*धन तेरस विशेष
🚩धनतेरस 2023🚩
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*धन तेरस विशेष*
धनतेरस शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – धन जिसका अर्थ है धन, और तेरस जिसका अर्थ है 13 वां दिन। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के 13वें चंद्र दिवस पर पड़ता है। धनतेरस के दिन को धनत्रयोदशी या धन्वंतरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है।
धनतेरस 2023 का शुभ मुहूर्त: इस वर्ष धनतेरस की खरीदारी का शुभ मुहूर्त 10 नवंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 11 नवंबर को 1 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस के दिन कुबेर देव, भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान है। साथ ही इस दिन खरीदारी का करना शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में तेरह गुणा वृद्धि होती है।
प्राचीन शास्त्रों और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धनतेरस पर 13 दीये जलाए जाते हैं।
लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, ये तेरह दीपक भगवान कुबेर को समर्पित हैं, जिन्हें धन, कीमती सामान और वैभव का स्वामी माना जाता है।
धनतेरस मुहूर्त (दिल्ली के समय अनुसार)-:
10 नवंबर 2023, शुक्रवार
समय-: 17:48 से 19:44 तक
अवधि-:01 घंटा 55 मिनट
प्रदोष काल-:
17:30 से 20:08 तक
वृषभ लग्न काल-: 17:48 से 19:44:
धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाने वाला त्यौहार है। धन तेरस को धन त्रयोदशी व धन्वंतरि जंयती के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक धन्वंतरि देव समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धन तेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है। धन्वंतरि देव जब समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे उस समय उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। इसी वजह से धन तेरस के दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनतेरस पर्व से ही दीपावली की शुरुआत हो जाती है।
धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की उदयव्यापिनी त्रयोदशी को मनाई जाती है। यहां उदयव्यापिनी त्रयोदशी से मतलब है कि, अगर त्रयोदशी तिथि सूर्य उदय के साथ शुरू होती है, तो धनतेरस मनाई जानी चाहिए।
धन तेरस के दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त) में यमराज को दीपदान भी किया जाता है। अगर दोनों दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल का स्पर्श करती है अथवा नहीं करती है तो दोनों स्थिति में दीपदान दूसरे दिन किया जाता है।
मानव जीवन का सबसे बड़ा धन उत्तम स्वास्थ है, इसलिए आयुर्वेद के देव धन्वंतरि के अवतरण दिवस यानि धन तेरस पर स्वास्थ्य रूपी धन की प्राप्ति के लिए यह त्यौहार मनाया जाना चाहिए।
धनतेरस पर धन्वंतरि देव की षोडशोपचार पूजा का विधान है। षोडशोपचार यानि विधिवत 16 क्रियाओं से पूजा संपन्न करना।
इनमें आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन (सुगंधित पेय जल), स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध (केसर-चंदन), पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, आचमन (शुद्ध जल), दक्षिणायुक्त तांबूल, आरती, परिक्रमा आदि है।
धनतेरस पर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है कि बर्तन खरीदने से धन समृद्धि होती है। इसी आधार पर इसे धन त्रयोदशी या धनतेरस कहते हैं।
इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दीये जलाने चाहिए। क्योंकि धनतेरस से ही दीपावली के त्यौहार की शुरुआत होती है।
धनतेरस के दिन शाम के समय यम देव के निमित्त दीपदान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है।
धनतेरस के दिन नई चीज़ें जैसे सोना, चाँदी, पीतल, खरीदना बेहद शुभ माना गया है। इसके अलावा इस दिन धनिया खरीदना और झाड़ू खरीदना भी बेहद शुभ होता है।
धनतेरस धन्वंतरि के प्रकट होने के दिन के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है दिवाली से दो दिन पहले धन्वंतरि देव समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस को धन्वंतरि जयंती भी कहा जाता है।
धनतेरस के दिन धन्वंतरि देव की षोडशोपचार विधि से पूजा की जाती है। इसके बाद शाम को मुख्य द्वार और आंगन में दीप जलाये जाते हैं। धनतेरस के दिन शाम के समय यम देवता के नाम का भी दीपक जलाया जाता है।
धनतेरस के दिन सोने, चांदी और पीतल की वस्तुओं, और झाड़ू खरीदना शुभ होता है।
हालांकि इस दिन काले या गहरे रंग की चीज़ें, चीनी मिट्टी से बनी चीज़ें, कांच, एल्युमीनियम, और लोहे आदि से बनी चीज़ें नहीं खरीदनी चाहिए।
धनतेरस के दिन फूल वाली झाड़ू यानि जिससे घर में झाड़ू लगाया जाता है उसे खरीदें।
परंपरा व मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन हमेशा विषम संख्या में (अर्थात 1, 3, 5) ही झाड़ू खरीदनी चाहिए।।
धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने के पीछे जुड़ी मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, घर से नकारात्मकता दूर होती है, और माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।इससे घर में माँ लक्ष्मी का आगमन है।
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पंकज वर्मा
ज्योतिष वास्तु एवं परामर्श
7974161837