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आज का लौकिक सुख मीठे विष के समान हैं -विमलप्रभा माताजी

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> दिगंबर जैन खंडेलवाल चौगान आश्रम में धर्मसभा को संबोधित करते हुए विमलप्रभा माताजी ने कहा कि मनुष्य का सच्चा सुख विवेकपूर्ण तरीके से किए गए धर्म से प्राप्त होता है, जबकि आज का मनुष्य लौकिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए जी रहा है। उन्होंने अच्छे संस्कारों के लिए उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार एक कुम्हार गीली मिट्टी को जिस तरह भी ढालना चाहिए उसी प्रकार ढल सकती है, मिट्टी को पकाने के बाद कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। इस प्रकार बच्चों में बचपन में जो धार्मिक संस्कार दिए जाते हैं, वह धार्मिक संस्कार जीवन भर रहते हैं।  बच्चों को अच्छे संस्कार बचपन में दिए जाने चाहिए जिससे उसका जीवन अच्छा हो सके।

इससे पूर्व क्षुल्लिका विनीत प्रभा माताजी ने कहा कि आज का मनुष्य मिथ्या तत्व व अज्ञानता के कारण संसार में भटक रहे हैं। मनुष्य इस संसार में आत्म कल्याण बोध वह मोक्ष की प्राप्ति के लिए आता हैं। जिस व्यक्ति को भेद विज्ञान का ज्ञान हो जाए उसकी आत्मा का कल्याण एवं मोक्ष की प्राप्ति निश्चित है आज के मनुष्य कोबदु अपनी अनुकूल वस्तु की प्राप्ति होती है तो वह सच्चे सुख का अनुभव करता हेओर अपने प्रतिकुल वस्तु की प्राप्ति बड़ा दुखी होता है

शास्त्र भेंट कर किया सम्मान

विमलप्रभा माताजी द्वारा शास्त्र भेंट कर भारतीय दूरसंचार विभाग के सेवानिवृत्त इंजीनियर राजकुमार जैन को सम्मानित किया गया। धर्म सभा से पूर्व भगवान महावीर स्वामी के चित्र पर दीप प्रवजलन रमेश बड़जात्या ने किया। मंगलाचरण अनीता सेठिया तथा जिनवाणी स्तुति सुरेश सोनी ने की। धर्म सभा में राजेंद्र कुमार जैन, अजेता सरावगी समाज संस्थान अध्यक्ष रविंद्र काला, ओमप्रकाश जैन, राजकुमार जैन, संगीता गंगवाल, अशोक शाह, मोनिका छाबड़ा, चंद्रेश छाबड़ा मौजूद रहे।