ताजातरीनराजस्थान

प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय प्रशिक्षण हुआ संपन्न

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- कृषि विज्ञान केन्द्र, श्योपुरिया बावड़ी पर प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को सम्पन्न हुआ, जिसमें बूंदी जिले के 32 प्रगतिशील कृषकों ने प्रशिक्षण में भाग लिया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष प्रो. हरीश वर्मा ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि प्राकृतिक खेती में कीट प्रबंधन की विभिन्न तकनीकों की जानकारी एवं रबी फसलों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले मित्र कीटों की पहचान बताने के साथ इनके संरक्षण के उपाय बताए। प्रशिक्षण के दौरान प्राकृतिक खेती की आवश्यकता, प्राकृतिक खेती के लाभ, प्राकृतिक खेती के महत्व एवं प्राकृतिक खेती में पोषक तत्व प्रबंधन, कीट एवं व्याधि नियंत्रण के विभिन्न तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।
प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. घनश्याम मीणा ने किसानों को प्राकृतिक एवं जैविक खेती में अंतर, प्राकृतिक खेती का महत्व एवं प्राकृतिक खेती के लिए पोषक तत्व प्रबंधन के लिए जीवामृत, घनजीवामृत बनाना एवं हरी खाद के उपयोग के तरीकों के बारे में बताया। पौध संरक्षण के लिए दशपर्णी अर्क बनना, अग्नि अस्त्र बनाना, सोंठास्त्र बनाना, नीमास्त्र बनाना एवं रोग नियंत्रण के लिए कण्डे पानी का उपयोग एवं खट्टी छाछ की उपयोगिता की जानकारी दी।
प्रशिक्षण के दौरान भ्रमण पर आए हुए क्षेत्रीय चारा केन्द्र सूरतगढ़ निदेशक ब्रिजेन्द्र कोली ने पशु आहार में हरे चारे की उपयोगिता के बारे में बताते हुए जई, राइसबीन, ज्वार, बाजरा, चंवला, रिजका, बरसीम, नेपियर, चाइनीज केबेज आदि चारा फसलों की उन्नत किस्मों एवं शस्य उत्पादन तकनीकों की जानकारी दी।
प्रशिक्षण के दौरान किसानों को जनजाति उपयोजना के तहत जीवामृत एवं दशपर्णी अर्क बनाने के लिए प्लास्टिक के 200 लीटर क्षमता वाले दो-दो ड्रम भी उपलब्ध करवाये गये। जिससे वे घोल बनाकर फसलों में छिड़काव कर सकेंगे। फार्म मैनेजर महेंद्र चौधरी ने किसानों को फार्म पर जैविक खेती द्वारा उत्पादन लिये जा रहे गेहूँ खेत एवं अन्य बीज उत्पादन इकाईयों का अवलोकन करवाया, वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता दीपक कुमार ने किसानों को केंद्र की जीवन्त इकाइयों पर भ्रमण करवाया।