राजस्थान

कहीं बाल विवाह ना होने पाए, सुनिश्चित करें- जिला कलेक्टर

बून्दीKrishnaKantrathore/ @www.rubarunews.com>> जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट  आशीष गुप्ता ने अक्षय तृतीया एवं पीपल पूर्णिमा पर समाज में प्रचलित बाल विवाह की कुरीति की रोकथाम के लिए ग्रामीण स्तर पर कार्यरत कार्मिकांे के दल का गठन किया है। दल में संबंधित ग्राम के स्कूल के प्रधानाध्यापक/प्रधानाचार्य, संबंधित भू.अभिलेख निरीक्षक, पटवारी, ग्राम सेवक, ए.एन.एम. एवं संबंधित आंगन बाड़ी कार्यकर्ता तथा साथिन सहयोगिनी शामिल हैं।




आदेशानुसार दल में शामिल कार्मिक अपने-अपने कार्यक्षेत्र में भ्रमण करते रहंेगे तथा यह ध्यान रखेगें कि कोई बाल विवाह सम्पन्न न होने पाए। गाँव में किसी प्रकार की रंगाई पुताई हुई हो, किन्ही बच्चे-बच्चियों ने मेहन्दी लगा रखी हो, किसी परिवार ने बैण्ड, ढोल, जीप, पण्डित, बस या अन्य कोई वाहन आदि बुक कर रखे हो तो भ्रमण के दौरान पता लगाकर यह सुनिश्चित करेगें कि प्रस्तावित विवाह नाबालिग बच्चों का तो नही है।
जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि यदि पूर्व में यह स्पष्ट हो जावे कि प्रस्तावित विवाह नाबालिग बच्चों का है तो तत्काल ही संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट कार्यपालक मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) अथवा निकटतम पुलिस स्टेशन को इसकी सूचना देगंे एवं सम्बंधित अधिकारी जिसे यह सूचना प्रस्तुत की जावेगी। संबंधित अधिकारी सूचना प्राप्त होते ही बाल विवाह को तत्काल रोकने की कार्यवाही करेंगे तथा साथ ही  संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट से निषेधाज्ञा प्राप्त कर नाबालिग बच्चो के बाल विवाह करने वाले आयोजको, अभिभावकों, माता पिता को पाबन्द कराएंगे।




जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि उपखण्ड मजिस्ट्रेट, तहसीलदार, विकास अधिकारी एवं संबंधित थानाधिकारी भी अपने अपने क्षेत्र के लिए पूर्णतया जिम्मेदार रहेगें। उनके क्षेत्राधिकार में कोई बाल विवाह सम्पन्न न होने पाए इसकी सुनिश्चितता करेंगे। उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदारगण, विकास अधिकारीगण एवं थानाधिकारी अपने अपने क्षेत्र में लगातार भ्रमण कर संबंधित गांव में उक्त कार्मिको से सम्पर्क कर सम्पन्न होने वाले विवाहो के संबंध में सूचना प्राप्त कर तद्नुसार कार्यवाही करेगें। यदि किसी क्षेत्र में बाल विवाह की घटना दृष्टिगोचर हुई तो संबंधित उक्त कार्मिक एवं उस क्षेत्र के उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारी के विरूद्ध भी जवाबदेही निर्धारित कर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।




जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि संबंधित उपखण्ड अधिकारी तथा तहसीलदार अक्षय तृतीया 14 मई से पूर्व ही अपने-अपने कार्यालय में कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के संबंध में संचालित नियंत्रण कक्ष को ही कोरोना कन्ट्रोल रूम के साथ साथ बाल विवाह कन्ट्रोल रूम के रूप में स्थापित करेंगे। उक्त कन्ट्रोल रूम कोरोना वायरस के नियंत्रण सहित बाल विवाह से संबंधित प्राप्त शिकायतों, सूचना के संबंध में भी कार्यवाही सम्पादित करेंगे। नियुक्त कार्मिक बाल विवाह से संबंधित पंजिका का भी संधारण करेंगे तथा बाल विवाह से संबंधित कोई भी सूचना प्राप्त होने पर संबंधित जिम्मेदार अधिकारी को त्वरित आवश्यक कार्यवाही हेतु अवगत कराऐंगे। साथ ही सभी संबंधित कार्यालयाध्यक्ष अपने अधीनस्थ कार्मिकों को कार्यवाही हेतु अपने स्तर पर पृथक से आदेश या निर्देश जारी कर पाबन्द करना सुनिश्चित करेंगे तथा इस आदेश की प्रति निर्देशानुसार पालनार्थ प्रेषित भी करेंगे।




नोडल अधिकारी व बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त
महिला बाल विकास विभाग उप निदेशक को बाल विवाह की रोकथाम हेतु ‘‘नोडल अधिकारी’’ बनाया गया है। साथ ही बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 16 के तहत संबंधित उपखण्ड अधिकारी एवं उप जिला मजिस्ट्रेट ‘‘बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी‘‘ नियुक्त है। यह अधिकारीगण अपने अपने क्षैत्र मे होने वाले बाल विवाह के लिए पूर्ण रूप से उत्तरदायी होंगे तथा जिस किसी भी अधिकारी के क्षेत्र मंें बाल विवाह होना पाया जाता है तो उनके विरूद्ध नियामानुसार कार्यवाही की जावेगी।