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हाइवे पर गुंज उठी पैंथर से दहाड़, पैंथर को देख रूके वाहन चालक

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- एक ओर जहां बून्दी के जंगल बाघ बघेरों की दहाड से गुजायमान हैं, वहीं दूसरी ओर तीन दिन पहले हाइवे भी पैंथर की दहाड़ से गुंज उठा। जानकारी के अनुसार तीन दिन पहले रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र से लगे बून्दी टनल के बाहर हाइवे पर एक पैंथर बीच ओवरब्रीज के लिंक रोड़ पर बैठा हुआ दिखाई दिया। जिसे देख कर वाहन चालक अचंभित होकर वहीं ठहर गए। इनमें से कुछ ने जिस पैंथर की वीडियों भी अपने मोबाइल में केद कर ली।
एक वाहन चालक द्वारा बनाई गई वीडियों में पैंथर बीच सड़क पर बैठे दहाड़ता हुआ दिखाई दे रहा हैं। साइड से एक कार और एक यात्री बस निकलती हुई और सामने से बाइक चालक भी आता नजर आ रहा हैं। जो पैंथर को देख कर कुछ देर रूकता हैं और वापिस गाड़ी को घुमाता हुआ दिख रहा हैं।
हालांकि जिले में पैंथर के द्वारा किसी प्रकार की जन हानि नहीं हुई हैं, लेकिन जंगलों के समीप के गांवों और क्षेत्रों में भेड़ बकरियों के शिकार की घटनाएं अमूमन घटती रही हें। पिछलें दिनों भी कालदां के जंगलों में चरवाहों के डेरे में बकरी और गधे का शिकार पैंथर के द्वारा किया गया, वहीं दबलाना के पास बडगांव में पैंथर ने बकरियों का शिकार किया था। वन्य जीव प्रेमी विट्ठल सनाढ्य ने बताया कि रामगढ़ टाइगर रिजर्व बफर जोन में सुरक्षा दीवार का कार्य पूर्ण नहीं होने और अवैध गतिविधियों के चलते भी वन्यजीव बाहर आ जाते हैं। सनाढ्य ने टनल क्षेत्र में हाइवे किनारे मृत मवेशियों के डालने पर रोष जताते हुए कहा कि मृत मवेशियों की गंध भी वन्यजीवों को आकर्षित करती हैं। हमारी मांग हैं कि सुरक्षा दीवार का कार्य जल्द पूर्ण हो, ताकि वन्य जीवों को सुरक्षा मिल सके और वन विभाग को प्रशासन के साथ मिल कर हाइवे किनारे और रिजर्व क्षेत्र में मृत मवेशियों के डालने पर रोक लगवाने के प्रयास करने चाहिए।
जंगलो में बढ़ी पैंथर की संख्या
बून्दी के जंगलों की आबोहवा वन्यजीवों को रास आ रही हैं, जिसका प्रमाण वन्यजीवों की बढ़ती संख्या हैं। जिले की समृद्ध जैवविविधता व 27 प्रतिशत भूभाग वन क्षेत्र होने से यहां बाघ बघेरों सहित सभी वन्यजीव मौजूद है। अभी रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में 1 बाघ, 2 बाधिन व 3 शावकों सहित 6 बाघ मोजूद हैं, वहीं आरवीटीआर में 25-30 पैंथर व पैराफेरी क्षेत्र में 6 पैंथर मौजूद हैं। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के सघन एवं दुर्गम जंगलों में बघेरों की संख्या तेजी से बढ़ी है। सदाबहार जलस्रोतों वाले इस जंगल में जंगली सूअर, नीलगाय व सांभर हरिणों की संख्या में भी वृद्धि हुई है लेकिन चिंकारा गायब हो गए हैं। जंगल में चिंकारा की कमी आने व पैंथर के लिए अन्य पर्याप्त प्रेबेस नहीं होने से भी वन्यजीव आए दिन भेड़ बकरियों को शिकार बनाने लगे है।
7 पैंथर हो चुके हैं दुर्घटना के शिकार
चालू वर्ष में अलग अलग दुर्घटनाओं में 7 पैंथर काल कलवित हो चुके हैं। जिनमें से 4 पैंथर हाल ही में बरड़ क्षेत्र में 11 केवी विद्युत लाईन की चपेट में आकर मौत के शिकर हुए। वहीं डाटून्दा के पास दो नाहर घाटी में 1 पैंथर अज्ञात वाहन की चपेट में आकर मरा हुआ पाया गया। इसी प्रकार 2 पैंथर रेल्वे लाइन पर रेल की चपेट में आ चुके हैं।
शुरू हुए ग्रासलैंड विकसित करने के काम
वन्य जीवों के अनुकूल बनाने के लिए वन विभाग ने जंगल से विलायती बम्बूलों को हटाकर ग्रासलैंड विकसित करने के काम शुरू कर दिया है। विभाग ने कालदां माताजी के पास 300 बीघा में शाकाहारी वन्यजीवों के लिए ग्रासलैंड तैयार करवा रहा है। जिससमें हरिण प्रजाति के संवर्धन के लिए ग्रासलैंड विकसित होगा, साथ ही शाकाहारी वन्यजीवों के भोजन में काम आने वाली फल व पत्तियों वाले 5 हजार ऐसे पेड़ पौधे भी लगाएं जाएंगे। वहीं विभाग यहां गश्त को प्रभावी बनाने के लिए रास्ते का काम भी कर रहा है, ताकि अवैध गतिविधिये ंपर प्रतिबंध लगाया जा सकेगा।
शिकार की तलाश में आ जाते हैं जंगल से बाहर
आरवीटीआर के उपवन संरक्षक कोर संजीव शर्मा ने बताया कि बून्दी में फैली अरावली की पहाडिय़ां पैंथर के प्राकृत आवास हैं। यहां पैंथर के प्राकृतिक भोजन खुर वाले जानवर सांभर, नील गाय, कुत्ते, बिल्लियां आदि पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वहीं भेड़ बकरियां भी इसका पसंदीदा भोजन हैं। कहीं बार पैंथर या अन्य जीव इनके चलते भी जंगल के समीपस्थ क्षेत्रों में आ जाते हैं।
अव्वल दर्जे का शिकारी हैं पैंथर
पैंथर, पैन्थरा जीनस का जाति की बड़ी बिल्ली है जो अफ्रीका और एशिया में पाया जाता है। यह बिल्ली प्रजातियों जैसे शेर, बाघ और जैगुआर की तुलना में सबसे छोटा होता है। लेकिन इनमें बहुत शक्तिशाली और चतुर जीव पैंथर की एकाग्रता तो लाज़वाब होती है। शिकार को पकड़ने की तकनीक और हमला करने की शैली पैंथर को एक अव्वल दर्जे का शिकारी बनाती है। आमतौर पर ये निशाचरी होते हैं। तेंदुए 56 से 60 किमी प्रति घण्टे की रफ़्तार से दौड़ सकते हैं।
इनका कहना है
टनल के बाहर हाईवे के किनारे शहर के मृत मवेशियों को डाला जा रहा हैं, जिनकी गंध वन्य जीवों को आकर्षित करती हैं। यह मृत मवेशी वन्यजीवों के लिए घातक हो सकते हैं। प्रशासन को चाहिए कि इन मृत मवेशियों को हाइवे किनारे और रिजर्व क्षेत्र के समीप डाले जाने पर प्रतिबंध लगाए।
विठ्ठल सनाढ्य, वन्यजीव प्रेमी

