शहर में चारों तरफ गंदगी व गंदगी के ढेरों के चलते स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रदेश में 29 व नेशनल स्तर पर 410 वीं रैंकिंग में पहुंची छोटी काशी बूंदी
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार छोटीकाशी बूंदी पिछड़ती जा रही है। इस बार जारी रैंकिंग में बूंदी को प्रदेश में जहां 29 वीं रैंक हासिल हुई है। वहीं नेशनल रैंकिंग में कुछ सुधार करते हुए 410 वीं रैंकिंग मिली है। स्वच्छता में बूंदी का लगातार प्रदर्शन खराब ही होता जा रहा है। जिसका सबसे बड़ा कारण सफाई के प्रति बूंदी नगर परिषद की उदासीनता है जिला कलेक्टर का बेहतरीन बूंदी अभियान भी बूंदी जिले की रैंकिंग सुधारने में नाकाम रहा।
पूर्व सभापति के समय पहले पायदान पर रहा था बूंदी
पूर्व सभापति महावीर मोदी के समय बूंदी जिले को पहले पायदान पर रहते हुए स्वच्छता का गौरव हासिल हुआ था। उसके बाद से लगातार बूंदी स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ा जा रहा है। जबकि गत वर्ष बूंदी को प्रदेश में 30वीं रैंक और नेशनल में 470 वीं रैंक मिली थी।
जिले की अन्य नगर पालिकाओं को यह मिली रैंकिंग
जिले की अन्य नगर पालिकाओं की बात करें तो इंदरगढ़ को 269 वीं रैंक, नैनवां को 267, लाखेरी को 232, कापरेन का 265 व केशवरायपाटन को 227 वीं रैंक नेशनल स्तर पर मिली है।। बूंदी को छोटीकाशी कहा जाता है। विदेशी पर्यटक भी खूब आते है, लेकिन बूंदी के हाल किसी से भी नहीं सुधर रहे है। शहर में जगह- जगह कचरे के ढेर देखे जा सकते है। बावजूद जिम्मेदार बूंदी को क्लीन सिटी बनाने की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे है।
जिला कलेक्टर के बेहतरीन बूंदी अभियान का भी नहीं दिखा असर
बूंदी को क्लीन सिटी बनाने को लेकर पूर्व जिला कलेक्टर डॉ रविंद्र गोस्वामी द्वारा शुरू किया गया बेहतरीन बूंदी अभियान भी केवल खानापूर्ति साबित हुआ। इस अभियान का भी बूंदी को स्वच्छ व सुंदर बनाने में कोई योगदान नहीं दिखाई दिया और यह अभियान मात्र खानापूर्ति बनकर रह गया। इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि अभियान के समय तो बूंदी शहर स्वच्छ व सुंदर हो जाया करता था लेकिन दोबारा कचरा वापस ना डाला जाए इसके लिए कोई कार्य योजना नहीं बनाई गई। जिसके चलते वापस शहर में जगह-जगह गंदगी के ढेर दिखाई देने लग जाया करते थे।
शहर में चारों तरफ गंदगी का आलम
छोटी काशी बूंदी की बात करें तो यहां चारों तरफ गंदगी का आलम दिखाई दे रहा है। ट्नल के पास डाले जाने वाले मृत्यु विश्व की दुर्गंध से गुजरने वाले लोग बूंदी रुकना तक पसंद नहीं करते हैं। ऐतिहासिक नवल सागर ,जैतसागर तालाब किनारे फैली गंदगी आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों के सामने बूंदी की छवि को धूमिल कर रही है शहर में चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। जिन पर नगर परिषद का कोई ध्यान नहीं है। इन्हीं सभी कारणों के चलते बूंदी लगातार स्वच्छता की रैंक में पिछड़ता ही जा रहा है और आज इसकी गिनती सबसे गंदे शहरों में होने लगी है।