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दवाओं के दुरुपयोग से साधारण संक्रमण हो रहे लाइलाज Common infections are becoming incurable due to misuse of medicines

नईदिल्ली.शोभा शुक्ला, बॉबी रमाकांत(सिटिज़न न्यूज़ सर्विस)/ @www.rubarunews.com>> जो दवाएँ हमें रोग या पीड़ा से बचाती हैं और अक्सर जीवनरक्षक होती हैं, यदि हम उनका दुरुपयोग करेंगे तो वह रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु पर असर नहीं करेंगी और रोग लाइलाज तक हो सकता है। यदि दवाएँ बेअसर हो जायेंगी तो ऐसे में, रोग के उपचार के लिए नयी दवा चाहिए होगी, और यदि नई दवा नहीं है तो रोग लाइलाज हो सकता है। अनेक ऐसे गंभीर और साधारण संक्रमण हैं जिनका इलाज मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि दवाओं का दुरुपयोग हो रहा है।

एक नयी दवा को शोध से रोगग्रस्त इंसान के उपचार तक पहुँचने में सालों लग जाते हैं और अत्यधिक व्यय भी होता है। लापरवाही से हो रहे अनुचित दवाओं के दुरुपयोग के कारण, हम प्रभावकारी दवाओं को क्यों खो देना चाहते हैं?

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस) के कारण दुनिया में 50 लाख से अधिक लोग एक साल में मृत होते हैं। विश्व बैंक की 2017 रिपोर्ट के अनुसार, यदि दवा प्रतिरोधकता पर अंकुश नहीं लगाया गया तो 2050 तक इससे हर साल रुपये 1200 खरब तक का आर्थिक नुक़सान होगा। विश्व बैंक का आँकलन है कि 2030 तक दवा प्रतिरोधकता के करण लगभग 3 करोड़ अधिक लोग ग़रीबी में धँसेंगे।

अपनी आप-बीती साझा करते हुए वनेसा कार्टर ने बताया कि कैसे रोगाणुरोधी प्रतिरोध ने उनके पूरे जीवन की दिशा ही बदल दी। रोगाणुरोधी प्रतिरोध से जूझने में उनके कम-से-कम 10 साल चले गये। अब वह बहादुरी से रोगाणुरोधी प्रतिरोध के ख़िलाफ़ जागरूकता अभियान में प्रयासरत हैं।

2004 में वह 25 साल की थीं जब दक्षिण अफ़्रीका में वह एक भयानक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से चोटिल हो गयीं थीं। उनको सड़क के किनारे ही जीवन रक्षक प्राथमिक उपचार दिया गया, लाइफ सपोर्ट पर रखा गया, चेहरे पर अनेक फ्रैक्चर थे, और एक आँख तक हमेशा के लिए चली गई थी। सर में गंभीर चोट थी, पेल्विस की हड्डी टूट गई थी, और रीढ़ को भी चोट लगी थी। चेहरे पर सबसे गंभीर चोटें थीं जिनसे उभरने में उनको 10 साल लग गये थे। अनेक आपरेशन के बाद उनको अनेक इंप्लांट लगे थे।

इस दुर्घटना के छह साल बाद, वह अस्पताल से विदा हुईं। एक दिन बाज़ार में उनको महसूस हुआ कि चेहरे पर नमी है। जब आईने में चेहरा देखा तो पूरा चेहरे पर नमी नहीं, मवाद था। तुरंत उनको अस्पताल की आकस्मक सेवा में भर्ती किया गया क्योंकि चेहरे में इंप्लांट के पास गंभीर संक्रमण हो गया था। अनेक आपरेशन पर आपरेशन हुए, अनेक विशेषज्ञ चिकित्सकों ने उनका इलाज किया, और अंततः उनको रोगाणुरोधी प्रतिरोधक एमआरएसए संक्रमण निकला – जिसका इलाज दवा प्रतिरोधकता के कारण बहुत जटिल हो गया था – आम दवाएँ बेअसर थीं।

एक साल तक उनके सभी आपरेशन स्थगित किए गए क्योंकि उनपर एंटीबायोटिक काम ही नहीं कर रही थी। उनको अपना चेहरा छुपाना पड़ रहा था क्योंकि वह नक़ली आँख तक नहीं लगा पा रही थीं। वह अपने बच्चे को स्कूल से लेने भी नहीं जा सकती थीं क्योंकि अन्य बच्चे उनको देख के डर जाते थे।

