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पर्यावरण सरंक्षण की पोषक है ग्राम संस्कृति : कुलपति गोदारा

   बून्दी।KrishnaKantRathore/ @www.rubarunews.com>> पर्यावरण संरक्षण में गांवों की अहम भूमिका है जहाँ वर्तमान में पारिस्थिकी असुंतलन एक वैश्विक विकट समस्या हैं वहीं ग्राम्य संस्कृति पर्यावरण सरंक्षण में अनवरत अपनी अहम भूमिका निभा रही है। यह विचार वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रोफेसर डॉ रतन लाल गोदारा ने धनेश्वर गावँ में प्रवास के दौरान उमंग संस्थान द्वारा सेव बर्ड्स सेव नेचर कार्यक्रम के अन्तर्गत परिंडे बंधवाकर व्यक्त किये। उन्होंने ग्रामीणों को वन्यजीवों की रक्षा व वर्षाकाल में भरसक वृक्षारोपण हेतु प्रेरित किया।




उमंग संस्थान के सचिव कृष्ण कांत राठौर ने बताया कि कुलपति गोदारा ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए धनेश्वर गावँ में पर्यावरण सरंक्षण जनचेतना कार्यों से ग्रामीणों को जोड़ते हुए समन्वयक सर्वेश तिवारी के साथ पक्षियों के लिए परिंड़ा बंधवाया व उसमें जल भरकर जागरूकता कार्यक्रमों की शुरुआत की । सरपंच सत्यनारायण खटीक ने ग्राम की वन सम्पदा व संस्कृति का परिचय करवाया । इस अवसर पर जिला परिषद सदस्य सीमा भील, संस्था प्रधान अर्चना धाभाई व असिस्टेंट प्रोफेसर रवि गुप्ता के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व महिला पुरुषों ने अटल सेवा केंद्र, आंगनबाड़ी परिसर व गावँ में विभिन्न स्थानों पर पक्षियों के लिए परिंडे बाँधे व पर्यावरण सरंक्षण का संकल्प लिया। समन्वयक तिवारी ने आभार प्रकट किया।