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अनुराधा का रहा आखर ज्ञान से डिजिटल लर्निंग तक का सफर

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- आज चारों ओर डिजिटल का दौर है, फिर भला शिक्षा विभाग इसमें कैसे पीछे रह सकता था। शिक्षा के क्षेत्र में जब हम प्राथमिक शिक्षा की बात करते हैं, तो सुकोमल अबोध बच्चे व उनकी स्लेट कॉपी का चित्र उभरता है। परंतु यदि प्राथमिक विद्यालय में सभी कक्षाओं के बच्चे स्मार्ट डिजिटल एजुकेशन से जुड़े हुए मिले तो एक स्वप्न सा ही लगता है, ऐसे ही एक स्वप्न को साकार किया बूंदी जिले की नवाचारी शिक्षिका अनुराधा जैन ने।

Anuradha Jain
Anuradha Jain

आज से 5 वर्ष पूर्व 2018 में डिजिटल शिक्षा की ओर पहला कदम बढ़ाया और राजकीय प्राथमिक विद्यालय झापड़ी पंचायत समिति हिंडोली जिला बूंदी में 2018 में प्रथम एलईडी लगाई गई। शिक्षिका का उद्देश्य था की अबोध बालक जब पहली बार विद्यालय में कदम रखें तो उन्हें विद्यालय का वातावरण रुचिकर और आनंदमय लगे। नामांकन के साथ ठहराव में भी हो और प्रगति भी हो। जब प्रथम एलईडी जो की भामाशाहों व विद्यालय परिवार के सहयोग से लगाई गई, तो उसके परिणाम सकारात्मक मिलने प्रारंभ हुए। विद्यालय के नामांकन में अत्यधिक वृद्धि हुई, बच्चे गीत कविताओं के माध्यम से अध्ययन में रुचि लेने लगे। तब अध्यापिका ने इसकी उपयोगिता को समझते हुए दूसरी एलईडी भामाशाह के सहयोग से लगवाई।
डिजिटल लर्निंग से बच्चे विद्यालय में बैठे-बैठे ही देश-विदेश की जानकारियां प्राप्त करने लगे अंग्रेजी के उच्चारण में सुधार हुआ। शिक्षिका अनुराधा जैन ने बताया कि सबसे ज्यादा लाभ कोविड़ के समय में मिला जब शिक्षण संस्थाएं बंद थी, परंतु झापड़ी के बच्चों का अध्ययन निर्बाध चलता रहा। अब नन्हें हाथ युटयुब व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से पढ़ाई भी कर रहे हैं और होमवर्क भी कर रहे हैं। डिजिटल लर्निंग के सकारात्मक परिणाम को देखते हुए बच्चों के हित में संपूर्ण विद्यालयों को ही डिजिटल बनाने की ठानी और विद्यालय परिवार तथा मुख्यमंत्री जनसहभागिता से गीत वह भामाशाहों के सहयोग से संपूर्ण विद्यालयों को डिजिटल कर दिखाया अभी हाल में ही दिसंबर माह में एक संस्था के द्वारा पांचवी एलइडी विद्यालय को भेंट की गई इसके साथ-साथ 2018 में देखा गया स्वप्न डिजिटल विद्यालय का 2023 में सरकार हुआ शिक्षिका ने अपने जुनून वी हौसले से प्राथमिक विद्यालयों को राजस्थान के प्रथम पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया बिना किसी सरकारी सुविधा सहयोग के डिजिटल विद्यालय का सपना साकार हुआ।