वेनेसा कार्टर ने सीएनएस (सिटिज़न न्यूज़ सर्विस) को बताया कि उनकी लगभग सेप्सिस के कारण मृत्यु होते होते बची और अब वह ठीक तो हैं परंतु सारी उम्र शारीरिक विकृति और बिगड़े हुए चेहरे के साथ जीवित रहेंगी – इसके लिए कुछ हद तक दुर्घटना ज़िम्मेदार है परंतु काफ़ी हद तक एमआरएसए संक्रमण ज़िम्मेदार है जिसके इलाज के लिए कोई दवा सालों तक काम ही नहीं कर रही थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ फ़िलिप मैथ्यू ने एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस पर तीसरे वैश्विक मीडिया फोरम में कहा कि दवाओं के दुरुपयोग के कारण, रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु, प्रतिरोधकता विकसित कर लेते हैं, और दवाओं को बेअसर करते हैं। दवा प्रतिरोधकता की स्थिति उत्पन्न होने पर रोग का इलाज अधिक जटिल या असंभव तक हो सकता है। साधारण से रोग जिनका पक्का इलाज मुमकिन है वह तक लाइलाज हो सकते हैं। इसको एंटीमाइक्रोबायल रेजिस्टेंस या रोगाणुरोधी प्रतिरोध कहते हैं। दवाओं का अनुचित और अनावश्यक दुरुपयोग सिर्फ़ मानव स्वास्थ्य में ही नहीं हो रहा है, बल्कि पशु स्वास्थ्य और पशु पालन, कृषि और खाद्य वर्ग, में भी दवाओं का दुरुपयोग हो रहा है।

दवाओं के दुरुपयोग से साधारण संक्रमण हो रहे लाइलाज Common infections are becoming incurable due to misuse of medicines

इसीलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि न सिर्फ़ मानव स्वास्थ्य में बल्कि सभी वर्गों में दवाओं के अनुचित, अनावश्यक या दुरुपयोग पर पूर्ण रोक लगे जिससे कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर अंकुश लग सके। मुख्यत: मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ, पशु स्वास्थ्य और पशु पालन, कृषि और खाद्य, और पर्यावरण से जुड़े वर्गों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी स्तर पर और किसी भी रूप में, दवाओं का अनुचित, अनावयश्यक या दुरुपयोग नहीं हो। इस व्यापक अन्तर-वर्गीय प्रयास को ‘वन हेल्थ’ भी कहते हैं।

संयुक्त राष्ट्र की कृषि और खाद्य संस्था के इमैनुएल क़ाबली ने कहा कि कृषि और खाद्य प्रणाली में हर स्तर पर, दवाओं के अनुचित, अनावश्यक या दुरुपयोग पर रोक लगाना सर्व हितकारी है। खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए दवाओं का अनावश्यक, अनुचित या दुरुपयोग को जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है। उनका मानना है कि कृषि संबंधित जैव विविधिता और पारिस्थितिक तंत्र को नाश होने के कारण भी दवाओं का अनावश्यक, अनुचित या दुरुपयोग बढ़ा है। इसके कारण रोग उत्पन्न करने वाले कीटाणु दवा प्रतिरोधक हो रहे हैं। पशु पालन हो या कृषि से जुड़ा क्षेत्र, हर जगह दवाओं का उचित और आवश्यक उपयोग ही हो और किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाये।

वर्ल्ड ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर एनिमल हेल्थ (पशु स्वास्थ्य के लिए वैश्विक संस्था) की हेवियर यूजरोस मार्कोज़ का कहना है कि पशुपालन में संक्रमण नियंत्रण असंतोषजनक होने पर, दवाओं का अत्यधिक अनावश्यक, अनुचित दुरुपयोग होता आया है जो पूर्णत: ग़लत है। सर्वप्रथम तो पशुपालन में संक्रमण नियंत्रण संतोषजनक होना चाहिए।

युगांडा की पर्यावरण राज्य मंत्री सुश्री बीट्रिस ने कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध की सबसे अधिक मार, वैश्विक दक्षिण के देश झेल रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ़िलिप मैथ्यू ने कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध को ‘शांत महामारी’ कहना सही नहीं है क्योंकि उसके कारण ५० लाख से अधिक लोग हर साल मृत हो रहे हैं। वैश्विक जन स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक रोगाणुरोधी प्रतिरोध है।