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बूंदी जिले की 61.72 हेक्टेयर ओरण भूमि होगी डीम्ड फोरेस्ट घोषित

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- राजस्थान में सदियों से ओरण के नाम से संरक्षित की गई लाखों हैक्टेयर भूमि को वन विभाग अब डीम्ड फॉरेस्ट घोषित करने की तैयारी कर रहा हैं। सदियों से ओरण भूमि के नाम से गांवों में मंदिरों और देवस्थानों के आसपास की जमीन को खेती से मुक्त रखा जाता था, जिस पर न तो खेती की जाती हैं और न ही इन स्थानों पर लगे पेड़ों की कटाई की जाती है, इसलिए यहां पशु-पक्षी स्वछंद विचरण करते हैं। ओरण भूमि पशु-पक्षियों के लिए वरदान और जैव विविधता की खान होती हैं। इसके लिए वन विभाग ने प्रदेश के 32 जिलों की 4 लाख हेक्टेयर से अधिक ओरण भूमि को चिन्हित कर नोटिफिकेशन जारी किया है। विभाग ने विज्ञप्ति के माध्यम से जनसाधारण को सूचित करते हुए इससे संबंधित आपत्तियां व सुझाव भी मांगे हैं।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक, कार्य आयोजना एवं वन बन्दोबस्त द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार ओरण एवं पारिस्थितिकी क्षेत्रों को डीम्ड फॉरेस्ट घोषित किये जाने निर्णय उच्चतम न्यायालय के आदेश पर किया जा रहा है। जिसके तहत हाडौती के कोटा, बांरा, बूंदी, झालावाड़ सहित अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा, नागौर, डीडवाना-कुचामन, करौली, डीग, सवाईमाधोपुर, जयपुर, दौसा, अलवर, नीम का थाना, झुंझुनूं, कोटपूतली-बहरोड़, बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, अनूपगढ़, जोधपुर, जैसलमेर, पाली, सांचौर, जालौर, बाड़मेर, बालोतरा, फलौदी, सिरोही एवं बांसवाड़ा जिले की ओरण एवं पारिस्थतिकी तंत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली भूमियों शामिल हैं।
बून्दी जिलें में 16 गांवों की भूमि होगी डिम्ड
बून्दी जिले की 16 गावोंं की ओरण भूमि को डीम्ड घोषित किए जाने की तैयारी हैं, जिसमें बून्दी तहसील के पलका, गरड़दा, हिंड़ोली तहसील के दुर्गापुरा, रामनिवास, धनपुरा, रोणिजा, तालेड़ा तहसील के जाखमुंड, बालापुरा, गागोस, आमथुन, धोरेला (सिमलिया महादेव), सुतड़ा, पराणा और नैंनवां तहसील के जजावर व फुलेता गांवों की 61.72 हैक्टेयर भूमि शामिल हैं।
क्या है ओरण भूमि
वर्षों पहले गांवों में मंदिरों और देवस्थानों के आसपास की वो जमीन जिसे खेती से मुक्त कर दिया गया था, ओरण भूमि, वनक्षेत्र या वन भूमि कहलाती हैं। ओरण भूमि जैव विविधता की खान है। ओरण की भूमि पर न तो खेती की जाती है और न ही इन स्थानों पर पेड़ों की कटाई की जाती है, इसलिए यहां पशु-पक्षी स्वछंद विचरण करते हैं। ओरण भूमि पशु-पक्षियों के लिए वरदान है। वन विभाग की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन में अधिकतर ओरण भूमि पश्चिमी राजस्थान के जिलों की है।
यह आएगा बदलाव
उपवन संरक्षक तरूण मेहरा ने बताया कि ओरण को डीम्ड फोरेस्ट घोषित करने का उद्देश्य पेड़ों व पशु-पक्षियों को बचाना है। वर्तमान में ओरण भूमि का जो उपयोग हो रहा है, वो जारी रहेगा। लेकिन डीम्ड फोरेस्ट घोषित होने के बाद लोग न तो खनन कर पाएंगे और न ही पक्का निर्माण करवा पाएंगे। पक्की सड़क बनाने के लिए भी फोरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट के तहत अनुमति लेनी होगी। जबकि ग्रामीण औरण में घास व पेड़ पौधे बिना अनुमति लगा सकेंगे।
यह हैं हाड़ौती में ओरण भूमि
बारां – 1194.2583 हेक्टेयर
बूंदी – 61.72 हेक्टेयर
कोटा – 163.96 हैक्टेयर
झालावाड़ – 32.8009 हैक्टेयर
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रकरण संख्या 202/1995, आई.ए. संख्या 41723/2022 में पूरे देश में वृक्ष आच्छादित क्षेत्र, ओरण गोचर भूमि एवं पारिस्थितिकी क्षेत्रों को डीम्ड फॉरेस्ट घोषित किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। जिनकी पालना में 32 जिले की ओरण एवं पारिस्थतिकी तंत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली भूमियों को डीम्ड फॉरेस्ट घोषित किया जाना है।

इनका कहना है
पेड़-पौधों, वनस्पति व पशु-पक्षियों को बचाने के लिए डीम्ड फोरेस्ट घोषित होने के बाद इन ओरण गोचर भूमि पर गैर वानिकी गतिविधियों नहीं हो सकेंगी। इन भूमि पर किसी भी पक्के निर्माण के लिए वन संरक्षण अधिनियम के तहत वन विभाग से सवीकृति लेनी होगी।
– तरुण मेहरा, उपवन संरक्षक, बून्दी