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फासीवाद के खिलाफ जनता को लामबंद करना कम्युनिस्ट संगठनों का ऐतिहासिक दायित्व

भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com-सोवियत क्रान्ति के महान जन नायक, क्रांतिकारी, चिंतक लेनिन की 154 वीं जयंती के अवसर पर 22 अप्रैल को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के तत्वावधान में ” फासीवाद और कम्युनिस्ट ” विषयक संगोष्ठी स्थानीय शाकिर सदन में आयोजित की गई।इस संगोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता कॉमरेड डी डी शर्मा ने की।मुख्य वक्तव्य कॉमरेड शैलेन्द्र शैली ने दिया । सेवा निवृत्त वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और लेखक कॉमरेड अजय सिंह गंगवार ने विशेष अतिथि के रूप में संबोधित किया।संगोष्ठी में प्रबुद्ध वक्ताओं ने लेनिन के प्रेरक अवदान को याद करते हुए फासीवाद के गहराते संकट और इसका प्रतिरोध करने के लिए कम्युनिस्ट संगठनों के एतिहासिक दायित्व को रेखांकित किया।

भाकपा नेता कॉमरेड शैलेन्द्र शैली ने अपने मुख्य वक्तव्य में फासीवाद की अमानवीय प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि ” फासीवाद का प्रतिरोध करने के लिए वैज्ञानिक समझ और प्रगतिशील मूल्यों की बुनियाद जरूरी है। तर्क विहीन ,अवैज्ञानिक समझ से फासीवाद का प्रतिरोध नहीं किया जा सकता है।विगत एक सदी का इतिहास गवाह है कि सिर्फ़ कम्युनिस्ट संगठनों ने ही सारी दुनिया में फासीवादी ताकतों का प्रतिरोध किया है।भारत के भविष्य के लिए वर्ष 2024 एक निर्णायक समय है ,जब कम्युनिस्ट संगठनों पर यह ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि भारत के संवैधानिक मूल्यों,लोकतंत्र ,अभिव्यक्ति की आज़ादी,सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए फासीवाद के खिलाफ जनता को लामबंद करें ।क्योंकि फासीवाद का प्रतिरोध सिर्फ़ कम्युनिस्ट ही अपनी वैज्ञानिक ,वैचारिक समझ और सैद्धांतिक दृढ़ता से करते रहे हैं।फासीवाद का प्रतिरोध करने के लिए प्रत्येक कम्युनिस्ट को खुद को और अधिक प्रखर कम्युनिस्ट के रूप में विकसित करने का आत्म संघर्ष करते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के संगठन को मजबूत करना चाहिए ।”
कॉमरेड अजय सिंह गंगवार ने कहा कि ” फासीवाद लोकतंत्र के रास्ते से आता है और फिर लोकतंत्र को ही सबसे पहले ध्वस्त करता है।भारत में इस तरह का फासीवाद का संकट गहराता ही जा रहा है।हम एक निर्णायक समय में खड़े हैं जब हमको कम्युनिस्ट के रूप में मानवता की रक्षा करने के लिए ऐतिहासिक जिम्मेदारी का निर्वहन करना है ।फासीवाद धर्म के नाम पर जनता को भ्रमित करता है।फासीवाद का प्रतिरोध करने के लिए जनता की वैज्ञानिक समझ को विकसित करना भी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।”
संगोष्ठी के अध्यक्ष कॉमरेड डी डी शर्मा ने कहा कि ” भारत का संविधान फासीवादी ताकतों के रास्ते में बहुत बड़ी बाधा है।भाजपा अपने बहुमत के आतंक से भारत के संवैधानिक मूल्यों को ध्वस्त करने की साजिश कर रही है।इस खतरे के प्रति जनता को सजग करना और फासीवाद के खिलाफ मेहनतकश जनता को लामबंद करना बेहद जरूरी है। ”
कार्यक्रम में नवाब उद्दीन, बी पी मिश्रा,शंकर राव ,जमना प्रसाद ,यूसुफ भाई , सिया शरण शाक्य ,कुलदीप ,शेर सिंह, जितेन्द्र रायकवार ,संजय रायकवार ,ज्योति आदि शामिल हुए।