भाजपा में भरमार, कांग्रेस में किल्लत – प्रसंग में श्योपुर के नपा के अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी
श्योपुर[email protected]प्रदेश में निकाय चुनाव की सरगर्मी अचानक बढ़ गई है। निकाय प्रमुख के पदों की आरक्षण प्रक्रिया ने इस आंच को और बढ़ा दिया है। हालांकि चुनावी कार्यक्रम के लिए अधिसूचना जारी होना अभी बाकी है। तथापि पदों की स्थिति स्पष्ट होने के बाद उन चेहरों को लेकर कयासों का दौर तेज़ हो गया है। जो जल्द ही अध्यक्ष पद की दावेदारी कर सकते हैं। श्योपुर नगरपालिका का अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित हुआ है। इस पद की दावेदारी के लिए दोनों प्रमुख दलों की स्थिति बिल्कुल अलग है। जहां एक ओर भाजपा में संभावित दावेदार महिलाओं की भरमार है। वहीं कांग्रेस में इस पद के योग्य चेहरों की भारी किल्लत है। इसकी पहली वजह पद का आरक्षित होना है। दूसरी वजह क्षेत्र में पार्टी संगठन का सिकुड़ जाना है। जिसके पीछे बीते दिनों का सियासी घटनाचक्र भी एक बड़ी वजह माना जा सकता है। इसके विपरीत देश और प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा में दावेदारी को लेकर दंगल की स्थिति बन सकती है। एक अदद पद की दावेदारी के लिए दर्जन भर से अधिक चेहरे भाजपा में मौजूद हैं। जिनकी मैदानी सक्रियता और संगठन निष्ठा पर कोई सवाल भी नहीं है। इनमें श्रीमती रमा वैष्णव का नाम सबसे ऊपर है। जो पिछली परिषद में पार्षद के तौर पर खासी चर्चित रही हैं। बेबाकी और मुखरता के लिए उनकी नगर भर में एक अलग पहचान भी बनी हुई है। उनके अलावा महिला मोर्चा के बैनर तले अपने समर्पण को साबित करने वाली महिला नेत्रियों की भी कोई कमी नहीं है। इस श्रृंखला में श्रीमती रानू रावत, मंजेश साहू, सुमन शिवहरे, उमा राठौर, कल्पना राठौर आदि के नाम शुरुआती चर्चा में हैं। इनके अलावा बबली सोनी का नाम भी चर्चा में रह सकता है। जो दो बार कांग्रेस पार्षद रह चुकी हैं और अब सिंधिया समर्थक के तौर पर भाजपा में हैं। इसी धड़े के कुछ अन्य नेता भी अपनी पत्नियों के नाम आगे ला सकते हैं। जिनमें पूर्व नपाध्यक्षक ओम राठौर सबसे आगे हैं। इसी कवायद में भाजपा के कुछ पुराने नेता भी पीछे रहने वाले नहीं हैं। इनमें एक नाम भाजपा नेता हरनारायण जाट का भी हो सकता है। कांग्रेस की बात की जाए तो मामला पूरी तरह उल्टा है। कांग्रेस के पास पिछड़ा वर्ग की नेत्रियों में एकमात्र नाम लक्ष्मी शिवहरे का है। धरातल पर सक्रिय रही श्रीमती शिवहरे एक अरसे से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अतुल चौहान की टीम में भी हैं। उनके अलावा इंका नेता रामलखन हिरनीखेड़ा की धर्मपत्नी श्रीमती पोस्ती रावत का नाम चर्चा में आ सकता है। जो ज़िला पंचायत की सदस्य रह चुकी हैं। इन दो नामों के अलावा तीसरा नाम सामने आया तो वो किसी घरेलू महिला का ही होगा। क्योंकि कांग्रेस के मैदानी संगठन में महिलाओं का बरसों से टोटा बना हुआ है। ऐसे में यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि इस प्रतिष्ठापूर्ण पद की दावेदारी में किसका चेहरा पार्टी संगठन की पसंद बन पाता है। इतना ज़रूर तय है कि भाजपा को उम्मीदवार के चयन के लिए खासी माथापच्ची करनी पड़ेगी। कांग्रेस इस संकट से लगभग मुक्त रहेगी।