राजस्थान

अस्सी के पार आज भी साहित्य सृजक युवा हैं, दिनेश विजयवर्गीय Dinesh Vijayvargiya is still a youth beyond eighty

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- रूबरू पॉजिटिव श्रृंखला में आज हम मुखातिब हो रहें हैं अस्सी वर्ष की उम्र में भी जोशीले युवा की तरह सक्रिय वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश विजयवर्गीय से, जो साहित्य जगत की अनुपम निधि है। शिक्षा जगत में व्याख्याता पद से सेवानिवृत्त विजयवर्गीय की दो पुस्तके बाल कहानी संग्रह ‘साहस का सम्मान’ और कविता संग्रह ‘शब्दों की सृजन यात्रा’ प्रकाशित हो चुकी हैं। वहीं अनेक सम्मान व पुरस्कार आपने अपने नाम किये हैं, इनकी विशेषता यह रही है कि राजनीति विज्ञान व्याख्याता की कर्मभूमि के साथ इन्होंने हमेशा अपने विद्यार्थियों के बालमन को टटोला व उन्हें गद्य व पद्य दोनों में कलम चलाने हेतु प्रेरित किया। बाल साहित्य सृजन द्वारा इन्होंने इस क्षेत्र की एक बहुत बड़ी कमी को अपनी रचनाओं से पूरा किया। सामाजिक मंचों पर पत्रकारिता की नजर से अनेक प्रतिभाओं को मंच प्रदान किया व प्रोत्साहक बनकर उनके साक्षात्कार भी पत्रिकाओं में प्रकाशित करवाएं हैं।

अस्सी के पार आज भी साहित्य सृजक युवा हैं, दिनेश विजयवर्गीय Dinesh Vijayvargiya is still a youth beyond eighty

आकाशवाणी जयपुर व कोटा से रचनाओं का प्रसारण विजयवर्गीय जी की सोच हैं कि लेखन सच्चे मित्र की तरह साथ देता है। सरस्वती की अनुकम्पा से इनका साहित्य सृजन बना हुआ है। विजयवर्गीय जी की बाल कहानी संग्रह ‘साहस का सम्मान’ दो भागों में और कविता संग्रह ‘शब्दों की सृजन यात्रा’ दो पुस्तक प्रकाशित हुई हैं। अभी भी दिनेश विजयवर्गीय जी बाल कहानी संग्रह तथा कहानी संग्रह के प्रकाशन की सोच बनाये हुय निरन्तर प्रयत्नशील बने हुए हैं।
बालकों को साहित्य से लालायित करने की अद्भुत कला, प्रतिभाओं को मंच देने का जौहरी सा जजबा, कला व संस्कृति के अनछुए पहलुओं को प्रकाश में लाने की अनूठी लालसा के साथ समाजसेवी संस्थाओं से जुड़कर सामुदायिक विकास कार्यों में योगदान देता एक सृजनशील व्यक्तित्व जी हां हम बात कर रहें हैं कलम के धनी छोटी काशी के दिनेश विजयवर्गीय की, जो कि पूरे देश मे साहित्य लेखन व पत्रकारिता में अपनी सहज सरल प्रवृति के साथ अपनी अलग पहचान रखतें हैं। सेवानिवृत्ति के बाद से ईश्वर की सेवा स्वरूप विजयवर्गीय अस्सी के पार भी समय के समुचित प्रबंधन के साथ सृजन को आयाम देंते हुए सतत क्रियाशील हैं ।अपनी सक्रिय कार्यशीलता से आप सहज ही नई पीढ़ी को समय के सदुपयोग का पाठ पढ़ा जातें हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी आपका जोश उमंग वह कर्मठता देखते ही बनती है कला संस्कृति स्थानीय प्रतिभाओं को तलाशना उन्हें प्रोत्साहित करना और उन पर लेख लिखना इनकी दिनचर्या का एक हिस्सा है।

14 सितंबर 1943 को कोटा में जन्मे विजयवर्गीय राजनीति विज्ञान में अधि स्नातक व शिक्षा स्नातक के साथ स्कूल शिक्षा में व्याख्याता पद पर कार्य करते हुए ही आपने नई पीढ़ी को सृजनात्मक लेखन के गुर सिखाए साथ ही जीवन के प्रति सकारात्मक दिशाबोध का मूल मंत्र प्राप्त आपके अनेक शिक्षार्थी आज व्याख्याता, शिक्षक, प्रबंधक, चिकित्सा व विविध क्षेत्रों में पहचान बनाये हुए हैं । आपके अंदर के बहुआयामी प्रतिभा से परिपूर्ण बालक को उस समय अनुभूत किया जा सकता है जब बाल साहित्यकार के रूप में आप की कलम से निकलने वाली कविताएं कार्टून व बाल कथाएं बच्चों को आकर्षित करतीं हैं।
साहित्य सृजन हेतु भावी पीढ़ी के प्रेरक दिनेश विजयवर्गीय की सोच और दृष्टिकोण है कि व्यक्ति को पल पल खिसकते समय का उपयोग सकारात्मक सोच रखते हुए करना चाहिए। जब कोई समय के मूल्य को पहिचानता है तो समय भी उसे स्वस्थ एवं सही दिशा देकर सुखद भविष्य की ओर बढाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता।

राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाऐं बनी हैं आपके लेखन व सृजन की साक्षी
विजयवर्गीय की ज्ञान प्रसार की अथक यात्रा व साधना अवस्था के इस पड़ाव में आपने अपनी कलम से विभिन्न प्रख्यात समाचार पत्रों को पुष्ट किया है साथ ही साहित्य सृजन की यात्रा मे विभिन्न पत्रिकाओं को आलोकित किया है।

इन सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं –
साहित्य सृजन सम्मानों के साथ राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान, राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा राज्य स्तरीय बाल साहित्यकार सम्मान,श्री भारतेंदु समिति द्वारा साहित्य श्री व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग राजस्थान सरकार द्वारा राज्य स्तरीय वृद्धजन सम्मान सहित अनेक सम्मान।