मध्य प्रदेश

प्रदेश की प्रगति का आधार – ग्रामीण विकास -महेन्द्र सिंह सिसोदिया

भोपाल.Desk/ @www.rubarunews.com>> ‘जो शोर मचाते हैं भीड़ में, भीड़ बनकर ही रह जाते हैं, जिंदगी में वही कामयाबी पाते हैं, जो खामोशी से अपना काम कर जाते हैं।” इस सूत्र वाक्य को जिसने अपने जीवन में अंगीकार कर लिया वह यशस्वी कहलाया। हम मध्यप्रदेश वासियों का सौभाग्य है कि हमें खामोशी से काम करने वाला ऐसा ही एक योद्धा मिला है- श्री शिवराज सिंह चौहान(Mr. Shivraj Singh Chauhan) के रूप में। मैं अपने आपको भी बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ कि ऐसे कर्मयोद्धा के नेतृत्व में मुझे काम करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। मैं ह्रदय से आभारी हूँ कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मुझे पंचायती राज के माध्यम से ग्रामीण विकास का दायित्व सौंपा।




सबका साथ-सबका विकास और सबका विश्वास ही हमारी सरकार का मूल मंत्र है। इसी मूल मंत्र के सहारे हम प्रदेश की जनता की सेवा के महान कार्य में जी-जान से जुटे हुए हैं।

सफलता की ऊँची पायदान पर विराजमान पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग(Panchayat and Rural Development Department) ने उपलब्धियों के अनेक परचम फहराए हैं। इनकी बात हम सप्रमाण बाद में करेंगे। पहले उन विशिष्ट उपलब्धियों की चर्चा करेंगे, जहाँ मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मेहनत और लगन से काम करते हुए देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। सड़कें प्रगति का प्रतीक हैं और देश और प्रदेश की तरक्की में इनका विशेष योगदान है। प्रतिशत लेंथ एचीवमेंट में प्रदेश का स्थान पहला है। प्रदेश में 2550 कि.मी. के लक्ष्य के विरुद्ध अब तक 2603 कि.मी. लम्बाई के मार्गों का निर्माण किया गया है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्डों की समग्र रैंकिंग में भी मध्यप्रदेश को प्रथम रैंक मिली है। मनरेगा के बारे में हमें यह बताते हुए हर्ष होता है कि प्रति परिवार औसत मानव दिवस सृजन में हम देश में प्रथम हैं।




कोविड काल में मनरेगा के अंतर्गत सृजित मानव दिवस योजना प्रारंभ से अब तक मध्यप्रदेश के इतिहास में सर्वाधिक रहा है। प्रदेश में अब तक 54 लाख 29 हजार जॉब कार्डधारी परिवारों के एक करोड़ 29 लाख श्रमिकों द्वारा 32 करोड़ 79 लाख मानव दिवस सृजित किये गये हैं।

हमें बताते हुए अत्यंत खुशी का अनुभव हो रहा है कि इस वित्तीय वर्ष में अनुचित जाति-जनजाति के परिवारों को रोजगार देने में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर हैं। प्रदेश में इस वर्ष कोविड के दौरान भी प्रति दिवस 25 लाख से अधिक का श्रमिक नियोजन(Labor planning) किया गया, जो देश में सर्वाधिक श्रमिक नियोजन है।

हर आदमी को घर देने के लिये कृत-संकल्पित प्रधानमंत्री जी की महती योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में भी मध्यप्रदेश ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सफलता के नये सोपान रचे हैं। स्वीकृति की तुलना में निर्मित आवास के प्रतिशत को देखा जाये, तो यहाँ भी मध्यप्रदेश पहली पायदान पर खड़ा नजर आयेगा। प्रदेश में अब तक लगभग 25 लाख स्वीकृत घरों में 18 लाख 30 हजार आवास बनाये जा चुके हैं।




ग्रामीणों को रोजगार देने की प्रक्रिया में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की महती भूमिका है। इसके अंतर्गत काम कर रहे स्व-सहायता समूहों के बैंक लिंकेज के लिये प्रकरण प्रस्तुत करने में प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। अब तक एक लाख दो हजार 765 समूहों के 2 हजार 609 करोड़ 18 लाख प्रकरण बैंक में प्रेषित किये गये हैं। बैंक द्वारा स्व-सहायता समूहों को ऋण स्वीकृत करने में देश में हम प्रथम हैं। अब तक 45 हजार 498 प्रकरण स्वीकृत कर एक हजार 161 करोड़ स्वीकृत हुए हैं।

प्रदेश में 23 हजार 458 ग्रामों में कृषि गतिविधियाँ महिलाएँ संचालित कर रही हैं। प्रारंभिक ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम (SVEP) में 13 हजार 111 उद्यम गठित कर प्रदेश ने देश में प्रथम रैंक प्राप्त की है। प्रदेश में सबसे अधिक 46 सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र (C+C) संचालित हैं।

