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जीर्णोद्धार से बावडियों को मिला पुर्नजीवन, बावडी उत्सव 5 जून को

श्योपुर.Desk/ @www.rubarunews.com-जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत जिले में मौजूद बावडियों के जीर्णोद्धार एवं संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। इससे इन प्राचीन जल संरचनाओं को पुर्नजीवन मिला है। प्रशासन की इस अनुठी पहल से प्राचीन बावडियों को सहेजने एवं संवारने का कार्य किया जा रहा है। झाडो और मिट्टी से ढंकी बावडियों की साफ-सफाई कर उन्हें आकर्षक और उपयोगी बनाने का कार्य मनरेगा योजना के तहत उक्त अभियान अंतर्गत किया जा रहा है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत 5 जून को बावडी उत्सव का आयोजन किया जायेगा।

कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट  अर्पित वर्मा की पहल पर रायपुरा, सोईकला, पहेला एवं बर्धा बुजुर्ग सहित अन्य बावडियों का नवीनीकरण किये जाने से यह बावडियां अब लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन रही है। वर्षा पूर्व बावडियों की साफ-सफाई और पानी संग्रहण के लिए प्राकृतिक जल स्त्रोतों की सफाई से उम्मीद है कि बावडियों में पर्याप्त मात्रा में वर्षाजल एकत्रित होगा, जिसका लाभ क्षेत्रीय ग्रामीणों को तो मिलेगा ही, बल्कि यह बावडियां भू-जल स्तर बढाने में भी सहायक होंगी।
सीईओ जिला पंचायत  अतेन्द्र सिंह गुर्जर ने बताया कि अभियान अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र स्थित 24 बावडियों की साफ-सफाई एवं जीर्णोद्धार का कार्य लिया गया है। उन्होने बताया कि अगरा-मदनपुर, पहेला, खिरखिरी, बावडीचापा, बरदुला, बर्धाबुजुर्ग, सोईकला, बगडूआ, जैदा, गुरनावदा, फिलोजपुरा, कुण्डहवेली, छीपाओ की बावडी सोईकला, बारह गांव की बावडी जावदेश्वर, खाती की बावडी लुहाड, तकीया बावडी लुहाड, चोडपुर की बावडी मठेपुरा, ननावद की बावडी, रतोदन, रायपुरा, सावलिया जी की बावडी अजापुरा, जैदा बावडी, जाटखेडा बावडी एवं रामेश्वर की बावडी मानपुर के जीर्णोद्धार के कार्य शामिल किये गये है। इसी प्रकार शहरी क्षेत्र श्योपुर, बडौदा में भी 17 बावडियों को जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत सूचीबद्ध किया गया है। इसमें सब्जीमंडी स्थित बावडी, राजा मनोहरदास की बावडी, शीतला माता बावडी पारख जी बाग, सोहन बावडी, बीबीजी की बावडी, शिव बावडी, बडौदा कुण्ड सहित कुल 17 बावडियां अभियान के तहत चिन्हित की गई है।
अभियान के तहत निखरी रायपुरा, बर्धा बुजुर्ग, सोईकला, पहेला की बावडियां
श्योपुर जिले में बावडी निर्माण जल स्त्रोत के रूप में प्राचीन काल से ही होता रहा है, वर्तमान में जो बावडियां जिले में विद्यमान है, वे छटवी-सातवी सदी से लेकर 18वी सदी के मध्य निर्मित हुई है, इनमें से अधिकांश बावडियां 16वी-17वी सदी की है। वास्तु प्रकार के आधार पर देखे तो श्योपुर की अधिकांश बावडियां नंदा बावडियों की श्रेणी में आती है, इनमें आवागमन एक ही रास्ते से होता है।
जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत रायपुरा एवं बर्धा बुजुर्ग सहित अन्य बावडियों को निखारने का कार्य सतत् रूप से जारी है। श्योपुर पाली रोड पर ग्राम रायपुरा में गोड राजा इंदर सिंह के दीवान श्री शिवनाथ जी कायस्थ गोड ने सन् 1734 में एक बावडी का निर्माण करवाया था, शिलालेख के अनुसार उन्होने अपने नाम पर गांव शिवनाथपुर बसाया, जो अब रायपुरा कहलाता है। वर्तमान में बावडी की साफ-सफाई एवं जीर्णोद्धार कर बावडी का नवीनीकरण किया गया है।
इसी प्रकार श्योपुर से 6 किलोमीटर दूर ग्राम बर्धा बुजुर्ग में भी एक बावडी का निर्माण श्योपुर के गौड राजाओं के शासनकाल में करवाया गया था। इस बावडी को भी जीर्णोद्धार कर संवारने का कार्य किया गया है।
इसी प्रकार श्योपुर से 11 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम सोई में छीपाओं की बावडी को संवारने का कार्य भी किया जा रहा है।
जिला पंचायत में मनरेगा के परियोजना अधिकारी श्री विक्रम जाट ने बताया कि अभियान के तहत ग्रामीण क्षेत्र में स्थित बावडियों की केवल साफ-सफाई की जा रही है, बल्कि रंग रोगन कर उन्हें निखारने का कार्य भी किया जा रहा है। उन्होने बताया कि जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत 5 जून को सायंकालीन समय में ग्राम रायपुरा स्थित बावडी पर बावडी उत्सव का आयोजन किया जायेगा।

Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com