ताजातरीनराजस्थान

धनतेरस पर हस्त नक्षत्र व शुक्रवार के श्रेष्ठ योग में करें खरीदारी

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- पांच दिवसीय दीपोत्सव दीपावली के त्योहार को लेकर बूंदीस्थ ज्योतिष धर्मशास्त्र परिषद ने धनतेरस, रूप चौदस, लक्ष्मी पूजन ,गोवर्धन पूजा व भाई दूज के पूजन व खरीदारी के श्रेष्ठ मुहूर्त किस समय सारणी जारी की है। अध्यक्ष पंडित श्रीकांत शर्मा व मंत्री पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि इस वर्ष दीपावली महोत्सव की शुरुआत दिनाँक 10 नवम्बर धन तेरस को हस्त नक्षत्र एवं शुक्रवार के योग से हो रही है। इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार लोग मंगलकारी वस्तुओं की खरीददारी करते हैं l इनमें नए वस्त्र,आभूषण, बर्तन,वाहन,संपत्ति आदि क्रय करते हैं। इस दिन धन के अधिपति देवता कुबेर और चिकित्सा विज्ञान के जनक धन्वंतरि का पूजन भी किया जाता हैंl इस दिन खरीदारी करने के श्रेष्ठ मुहूर्त चौघड़िया के अनुसार प्रातः 6.45 से 10.50 दिन में 12.15 से 1.35 शाम को 4.20 से 5.37 तक रहेगा । प्रदोष काल 5.37 से 8.00 बजे तक रहेगा इस दौरान वृषभ लग्न शाम 6 बजे से 7.56 तक रहेगा।

कुबेर पूजन के लिए भी यही समय शुभता कारक है। इस दिन संध्याकाल में मृत्यु के देव यमराज की प्रसन्नता के निमित्त दीपदान किया जाता है। इसके लिए 4 बत्ती वाले चौकोर दीपक में तेल से दीप प्रज्वलित कर उड़द की दाल से बने पकवान सहित घर से बाहर निकल कर दीपदान किया जाना चाहिए। इससे वर्ष पर्यन्त आरोग्य की प्राप्ति होती है वही वरिष्ट सदस्य पंडित लक्ष्मीकांत ने बताया कि दीपावली दिनांक 12 नवम्बर रविवार को मनाई जाएगी इस दिन महालक्ष्मी जी का पूजन शुभ मुहूर्त में करने से धन धान्य समृद्धि एवं संपदा की प्राप्ति होती है। महालक्ष्मी पूजन के लिए चौघड़िया के अनुसार शुभ मुहूर्त प्रातः 8 बजे 7 मिनट से 12 बज कर 13 मिनट तक, दिन में 1.37 से 2.57 तक तथा सायं 5.37 से 10.32 तक रहेगा। गोधूलि बेला, प्रदोष काल एवं वृषभ लग्न सायं 5.37 से 7.50 तक रहेगा । सिंह लग्न रात्रि 12.20 से 2.34 तक रहेगा। यह सम्पूर्ण रात्रि महालक्ष्मी की आराधना के लिए शुभ मानी जाती है इसमें श्री सूक्त, कनकधारा स्तोत्र, गोपाल सहस्रनाम का पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है मीडिया प्रभारी पंडित विनोद कुमार गौतम जगन्नाथपूरा व परिषद के विप्र विद्वानों द्वारा निर्णय किया है कि इस बार अन्नकूट गोवर्धन पूजा , बलि पूजन और गौ क्रीड़ा,वृषभ पूजन दि 13 नवंबर सोमवार को मनाये जायेंगे । प्रमाणसमुच्चय, निर्णयामृत एवं निर्णय सिंधु इन तीनों ग्रन्थों के अनुसार अमावस्या तीन प्रहर हो और प्रतिपदा साढ़े तीन प्रहर या इससे अधिक हो तो दीपोत्सव संबंधी कार्य इन्ही तिथियों में करना चाहिए और यदि ऐसा नहीं है अर्थात तिथियां इनसे कम परिमाण में हो तो पूर्व विद्धा तिथियों में करें । यह प्राचीन मुनियों का मत है।इस वर्ष ऐसा ही योग बन रहा है। गौ क्रीड़ा, बैल पूजन का समय सायं 4.20 से 7.17 तक रहेगा। इस वर्ष बैलों का मुंह पूर्व और दक्षिण दोनों दिशाओं में नहीं रहेगा।