कैलिफोर्निया वाली मेम से अब केबीसी वाली मेम बनी शोभा कंवर
बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- जिसने कभी खुद पढ़ाई के लिए संघर्ष किया, वो बन रही है अब उन बच्चों की मददगार जो किसी कारणवश पढ़ाई बीच मे छोड़ देते हैं, ऐसा कहना है केबीसी वाली मेम शोभा कँवर का। बचपन मे 8 वीं के बाद दादीसा ने कहा पढ़ाई छोड़ दो, वो तो माँ ने साथ दिया और हायर सेकंडरी कर के एसटीसी की। जीवन के लिए भी संघर्ष करते हुए सोलह-सत्रह वर्ष की उम्र में हार्ट के वॉल्व का ऑपरेशन करवा कर मौत से दो-दो हाथ भी किये। शादी के बाद फिर से पढ़ाई के लिए संघर्ष और 16 साल बाद बिना किसी कोचिंग के 2007 में आरपीएससी की परीक्षा पास कर शिक्षक के रूप में नए जीवन की शुरुआत की।
बच्चों के बीच कैलिफोर्निया वाली मेम से अब केबीसी वाली मेम बनी शोभा कंवर ने पहली पोस्टिंग के विद्यालय में भी अनेकों संघर्ष किये। पहले नामांकन के लिए, फिर स्कूल को अतिक्रमण से मुक्त कर बाउंड्री वाल बनाने से लेकर गांव को ओडीएफ कराने के लिए भी संघर्ष रहा। उसके बाद सीनियर विद्यालय में बालिकाओं के प्रवेश को लेकर संघर्ष भी किया, क्योंकि यहाँ पहले सिर्फ कक्षा 9 से ही बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता था। अब यहां कक्षा 1 से ही बालिकाओं का प्रवेश होता है। फिर विद्यालय में व्यवस्थाओं में सुधार किया। इन्होंने टीन शेड, वाटर कूलर, फर्नीचर, यूनिफॉर्म, स्वेटर, बैग्स व अन्य व्यवस्थाओं को भामाशाहों व स्वयं के प्रयासों से सुधारा।
जॉब के साथ अपनी पढ़ाई भी की पूरी
एसटीसी के बाद 16 साल बाद बिना किसी कोचिंग के 2007 में आरपीएससी की परीक्षा पास कर लेवल -1 शि्िक्षका बनने वाली शोभ कंवर ने अपने जोब के साथ अपनी उच्च शिक्षा को भी जारी रखा। इन्होंने बीए, बीएड, राजनीति विज्ञान में एमए के साथ गाइडेंस व काउंसलिंग में डिप्लोमा कर छात्राओं को लाभान्वित करने कार्य निरन्तर कर रही हैं। इसी बीच बच्चों के लिए उनकी हर संभव प्रयास भी जारी हैं। उन्होंने अपनी छात्राओं के लिए विद्यालय में अंग्रेजी में सुधार के लिए अलग व्यवस्था की। नेशनल मिन्स कम मेरिट स्कॉलरशिप के लिए बच्चों में रुझान पैदा किया और पिछले 4- 5 सालों में 7 बच्चों का सलेक्शन भी हुआ, जिनके लिए अलग से कक्षाएं भी लगवाई। राजस्थान शिक्षा विभाग ने इस साल मुझे शिक्षक सितारे से भी नवाजा है।
11 लाख रुपए की सहायता प्राप्त की अमिताभ बच्चन से
22 सालों के संघर्ष के पश्चात केबीसी में भी जीत हासिल की और 11 लाख रुपए सदी के महानायक अमिताभ बच्चन से भी उपहार स्वरूप मेरी उन बालिकाओं के लिए प्राप्त किये जिन्हें मैं हर साल गोद लिया करती थी। मैं पढ़ाई के लिए ऐसी बच्चियों को गोद लेती हूँ, जिनके माता-पिता में से कोई एक न हो या दोनों। या फिर किसी कारणवश उस बच्ची को पढ़ाई में परेशानी आ रही हो। केबीसी से मिली धनराशि से मैंने अभी अपनी एक सोसायटी बनायी है, जो शिक्षा के क्षेत्र में ही कार्य कर रही है। इस सत्र में इस सोसायटी ने 1 लाख रु मूल्य की शिक्षण सामग्री कोटा, बून्दी के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के राजकीय विद्यालयों के बच्चों को भिजवाई है। कई बच्चों की फीस भरी है। कक्षा 10, 12 की सरकारी स्कूलों की बच्चियों को हवाई यात्रा भी करवाई है। अभी महीने में 2 बार गुड टच व बेड टच का प्रशिक्षण भी दे रही हूं। अब तक हजारों बच्चों को प्रशिक्षित किया है। इसी कारण महिला एवं बाल विकास विभाग राजस्थान द्वारा 2020 में मुझे गरिमा अवार्ड भी प्रदान किया गया। जिसकी 25000 रु की राशि भी मैने ऐसी ही बालिकाओं व बालको की फीस वगैरह देने में खर्च की। इनका यह सफर निरंतर जारी है।
Photo – shobha kanwar
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