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आपातकाल लागू करना हमारे इतिहास का सबसे काला दौर- उपराष्ट्रपति Imposing emergency is the darkest period in our history – Vice President

नईदिल्ली.Desk/ @www.rubarunews.com>>उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि धरती पर कोई भी ताकत हमारी आबादी को मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों से वंचित नहीं कर सकती है। आपातकाल लागू करने को ‘इतिहास का सबसे काला दौर’ करार देते हुए उन्होंने लोगों से आह्वान किया वे उस दौर से सीखे सबक के साथ आगे बढ़ें।

आज राजभवन में राज्यपाल की 200वीं पुस्तक ‘वामन वृक्ष कला’ का विमोचन करते हुए श्री धनखड़ ने राज्यपाल की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहा कि राज्यपाल का पद “संविधान की रक्षा, संरक्षण और बचाव” को परिलक्षित करता है,  उपराष्‍ट‍्रपति ने प्रत्‍येक व्‍यक्ति को संविधान के अनुसार कार्य करने के लिए राज्यपाल की जिम्मेदारी को रेखांकित किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तक का विमोचन उपयुक्त समय पर हुआ है, य‍ह लोगों को उनकी व्यस्त जीवनशैली के बीच संतोष और शांति पाने का एक तरीका प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक प्रकृति से जुड़ाव के लिए एक शांतिमयी स्पेस मुहैया कराती है। उन्होंने यह भी कहा कि बोनसाई कला का आविर्भाव भारत में हुआ जो इस कला की उत्‍पत्ति को चीन और जापान के साथ जोड़ने वाली आम धारणा के विपरीत है।

आपातकाल लागू करना हमारे इतिहास का सबसे काला दौर- उपराष्ट्रपति Imposing emergency is the darkest period in our history – Vice President

तीन दशकों के प्रयासों के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पारित होने को इतिहास में एक ‘गौरवशाली क्षण’ बताते हुए, श्री धनखड़ ने इसकी सफलता का श्रेय दूरदर्शी, समर्पित और आम सहमति से संचालित दृष्टिकोण को दिया।

मनुष्यों को “पृथ्‍वी के ट्रस्टी” के रूप में संदर्भित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने रेखांकित किया कि पृथ्वी विशेष रूप से मनुष्यों के लिए नहीं है, बल्कि सभी जीवित प्राणियों के लिए है और प्रत्येक को इस पर रहने का अधिकार है। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए संतुलन बनाने के महत्व पर जोर दिया, इस बात पर बल दिया कि निर्णय राजकोषीय क्षमता के स्‍थान पर आवश्‍यकता अनुरूप होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने स्वच्छ भारत जैसी पहल के बाद देश के समुद्र तटों पर हो रहे एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण की ओर यह परिवर्तन “मनुष्यों के लिए एक आनन्दित क्षण है और इकोसिस्‍टम के प्रति समर्पित है। उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि इन परिवर्तनों से प्राकृतिक स्थलों के प्राचीन सौंदर्य का संरक्षण होगा।

इस अवसर पर गोवा के राज्यपाल श्री पीएस श्रीधरन पिल्लई, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, सांसद और भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष डॉ. पीटी उषा, जनपीठ पुरस्कार विजेता श्री दामोदर माउजो और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।