बून्दी के जंगलों मे प्रे-बेस और ग्रासलैंड की की समस्या हैं, वहीं दूसरी समस्या अवैध चराई की हैं। विभाग को अवैध चराई पर प्रतिबंध लगाने के साथ प्रेबेस और ग्रासलैंड विकसित करवाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
पृथ्वी सिंह राजावत, पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक

आमजन को वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण से जोड़ने, जागरूकता पैदा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि उन्हें भी का वातावरण नहीं बने। आमतौर पर पैंथर जैसे वन्यजीव शिकार का पीछा करते हुए या शिकार के लालच में जंगल के बाहर आ जाते हैं। वैस भी पैंथर को जब तक नहीं छेड़ेंगे, वह हमला नहीं करता।
संजीव शर्मा, उपवन संरक्षक (कोर), आरवीटीआर बून्दी

वन क्षेत्रों में वन्यजीवों के लिए प्राकृतिक आवास उपलब्ध करवाने हेतु सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। जंगलों में वन्यजीवों के संरक्षण के साथ अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। वन्यजीवों के लिए प्रेबेस और ग्रासलैंड विकसित की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम भी जल्दी ही मिलेंगे। वन्यजीवों को भोजन, पानी व रहवास की पर्याप्त सुविधा मिलेगी तो यह जंगल से बाहर भी नहीं आएंगे।
ओपी जांगीड़, उपवन संरक्षक, बून्दी
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