रामगढ़ में बाघ की दहाड का रास्ता साफ, एनटीसीए ने दी टाइगर रिजर्व बनाने की सैद्धांतिक स्वीकृति
नई दिल्ली/कोटा.KrishnaKantRathore/ @www.rubarunews.com- राजस्थान और हाड़ौती के पर्यटन के लिए बड़ी खबर है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री से सहमति मिलने के बाद नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथाॅरिटी ने बूंदी के रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की सहमति दे दी है। एनटीसीए ने इस बाबत सोमवार को राजस्थान के वन सचिव को पत्र भेजा है।
बूंदी का रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य सदियों से वन्यजीवों की शरणस्थली और उनका प्राकृतिक आवास रहा है। इस अभ्यारण्य के सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व और कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से जुड़े होने के कारण यह बाघों की दोनों टाइगर रिजव्र्स के बीच मूवमेंट का सुरक्षित प्राकृतिक गलियारा सिद्ध हुआ है। पूर्व में रणथम्भौर से बाघ टी-91 और टी-62 यहां आए। वर्तमान में विगत करीब एक वर्ष से टी-115 की रामगढ़ अभ्यारण्य में मूवमेंट बनी हुई है।
बाघों की मूवमेंट और यहां उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए बरसों से इसे टाइगर रिजर्व घोषित किए जाने की मांग की जा रही थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इसको लेकर गंभीर थे। इसी संबंध में गत 27 मई को राजस्थान के वन सचिव ने एनटीसीए को पत्र लिखकर इस क्षेत्र को टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किए जाने की सहमति के लिए आग्रह किया था।
एनटीसीए की तकनीकी समिति की गत 21 जून को हुई बैठक के बाद सैद्धांतिक सहमति की स्वीकृति दिए जाने की सिफारिश के साथ फाइल केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री को भेज दी गई थी। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने इस बारे में मंत्री से बात की जिसके बाद फाइल पर सहमति मिलने पर एनटीसीए ने सोमवार को सैद्धांतिक स्वीकृति का पत्र जारी कर दिया।
अब राजस्थान सरकार की ओर से इसे टाइगर रिजर्व के रूप में अधिसूचित किया जाएगा। उसके बाद यहां प्रे-बेस तैयार करने, एनक्लोजर बनाने, टाइगर रिजर्व की फेंसिंग आदि कार्य पूरे होने के बाद बाघ शिफ्ट किए जाने से संबंधित प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
क्षेत्र में पर्यटन को लगेंगे पंख
रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभ्यारण्य में बाघ की दहाड़ गूंजने के बाद इस क्षेत्र में पर्यटन को पंख लग जाएंगे। बूंदी का पर्यटन क्षेत्र में अपना एक नाम है। देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां के गौरवशाली इतिहास की झलक देखने को आते हैं। बाघ आने पर इस क्षेत्र में एक और आकर्षण जुड़ जाएगा।
ट्यूरिस्ट सर्किट विकसित होने की संभावना
रणथम्भौर में आने वाले पर्यटकों के लिए सुबह के समय सफारी करने के बाद दिनभर के लिए कोई गतिविधि नहीं बचती। जबकि बूंदी में सुबह की सफारी के बाद वे दिनभर का समय ऐतिहासिक किला, बावड़ियां, शैलचित्र और अन्य जगह देखने में बिता सकते हैं। कोटा के बेहद नजदीक होने के कारण मुकुंदरा में वह जल और जंगल की सफारी एक साथ कर सकते हैं। इसके अलावा वे बारां के रामगढ़ क्रेटर, शाहाबाद के किले व अन्य जगहों को भी दे सकते हैं। इस तरह पर्यटकों का फोकस रणथम्भौर से हाड़ौती की ओर शिफ्ट हो सकता है।
रणथम्भौर पर बाघों पर दबाव होगा कम
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व में इन दिनों बाघों में क्षेत्राधिकार के लिए संघर्ष हो रहा है। इसका कारण वहां बाघों की संख्या काफी बढ़ जाना है। मुकुंदरा तथा रामगढ़ में बाघों की शिफ्टिंग होने पर रणथम्भौर में बाघों पर दबाव कम होगा।
35 वर्ष पहले यहां थे 9 बाघ
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य में वर्ष 1985 में 9 बाघ थे। 1996 में इनकी संख्या घटकर 4 और 1997 में 3 रह गई। वर्ष 2014 व वर्ष 2017 में यहां एक-एक बाघ देखा गया।
30 हजार हेक्टेयर से अधिक का कोर एरिया
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 30920.51 हेक्टेयर का होगा जबकि बफर जोन 74091. 93 हेक्टेयर का होगा। रिजर्व क्षेत्र में वनस्पतियों और वन्य जीवों की जैव विविधता स्पष्ट दृष्टिगत होती है।