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भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, जिला सीईओ स्वप्निल वानखेड़े ने लालगांव प्रभारी सचिव को किया निलंबित

दतिया @rubarunews.com>>>>>>>रीवा जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्वप्निल वानखेडे ने एक आदेश जारी कर जनपद पंचायत गंगेव के सीईओ अवध बिहारी खरे को हटाकर पूर्व में पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी और वर्तमान मऊगंज सीईओ अजीत तिवारी को मऊगंज के साथ गंगेव का भी प्रभार दे दिया है।

ज्ञातव्य है कि जनपद सीईओ एबी खरे की कार्यप्रणाली को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा भी कई शिकायतें की गई थी जिसमें अभी हाल ही में 5 जनवरी को फेसबुक पर लालगांव ग्राम पंचायत मे राशि के अनाधिकृत निकासी को लेकर भी शिकायत की गई थी जिसमें जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेडे और जिला कलेक्टर रीवा डॉक्टर इलैयाराजा टी को भी टैग किया गया था और कार्यवाही की माग की गई थी।

 

*लंबे समय से सीईओ एबी खरे की आ रही थी शिकायतें*

बता दें की अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा एबी खरे को गंगेव जनपद का भी प्रभार दिया गया था लेकिन उनकी पदस्थापना से लेकर प्रभार लिए जाने तक निरंतर एबी खरे विवादों में घिरे रहे। ज्ञातव्य हो कि अभी पिछले माह जब जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेडे छुट्टियों में चले गए थे तो सीईओ का प्रभार एबी खरे को दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने कराधान घोटाला और अन्य प्रकार के अनियमितता में दोषी सचिवों को विवादित पंचायतों का प्रभार देकर पंचायती राशि का बंदरबांट करवा दिया। अभी पिछले दिनों बेलवा पैकान पंचायत में 60 लाख रुपये का ट्रांसक्शन कर दिया गया जिसको लेकर स्वप्निल वानखेड़े ने जांच टीम भी गठित कर दी है। बात यहीं पर नहीं रुकती है और अभी हाल ही में लालगांव ग्राम पंचायत में सचिव सुरेंद्र तिवारी को भी पदस्थ किया गया था जिसके बाद व्यापक अनियमितता की गई।

 

*सूचना आयोग ने भी दोषी पाए जाने पर सीईओ एबी खरे को बनाया डीम्ड पीआईओ*

बता दें कि अभी हाल ही में स्वतंत्र शुक्ला बनाम लोक सूचना अधिकारी जनपद पंचायत गंगेव के एक प्रकरण जिसमें कोरोनावायरस के समय गंगेव और जनपद की 88 पंचायतों में कोरोना से लड़ने के लिए क्या-क्या व्यवस्थाएं की गई और राशि किस प्रकार से खर्च गई इस विषय पर आरटीआई दायर कर जानकारी चाही गई थी जिसको समस्त 88 पंचायतों के सचिवों को अंतरित कर दिया गया था और इसके बाद आवेदक द्वारा प्रथम एवं द्वितीय अपील प्रस्तुत की गई। जब मामला सूचना आयोग में पहुंचा तो सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने यह माना कि जनपद सीईओ महत्वपूर्ण भूमिका में है इसलिए इन्हें डीम्ड पीआईओ माना गया और 5 दिवस के अंदर जानकारी देने के लिए निर्देशित किया गया है। इस प्रकार देखा जा सकता है कि चाहे वह वित्तीय प्रभार से संबंधित मामला रहा हो या सूचना के अधिकार कानून को लागू करवाने में हर स्थान पर एबी ए बी खरे असफल रहे हैं जिसकी वजह से निरंतर शिकायतें होती आ रही थी जिसके चलते एबी खरे को गंगेव जनपद के सीईओ के पद से हटा दिया गया है।

 

*सीईओ अजीत तिवारी का पिछला रिकॉर्ड बेहतर इसलिए पुनः मिला प्रभार*

अजीत तिवारी गंगेव जनपद के सीईओ के प्रभार पर थे जबकि उनकी मुख्य पदस्थापना मऊगंज जनपद में थी। पर जब कराधान घोटाले की आंच उठी तो विधायक गिरीश गौतम और मनगवां विधायक पंचूलाल प्रजापति के दबाव के चलते उन्हें गंगेव से हटा दिया गया था और एबी खरे को पदस्थ कर दिया गया था। बताया गया कि कराधान घोटाले में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और दोषियों के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करवाने की प्रक्रिया करने वाले अजीत तिवारी का कार्य बेहतर माना जाता रहा है। अब देखना यह है कि जब अजीत तिवारी जनपद पंचायत गंगेव में अपने दूसरे कार्यकाल में आ रहे हैं तो जहां एक तरफ कराधान घोटाला यथावत पड़ा हुआ है और उस पर ईओडब्ल्यू की कार्यवाही नहीं हुई है वहीं एलइडी लाइट घोटाला भी एक महत्वपूर्ण चुनौती के तौर पर सामने खड़ा है। जहां 14 वें वित्त आयोग की ग्रांट में व्यापक अनियमितता की गई थी और कई पंचायतें जांच के दायरे में है वही 15 वें वित्त आयोग की राशि पर भी व्यापक तरीके से अनियमितता की जा रही है जिस पर नकेल कसना और पंचायतों में गुणवत्तापूर्ण कार्य करवाना मुख्य चुनौती होगी।

 

*स्वप्निल वानखेड़े ने लालगांव प्रभारी सचिव सुरेंद्र तिवारी को किया निलंबित*

लालगांव सचिव कुबेर सिंह के द्वारा की गई व्यापक पंचायती कार्यों में अनियमितता की जांच के बाद उन्हें वसूली और धारा 40-92 की कार्यवाही का दोषी पाया गया था जिसके उपरांत जोरौट पंचायत में पदस्थ सचिव सुरेंद्र तिवारी को अतिरिक्त प्रभार देते हुए लालगांव का सचिव नियुक्त किया गया था। लेकिन उसके तुरंत बाद सुरेंद्र तिवारी ने लालगांव में भी अनाधिकृत तरीके से पंचायती सरकारी राशि का बंदरबांट कर दिया जिसका दोषी पाते हुए सीईओ जिला पंचायत स्वप्निल वानखेड़े ने दिनांक 5 जनवरी 2021 को आदेश पारित कर निलंबित कर दिया है और सुरेंद्र तिवारी को गंगेव जनपद में अटैच कर दिया है।

 

*सीईओ जिला स्वप्निल वानखेड़े एक बार फिर एक्शन मोड पर*

वर्ष के प्रारंभ से ही जिस प्रकार दागी और दोषी सचिव सरपंच के ऊपर ताबड़तोड़ कार्यवाहियों का दौर चालू हो गया है इससे ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेड़े एक बार फिर एक्शन मोड में आ चुके हैं। ज्ञातव्य हो कि इसके पहले जब सूचना आयोग की कराधान घोटाले से संबंधित सुनवाई चल रही थी उस समय 88 सचिवों को निलंबित कर कार्यवाही की गई थी जिसमें लगभग दर्जनों सरपंच को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और इसी तारतम्य में कई रोजगार सहायक पर भी कार्यवाही हुई थी। जानकारों का मानना है कि नए साल में एक बार फिर भ्रष्टाचारियों पर सीईओ की निगाहें है और शासकीय राशि का दुरूपयोग बर्दाश्त नहीं होगा।