुसार सभी टाइगर्स के कॉलर माइक लगा होना चाहिए इसके बावजूद अन्य टाइगर्स के कॉलर माइक क्यों नहीं लगा हुआ है और इसी कारण टाइगर्स की  मायन्यूट ट्रैकिंग नहीं हो पा रही है जिसके कारण आने वाले समय में भी इस प्रकार की दुखद घटनाओं की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। शहर अध्यक्ष ने यह भी कहा कि यह क्षेत्र माननीय लोकसभा अध्यक्ष  का है और वह पर्यटन को गतिमान बढ़ावा देना चाहते हैं जिसमें इस प्रकार के अवरोध को बर्दाश्त नहीं किया जा सकेगा।
रणथम्भौर से आए बाघ से वर्चस्व की लड़ाई में गई जान
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ की मौत के पीछे वर्चस्व की लड़ाई को कारण माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि बाघ आरवीटी4 की रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से चलकर आए बाघ से भिड़ंत हुई। रणथम्भौर से आया बाघ भी रामगढ़ टाइगर रिजर्व में टेरिटरी बना रहा है, वहीं आरवीटी4 भी टेरिटोरियल बना रहा था। इसी दौरान क्षेत्राधिकार के वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच फाइट हो गई, जिसमें आरवीटी4 की मौत हो गई।

छह महीने में हुई दो बाघों की मौत
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले छह महीने बाघ की मौत का यह दूसरा मामला है। इससे पहले 15 सितंबर को जंगल में बाघिन आरवीटी 2 का शव मिला था। बाद में बताया गया कि बाघिन की नेचुरली डेथ हुई। मगर अब फिर से रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ की मौत हुई है। जिसके बाद रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वन्यजीव प्रेमी भी बाघ की मौत पर दुख जताते हुए बाघों की सुरक्षा को और पुख्ता करने की बात कह रहे हैं।
रामगढ में ऐसे बढ़ा बाघों का कुनबा
टाइगर रिजर्व को16 मई 2022 में टाइगर रिजर्व का दर्जा हासिल हुआ। आरवीटी-1 नर बाघ (रणथंभौर का टी-115) खुद प्राकृतिक रूप से चलकर जून 2020 में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आया । वहीं आरवीटी-2 बाघिन (रणथंभौर की टी-102) 16 जुलाई 2022 को रामगढ़ के शॉफ्ट एनक्लोजर में छोड़ी गई। इसे 31 अगस्त 2022 को खुले जंगल में छोड़ा गया था, जिसका गत दिनों कंकाल मिला था। इस बाघिन द्वारा तीन शावक को जन्म दिया गया था, जिसमें से एक जीवित नहीं रहा तथा दो मादा शावक बिना मां जंगल में विचरण कर रही है। आरवीटी-3 बाघिन (रणथंभौर की टी-119)  अगस्त 2023 में रामगढ़ में छोड़ी गई। इस बाघिन के भी गत माह शावकों को जन्म दिया जिसमें से एक शावक का फोटो आया है।

Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com