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घना से 300 किमी का सफर कर रामगढ़ विषधारी पहुँचे 19 चीतल

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-रामगढ़ विषधारी को आबाद करने और जिले में इको टूरिज्म को गति देने की दृष्टि से एक और बाघिन को रणथंभौर टाइगर रिजर्व से लाने की तैयारी चल रही हैं। इसी तैयारी के चलते केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी घना उद्यान से प्री-बेस के रुप में 19 चीतल लाए गए, जो रामगढ़ विषधारी की जमीन पर कुलांचे भरते नजर आए। शनिवार देर शाम को 19 चीतल रामगढ़ विषधारी की जमीन पर कंटेनर से आजाद किए गए। इनकी इस खेप में 16 मादा चीतल और 3 नर चीतल हैं।
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक संजीव शर्मा ने बताया कि घना से आए इन चीतलों को अभयारण्य क्षेत्र के झरबंधा क्षेत्र में छोड़ा गया हैं। सभी 19 चीतल सकुशल वाहन से कूद कर वन क्षेत्र में कुलांचे भरते हुए चले गए।
भरतपुर के घना नेशनल पार्क से इन चीतल को ट्रेप कर वाहन द्वारा रामगढ़ लाया गया। पूर्व में भी घाना अभयारण्य से चीतल को यहां लाकर वन क्षेत्र में छोड़ा गया हैं, जिनकी संख्या भी वर्तमान में अच्छी हो चुकी है।
इनका कहना है-
रामगढ़ टाइगर रिजर्व में घाना से आए 19 चीतलों को सकुशल छोड़ा गया। वनकर्मियों द्वारा इनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। इनके आने से रामगढ़ में प्रे-बेस में बढ़ोतरी होगी।
संजीव शर्मा, उपवन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक,रामगढ़-विषधारी टाइगर रिजर्व
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चीतल का साल में दो बार अप्रैल.मई व सितंबर.अक्टूबर में प्रजनन काल रहता है। जिससे चीतल की संख्या तेजी से बढ़ती है। आसानी से पेड़ों झाड़ियों की पत्तियां खाकर अपना पेट भर लेते हैंए इनके लिए विशेष ग्रासलैंड की जरूरत भी नहीं होती हैं।
विट्ठल सनाढ्य पूर्व वन्य जीव प्रतिपालक