नई शिक्षा नीति में कई खामियां- डॉ. अनीता रामलाल
आम आदमी की पहुंच से दूर हो रही बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं
दतिया/ भोपाल @rubarunews.com>>>>>>>>>>>>>हमारे समाज में बहुपरती शिक्षा प्रणाली और महंगी होती स्वास्थ सेवा के कारण गैरबराबरी बढ़ती जा रही है। बेहतर शिक्षा और अच्छा स्वास्थ्य सबका हक है। यह अधिकार हमें भारतीय संविधान ने दिया है। इसका पालन नहीं हो रहा है। शिक्षा और स्वास्थ को बाजार के हवाले कर मुनाफाखोरी की छूट दे दी गई है।
इसका नतीजा यह है कि समाज में अच्छी शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के इंतजाम पैसे वालों तक सिमटकर रह गए। मध्यम वर्ग और कमजोर वर्ग के लोगों को अच्छी शिक्षा और बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है। सबको बेहतर शिक्षा , अच्छा इलाज आसानी से मिले , भेदभाव दूर हो इसके लिए समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर बड़े जनांदोलन करने की जरूरत है। हमारे समय की मांग यही है। इसके साथ ही आम लोगों के बीच वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए अधिक प्रयास करना होंगे।
उक्त आशय के विचार आज भोपाल में 17वीं अखिल भारतीय जन विज्ञान कांग्रेस में वक्ताओं ने प्रकट किए। इस आयोजन का आज दूसरा दिन था। इसमें विषय विशेषज्ञों , सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य, शिक्षा, निजीकरण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर अपनी बात रखी। आयोजन के दौरान छोटे – छोटे समूहों में विज्ञान एवं सामाजिक विकास से जुड़े विषयों पर अलग अलग राज्यों से आए सामाजिक कार्यकर्ता चर्चा और चिंतन में जुटे रहे।
इस मौके पर दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. अनिता रामपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कई खामियां हैं, जो एक बड़े वर्ग को शिक्षा से वंचित कर सकती है।
शिक्षा नीति बनाने और उसके क्रियान्वयन में बाजार का हस्तक्षेप है। भारत के शिक्षा मॉडल में बाजारीकरण की झलक मिलती है। सरकारी स्कूलों की इतनी श्रेणियां बना दी गई है, जो अपने आप में भेदभाव को दर्शाता है।
इसी तरह वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर बात करते हुए साइंस डॉक्युमेंट्री निर्माता एवं वैज्ञानिक गौहर रजा ने कहा कि जरूरी नहीं कि जिन तक विज्ञान पहुंचे उन तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी पहुंचे। यह हमारी बड़ी जवाबदेही है कि इस वर्ग तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण पहुंचाया जाए। आयोजन में स्वास्थ्य के बारे में बात करते हुए वरिष्ठ स्वास्थ्य कार्यकर्ता समीर गर्ग विसंगतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
श्री गर्ग ने कहा कि आयुष्मान कार्ड जैसी योजना से निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को लाभ हो रहा है और सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा कमजोर हो रहा है। निजी अस्पताल मरीजों और सरकार दोनों से कमाई करने में लगे हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सत्यजीत रथ ने कहा कि महामारी या सामान्य समय में भी आम जनता तक दवाइयों के पहुंचने के साथ-साथ इसकी जानकारियों का भी पहुंचना जरूरी है। उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में हम उन बातों को नहीं जान पाते, जिनकी वजह से हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
आयोजन की जानकारी देते हुए सचिन श्रीवास्तव , राजू नीरा ने अपनी खबर को बताया कि अखिल भारतीय जन विज्ञान कांग्रेस के 17 वें अधिवेशन के दौरान आज चार विषयों स्वास्थ्य, शिक्षा, निजीकरण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर प्रो. अनिता रामपाल, प्रो. सुरोजीत मजूमदार, पूर्वा भारद्वाज, प्रो. आर. रामानुजन, प्रो. विनीता गोवडा, प्रो. डी. इंदुमती, मयंक वाहिया, गौहर रजा, किशोर चंद्र, विवेक मोंटेरियो, प्रो. सत्यजीत रथ, समीर गर्ग, इंदिरा चक्रवर्ती, वंदना प्रसाद, टी. सुंदररमन, दिनेश अब्रोल, अशोक धावले, डी. रघुनंदन, रामालिंगम ई., थॉमस फ्रैंको सहित देश के कई वरिष्ठ वैज्ञानिक, शिक्षाविद एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। छोटे – छोटे समूह में हो रही कार्यशालाओं में विभिन्न राज्यों से आए जमीनी कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए ।
शाम को विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न राज्यों के पुस्तकें एवं उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं। आंध्रप्रदेश के प्रतिभागियों ने अंधविश्वास एवं भ्रांतियों की वैज्ञानिक व्याख्या के लिए लाइव डेमो का स्टॉल लगाया है। “भारत का विचार’’ को लेकर विभिन्न महापुरुषों एवं वैज्ञानिकों के वक्तव्य के साथ वरिष्ठ चित्रकार मनोज कुलकर्णी की पेंटिंग प्रदर्शनी लगाई गई है। अधिवेशन के तीसरे दिन 8 जून को पर्यावरण, कृषि, आजीविका, लैंगिक समानता जैसे विषयों पर सेमिनार एवं कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।