जब प्रदेश का मुखिया खुद किसान हो और जो किसान हितैषी के रूप में चर्चित हो, उसके राज्य में सिंचाई योजना में उपलब्धियाँ तो मिलना ही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- वाटर शेड विकास के संदर्भ में जल-संग्रहण संरचनाओं के निर्माण में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। इस वर्ष प्रदेश में 5 हजार 256 जल-संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया गया है।




सिंचाई सामर्थ्य विकास में प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। कुल 21 हजार 719 सिंचाई सामर्थ्य इस साल विकसित की गई है। तीस लाख 16 हजार मानव दिवस अर्जित कर प्रदेश इस मामले में भी सबसे ऊपर है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरल अर्बन मिशन में मध्यप्रदेश पहला राज्य है, जिसने मिशन के अंतर्गत समस्त कार्यों को प्रारंभ से लेकर पूर्ण होने तक के पड़ावों को ‘जियो-टैग्ड” किया है। इसकी सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हुई है।

ग्रामीण पथ-विक्रेता ऋण योजना प्रदेश की अनूठी योजना है, जो भारत वर्ष के अन्य प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नहीं है। इसके तहत अब तक एक लाख 71 हजार पथ-विक्रेताओं को 10-10 हजार रुपये का ब्याज-रहित ऋण दिया गया है। मनरेगा में मजदूरों को नवीन जॉब-कार्ड से जोड़ने में प्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर है। वित्तीय प्रगति के मापदण्ड के अनुसार इस वर्ष मध्यप्रदेश देश में द्वितीय स्थान पर है। यह प्रगति वॉटर-शेड विकास में हुई है। इसी योजना में लाभान्वित कृषक परिवारों के संदर्भ में प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है।

मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत 282 किचन-शेड कम डायनिंग हॉल के कार्य प्रगति पर हैं। इस मद में कुल राशि 20 करोड़ 30 लाख रूपये है, जिसमें मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम की राशि 31 लाख 90 हजार रूपये तथा मनरेगा अभिसरण की राशि 11 करोड़ 50 लाख रूपये है। इसके चलते अब प्रदेश की शालाओं में छात्र-छात्राएँ जमीन पर बैठकर नहीं, बल्कि डायनिंग टेबल पर बैठकर भोजन करेंगे।




मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप हम प्रदेश की जनता को सर्वोच्च स्थान देते हैं और मानते हैं कि हम जो कुछ भी उपलब्धि हासिल कर पाये हैं, वह जनता के सहयोग और भागीदारी से ही संभव है। इसी के चलते हमारे कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर न केवल सराहा गया, बल्कि पुरस्कृत भी किया गया। मनरेगा के अंतर्गत खण्डवा जिले की कावेरी नदी के पुनर्जीवन के लिये मध्यप्रदेश को नेशनल वॉटर अवार्ड में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इसी तरह नीमच जिले की बोरखेड़ी नदी पुनर्जीवन के लिये तृतीय पुरस्कार भी हमें प्राप्त हुआ। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना- वॉटर-शेड विकास के अंतर्गत सागर- जल-संरक्षण में तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। ग्राम पंचायत पिपरिया गोपाल, जिला सागर को खेत-तालाब से सर्वाधिक सिंचाई सामर्थ्य विकास के लिये प्रथम पुरस्कार मिला है। केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा मध्यप्रदेश को सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा पंचायतों में पारदर्शी रूप से प्रभावी उत्तरदायित्व निर्वहन के लिये ‘ई-पंचायत पुरस्कार-2020” से भी सम्मानित किया गया।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कामों पर बात की जाये, तो उसे किसी एक आलेख में समेटना संभव नहीं है। अपनी उपलब्धियों के बारे में खुद बताना और भी मुश्किल है, लेकिन जनता के सामने सच्चाई लाना भी जरूरी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग हर क्षेत्र में प्रगति के नये सोपान गढ़ रहा है। फिर चाहे म.प्र. ग्रामीण सड़क प्राधिकरण हो या मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना, मनरेगा हो या प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन हो या प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-वॉटर-शेड विकास योजना, प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व में प्रदेश चहुँओर विकास कर नित नई उपलब्धियाँ हासिल कर रहा है।




हम केन्द्र सरकार के प्रति भी आभारी हैं, जिन्होंने वॉटर-शेड परियोजना (Water-shed project) के लिये 2020-21 के लिये एक हजार करोड़ के केन्द्रीय बजट की तुलना में वर्ष 2021-22 में इसे दोगुना यानि 2 हजार करोड़ रूपये कर दिया है। स्वस्थ भारत मिशन (ग्रामीण) और मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में भी हमने उल्लेखनीय काम किया है।

अंत में हम प्रदेश की जनता से पूरी विनम्रता से यह कहना चाहते हैं कि आगे भी इसी तरह पूरी निष्ठा, मेहनत और लगन से आपकी सेवा करते रहेंगे। जिस प्रदेश का मुखिया इतना संवेदनशील और मेहनती हो और जनता इतनी समझदार हो तो उस प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। चलते-चलते इस परिंदे की मानिंद हम बस इतना कहना चाहते हैं-

खोल दे पंख मेरे, कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है।

ज़मीं नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है।

(लेखक प्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री हैं।)