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श्योपुर की परम्परागत डिश दाल-बाटी-चूरमा एक जिला एक व्यंजन के रूप में चयनित

श्योपुर.Desk/ @www.rubarunews.com-सरकार द्वारा शुरू की गई एक जिला, एक व्यंजन एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य है हर जिले के अपने विशिष्ट व्यंजनों को बढ़ावा देना है। यह योजना विभिन्न क्षेत्रों के व्यंजनों की विविधता को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। इसी क्रम में कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट  अर्पित वर्मा के मार्गदर्शन में श्योपुर जिले के लिए यहां की परम्परागत एवं प्राचीन डिश दाल-बाटी-चूरमा को एक जिला एक व्यंजन के रूप में चयनित किया गया है।
जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र के अधिकारी  शुभम अग्निहोत्री ने बताया कि एक जिला एक व्यंजन के रूप में दाल-बाटी-चूरमा को चिन्हित किया गया है। इस योजना के तहत स्थानीय व्यंजनों को बढावा देने तथा व्यंजनो को बनाने में लगे परम्परागत लोगों को व्यवसाय, रोजगार उपलब्ध कराना है। प्रत्येक जिले की एक अद्वितीय पाक कला को प्रदर्शित करना और उसे राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस डिश का चयन किया गया है।
प्रबंधक  नवल किशोर ने बताया कि स्थानीय एवं पारम्पारिक व्यंजनो और पाक कला को संरक्षण प्रदान करने के साथ ही रोजगार के अवसर पैदा करने, पर्यटको को आकर्षित करने के उद्देश्य से योजना के तहत इसका चयन किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र से लगे श्योपुर जिले में दाल-बाटी-चूरमा और कत-बाटी जैसे व्यंजन विभिन्न अवसरो और त्यौहारो पर लोगों की पहली पंसद बने हुए है। ग्रामीण क्षेत्र हो या शहरी क्षेत्र में इस डिश की खासी मांग रहती है। शादी-विवाह हो या बर्थडे अथवा अन्य कोई खुशी के अवसर हो या फिर मुंडन संस्कार अथवा कोई धार्मिक प्रयोजन हो दाल-बाटी-चूरमा यहां की परम्परागत डिश है, हाड़ौती संस्कृति के चलते इस डिश में पचमेल दाल के साथ बाटी और चूरमे के लड्डू बनाये जाते है। इसके साथ ही सर्दीयो के मौसम में चूरमे के स्थान पर तिल्ली डालकर आटे के कत भी बनाये जाते है, इस डिश में बेसन गट्टा अथवा कडी, चावल और लहसन की चटनी, नमकीन छाछ और सलाद भी रहता है। देशी घी का उपयोग इस डिश को ओर भी अधिक स्वादिष्ट बनाता है।

Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com