मध्य प्रदेश

वृद्ध परिवार को एक सूत्र में पिरोने का कार्य करते हैं- मिश्रा

दतिया.Ramji SharanRai/ @www.rubarunews.com- एक समय हुआ करता था जब एक परिवार में 10-15 सदस्य हुआ करते थे।सब में परस्पर प्रेम और सद्भाव होता था किंतु धीरे-धीरे पाश्चात्य संस्कृति के दुष्प्रभाव से हमारे संस्कार क्षीण होते गए ‘मैं मेरी पत्नी और मेरे बच्चे’ के विचार ने एकल परिवार की संस्कृति को जन्म दिया फलस्वरूप संयुक्त परिवार बिखर गए। उक्त विचार सेवा निवृत्त आईएएस और जीवाजी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति श्री शिव प्रसाद मिश्रा ने अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (01 अक्टूबर )पर मां पीतांबरा आनंद क्लब द्वारा आयोजित वृद्धजन सम्मान समारोह और काव्य गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि परिवार में वृद्ध जनों की भूमिका उस वृक्ष के समान होती है जो फल भले ही न दें पर उनकी घनी और शीतल छाया पूरे परिवार को शांति और सुकून का अहसास कराती है। परिवार में उनकी भूमिका माला के उस धागे की तरह होती है जो माला के सभी मनकों को एक सूत्र में पिरोए रखता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सेवानिवृत्त प्राध्यापक और संस्कृत के विभागाध्यक्ष डॉ रामेश्वर प्रसाद गुप्त ने कहा कि वृद्धजन आने वाली पीढ़ी को संस्कार बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। उनका समूचा जीवन खुली किताब की तरह होता है। किताबी ज्ञान में भले ही वे अधिक प्रवीण न हो पर दुनियादारी के ज्ञान में उनका कोई विकल्प नहीं होता। दैनिक जीवन में आने बाली हर समस्या का उनके पास यथोचित हल होता है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित चिकित्सा महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक और प्रसिद्ध नेत्र सर्जन डॉ मुकेश राजपूत ने कहा कि धन्य हैं वे परिवार जिनको अपने वृद्धजनों का संरक्षण और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। भारतीय संस्कृति में वृद्धजनों को देव तुल्य माना गया है। उनकी सेवा सुश्रुषा करना सिर्फ हमारा कर्म ही नही धर्म भी है।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ आनंदम सहयोगी व्याख्याता मनोज द्विवेदी ने मनुस्मृति के श्लोक का उद्धरण देते हुए कहा कि जिस परिवार में नित्य वृद्ध जनों को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लेने की परंपरा होती है उस परिवार के सदस्यों की आयु विद्या यश और बल में निरंतर वृद्धि होती है। पुस्तक ज्ञान प्राप्त करने में भले ही पुस्तकालय सहायक हो सकते हैं किंतु जीवन में व्यावहारिक ज्ञान बिना बुजुर्गों के सानिध्य और मार्गदर्शन के प्राप्त नही हो सकता। धिक्कार है उन परिवारों को जो अपने बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में रहने के लिए मजबूर कर देते हैं मैं चाहता हूं कि जिन परिवारों में बुजुर्गों का सम्मान ना हो उनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने आध्यात्म विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा राज्य आनंद संस्थान भोपाल के माध्यम से संचालित गतिविधियों की जानकारी देते हुए सभी से इन गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता का आह्वान किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने मां पीतांबरा का पूजन और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया तदोपरांत कार्यक्रम की संयोजक और मां पीतांबरा आनंद की अध्यक्ष श्रीमती रेणु गुप्ता और क्लब के सदस्यों ने अतिथियों का स्वागत किया। कोविड-19 के संक्रमण को दृष्टिगत रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में नगर के जिन बुजुर्ग साहित्यकारों,कवियों और पत्रकारों शॉल श्रीफल भेंट कर सम्मान किया गया उनमे श्रीमती गायत्री मोर समति सत्यवाला गुप्ता श्रीमती कांति सक्सेना अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अध्यक्ष श्रीओम प्रकाश श्रीवास्तव श्री पूरन चंद शर्मा डॉ राज गोस्वामी एवं श्री मनीराम शर्मा के नाम उल्लेखनीय हैं। इस दौरान उपस्थित कविगणों ने काव्यपाठ के माध्यम से समाज को रचनात्मक दिशा देने में बुजुर्गों के योगदान का प्रभावी ढंग से प्रतिपादन किया गया।
कार्यक्रम का सफल संचालन साहित्यकार डॉ नीरज जैन ने क्लव के सदस्य श्री दीपक राजपूत ने कार्यक्रम के सूत्राधार और राज्य आनंद संस्थान की संभागीय कोर समिति के सदस्य श्री विजय उपमन्यु सहित सभी अतिथियों और आगंतुकों के प्रति व्यक्त किया।
इस अवसर पर बीआरसीसी श्री राजेश शुक्ला, पुस्तकालय प्रभारी श्री मानसिंह यादव डॉ आरती भदौरिया श्री सुदीप तिवारी श्री सुनील त्यागी आध्या सक्सेना चेतना सिंह पूनम गुप्ता और श्री मयंक गुप्ता आदि उपस्थित रहे।

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