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पारिस्थितिक नारीवाद केवल प्रकृति संरक्षण ही नहीं अपितु नारी के सशक्तिकरण के लिए भी महत्वपूर्ण

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> शनिवार को “पारिस्थितिक नारीवाद महिला सशक्तिकरण एवं प्रकृति पोषण“ विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन राजकीय महाविद्यालय, बूंदी में किया गया। महाविद्यालय की महिला प्रकोष्ठ, नेचर क्लब तथा नवाचार एवं कौशल विकास प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में हाइब्रिड मोड पर आयोजित इस सेमीनार की अध्यक्षता प्राचार्य प्राचार्य डॉ. अनिता यादव ने की।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते डॉ. अनिता यादव ने कहा कि वर्तमान समय में महिला सशक्तिकरण के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन अति महत्वपूर्ण है। महिलाओं ने सदैव पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए कार्य किया है। पारिस्थितिकी नारीवाद केवल प्रकृति संरक्षण ही नहीं अपितु नारी के सशक्तिकरण के लिए भी विचार प्रस्तुत करता है।

वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए डॉ. जे. सरीन ने प्रकृति तथा नारी संवेदनाओं के मध्य विविध उदाहरणों के माध्यम से संबंध को स्पष्ट किया। उन्होंने पारिस्थितिकी नारीवाद का समर्थन करने वाली महिलाओं के विशिष्ट कार्यों को सराहा। महिलाओं के दैनिक जीवन तथा संस्कृति में समाहित प्रकृति संरक्षण व  प्रकृति पोषण के विभिन्न उदाहरण प्रस्तुत किये। डॉ. जे. सरीन ने कहा कि महिलाएं प्रारंभ से ही प्रकृति से जुड़ी हुई है तथा प्रकृति के संरक्षण के लिए कार्य कर रही है। वहीं डॉ. परणिका श्रीवास्तव ने लैंगिक समानता के विविध पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में लैंगिक असमानता काफी विद्यमान है। उन्होंने कहा कि विविध पर्यावरणीय आंदोलनों में महिलाओं ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। उत्कर्षा शर्मा ने पारिस्थितिकी नारीवाद पर अपने व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के बारे में बताया।

इस दौरान नेचर क्लब प्रभारी डॉ. रोहिणी माहेश्वरी ने सभी का शाब्दिक स्वागत किया तथा विषय प्रवर्तन करते हुए महिला प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. पूजा सक्सेना ने पारिस्थितिकी नारीवाद का अर्थ और महत्व के विषय पर प्रकाश डाला। डॉ. भारतेंदु गौतम ने कार्यक्रम समन्वय एवं तकनीकी पक्ष में योगदान प्रदान किया। सेमिनार का संचालन डॉ. सविता चौधरी ने किया तथा नवाचार एवं कौशल विकास प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. दिलीप राठौड़ ने धन्यवाद जताया।