ताजातरीनराजस्थान

पांच तत्वों का शरीर अलग है और आत्मा अलग – पुराणाचार्य

बून्दी.KrshnakantRathore/ @www.rubarunews.com>>छत्रपुरा स्थित कल्याण राय मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति के अवसर पर राष्ट्रीय संत ज्योति शंकर शर्मा ने पुराणाचार्य ने नव योगेश्वरों की कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए अंतरिक्ष नाम के योगेश्वर का वृतांत बताया और कहा कि प्राणी जब तब सत्संग से विहीन रहता है तब तक उसकी स्थिति पानी वाले नारियल जैसी बनी रहती है उसमें से गोले की आवाज नही आती लेकिन महापुरुषों की सत्संग करने से विषय वासना रूपी पानी सूख जाने पर प्राणी को ये बोध हो जाता है कि पांच तत्वों का शरीर अलग है और आत्मा अलग है।
संत और असंत की संगत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जिस प्रकार से दुष्ट व्यक्तियों की संगत कोयले की तरह है जैसे कुछ क्षण के  लिए भी हाथ में कोयला लेने वालों का हाथ काला कर जाता है इस प्रकार दुष्ट की संगत कलंक लगाकर ही जाती है। इसी प्रकार चंदन को हाथ में लेने पर चंदन अपना प्रभाव उस हाथ में छोड़कर ही जाता है ऐसे ही संतों का संग कुछ क्षण के लिए भी व्यक्ति करें तो उसके जीवन में सत्व गुणों का प्रभाव आवश्यक होता है।
24 गुरुओं पर की चर्चा
पुराणाचार्य ने दत्तात्रेय के 24 गुरुओं का वर्णन करते हुए बताया कि दीक्षा का गुरु तो एक ही होना चाहिए लेकिन जिससे भी ज्ञान प्राप्त हो वह भी गुरु समान ही माने गए हैं जिस प्रकार दत्तात्रेय ने 24 गुरु स्वीकार किये , जैसे पृथ्वी को गुरु बनकर उन्होंने सीखा कि मनुष्य पृथ्वी को खोदता है पृथ्वी पर अपशिष्ट पदार्थ डालता है लेकिन फिर भी पृथ्वी सबको क्षमा करती है इसी प्रकार से महापुरुषों को अज्ञानियों को क्षमा करने का गन ग्रहण करना चाहिए , इस प्रकार से 24 गुरुओं पर चर्चा की गई। तत्पश्चात परीक्षित मुक्ति की कथा सुनाकर कथा को विराम किया गया उसके बाद भागवत जी की पोथी को  दर्शन हेतु परिक्रमा मार्ग में भ्रमण कराया गया। इस अवसर पर भक्तजनों ने आरती की एवं प्रसाद वितरण किया।