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सतत विकास के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री प्रतिबद्ध- श्री तोमर Prime Minister is committed to achieving the goal of sustainable development – Shri Tomar

श्योपुर.Desk/ @www.rubarunews.com>>टिकाऊ खेती के लिए मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर ने किया। इस मौके पर श्री तोमर ने कहा कि रासायनिक खेती व अन्य कारणों से मिट्टी की उर्वरा शक्ति का क्षरण हो रहा है, जलवायु परिवर्तन का दौर भी है, ये परिस्थितियां देश के साथ ही दुनिया को चिंतित करने वाली है। विशेष रूप से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी इस दिशा में चिंतित है। वे समय-समय पर कार्यक्रमों का सृजन करते हैं,योजनाओं पर काम करते रहते हैं। पीएम सतत विकास के लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
आजादी के अमृत महोत्सव व विश्व मृदा दिवस के उपलक्ष में नीति आयोग द्वारा फेडरल मिनिस्ट्री फार इकानामिक कोआपरेशन एंड डेवलपमेंट (बीएमजेड), जर्मनी से सम्बद्ध जीआईजेड के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन  में मुख्य अतिथि श्री तोमर ने कहा कि मिट्टी में जैविक कार्बन की कमी होना हम सबके लिए बहुत गंभीर बात है। बेहतर मृदा स्वास्थ्य की गंभीर चुनौती से निपटने के लिए हमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना होगा, जो पर्यावरणीय दृष्टि से उपयुक्त है। इसके लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार, राज्यों के सहयोग से तेजी से काम कर रही है। सरकार ने भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति खेती को फिर से अपनाया है। ये विधा हमारी पुरातनकालीन है, हम प्रकृति के साथ तालमेल करने वाले लोग रहे हैं। आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अनेक नवाचार किए है। बीते सालभर में 17 राज्यों में 4.78 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया गया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु केंद्र सरकार ने 1584 करोड़ रुपये के खर्च से प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन को पृथक योजना के रूप में मंजूरी दी है।

सतत विकास के लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री प्रतिबद्ध- श्री तोमर Prime Minister is committed to achieving the goal of sustainable development – Shri Tomar

नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा किनारे भी प्राकृतिक खेती का प्रकल्प चल रहा है, वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) तथा सभी कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) केंद्रीय-राज्य कृषि विश्वविद्यालय, महाविद्यालय प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए चौतरफा कोशिश कर रहे हैं।
श्री तोमर ने बताया कि भारत सरकार मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से भी काम कर रही है। दो चरणों में 22 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड देशभर में किसानों को वितरित किए गए हैं। मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत सरकार द्वारा अवसंरचना विकास भी किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न प्रकार की मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने का प्रावधान है। अब तक 499 स्थायी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 113 मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, 8811 मिनी मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं और 2395 ग्रामस्तरीय सॉइल टेस्टिंग प्रयोगशालाएं स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि एक समय था, जब नीतियां उत्पादन केंद्रित थी व रासायनिक खेती के कारण कृषि उपज में वृद्धि हुई, लेकिन वह तब की परिस्थितियां थी, अब स्थितियां बदल गई है, जलवायु परिवर्तन की चुनौती भी सामने है व मृदा स्वास्थ्य अक्षुण्ण रखना बड़ी चुनौती है। प्रकृति के सिद्धांतों के विपरीत धरती का शोषण करने की कोशिश की गई तो परिणाम खतरनाक हो सकते हैं। आज रासायनिक खेती के कारण मिट्टी की उर्वरा शक्ति का क्षरण हो रहा है, देश-दुनिया को इससे बचकर पयार्वरणीय जिम्मेदारी निभाना चाहिए।
सम्मेलन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सदस्य प्रो. रमेश चंद, सीईओ  परमेश्वरन अय्यर, वरिष्ठ सलाहकार सुश्री नीलम पटेल, केंद्रीय कृषि वि.वि. झांसी के कुलपति डा. ए.के. सिंह तथा  ड्रिक स्टेफिस सहित अनेक वैज्ञानिक, नीति निर्माता व अन्य हितधारक उपस्थित थे। सम्मेलन में विभिन्न तकनीकी सत्रों में विशेषज्ञों ने संबोधित किया।