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नौकरी के प्रस्ताव छोड की शिक्षा व साहित्य की सेवा

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मी रेखा शर्मा 1976 में विवाह के बाद अपने पति अनिल शर्मा एडवोकेट के साथ बून्दी आई और तन मन से बून्दी की होकर रह गई। कानपुर के क्राइस्ट चर्च कॉलेज से पढ़ी लिखी रेखा शर्मा की बचपन से ही संगीत, नृत्य, खेल कूद, साहित्य में रुचि रही। इन्होंने एनसीसी कैडेट, इंटरमीडिएट में खो-खो तथा बैडमिंटन, डिस्कस, जैवलिन, शॉटपुट में मेडल्स प्राप्त किए तो कॉलेज प्रेसीडेंट भी रही और कॉलेज मैगजीन की एडिटर भी रही। इंटरमीडिएट, बीए तथा एमए में कॉलेज टॉपर रही रेखा शर्मा ने बीए में यूनिवर्सिटी में मेरिट लेकर नेशनल स्कॉलरशिप प्राप्त की। विवाह के पश्चात इन्हें बाहर से बाहर से नौकरी के बहुत प्रस्ताव आए, लेकिन बूंदी में गृहस्थ जीवन को सुचारू चलाने की सोच से उन सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया।
उस समय बून्दी में शिक्षा की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी, जितनी आज हैं, विशेष तौर से बालिकाओं की। उच्च शिक्षित बहुमुखी प्रतिभा की धनी रेखा शर्मा ने कुछ अच्छा व कुछ सार्थक करने के विचार से 1986 में लिटिल एंजील शिक्षा समिति की स्थापना कर कड़ी मेहनत तथा निस्वार्थ समर्पण से अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की।
रेखा शर्मा ने इनरव्हील इंटरनेशनल क्लब बूंदी की चार्टर प्रेसीडेंट, रेडक्रॉस की एक्जीक्यूटिव मेंबर , ब्राह्मण महिला मंडल की सभाध्यक्ष ,लेखिका और विचार मंच की प्रदेश प्रभारी ,स्काउट गाइड स्थानीय संघ की पूर्व उप प्रधान, कार्यकारिणी सदस्य, पूर्व किशोर न्याय बोर्ड सदस्य, पूर्व बाल कल्याण समिति अध्यक्ष तथा अन्य कई जिला स्तरीय समितियों की सदस्य के दायित्वों को पूर्ण जिम्मेदारी के निर्वाह किया हैं। इन्हें शिक्षा ,संस्कृति तथा सामाजिक क्षेत्र में जिला स्तर पर दो बार सम्मानित ,राज्य स्तर पर शिक्षक रत्न ,समाज कल्याण विभाग जयपुर द्वारा वृद्धजन सम्मान, साहित्य क्षेत्र में नीरज काव्य स्मृति सम्मान ,महादेवी कवियत्री सम्मान ,अमृता प्रीतम मेमोरियल सम्मान ,कल्पना चावला शिक्षक रत्न सम्मान ,राष्ट्र भाषा भूषण सम्मान ,नारी गौरव सम्मान,नारी रत्न सम्मान , हाड़ौती सम्मान ,प्रेमचंद शोध सम्मान , आइडियल इंडियन वूमन सम्मान तथा अन्य अनेक संस्थाओं से अनेकों सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इनके सफल निर्देशन व नेतृत्व में छात्राऐं अंतरराष्ट्रीय किचन जंबूरी में फूड टेबल प्रेजेंटेशन में भारत में प्रथम स्थान पर भी रही हैं।
इनके अनेक संग्रहों में कहानी, कविता, हाइकू, तांका, ओम आकृति विधा तथा पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। ह्यूस्टन अमेरिका से प्रकाशित भारत काव्य पीयूष में कविताएं तथा राम काव्य पियूष में हाइकु प्रकाशित, अंतरराष्ट्रीय पटल पर ऑनलाइन काव्य तथा कहानी पाठ, आकाशवाणी से साक्षात्कार प्रकाशित भी हो चुके हैं।
अपने गृहस्थ जीवन को कुशलता से चलाते हुए उन्होंने शहर की बालिकाओं को सर्वगुण संपन्न बनाने की पहल पर निरन्तर चलती रही। यह उस दौर में जब राजस्थान में महिलाओं को घर से बाहर निकलने की मनाई हुआ करती थी, तब न केवल शिक्षा की सेवा में संलग्न रही, साथ ही सभी पारिवारिक दायित्वों को पूरा करते हुए लेखन, समाज सेवा, असहाय शोषित जरूरतमंद वर्ग की सहायता में समर्पित रही हैं। पिछले 45 वर्षो से इनके सफल निर्देशन व नेतृत्व में शहर की कई बालिकाऐं कामयाबी के शिखर तक पहुंची हैं औश्र जिले ही अपितु राज्य राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक अपनी छाप छोड़ चुकी हैं।