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भारत से विलुप्त चीतों की पुनः आमद 17 सितम्बर को

श्योपुर.PratyakshaSaxena/ @www.rubarunews.com- भारत में 70 साल बाद विलुप्त हो चुकी चीतों की आमद 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका के नामीबिया से लाए गए चीतों को मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में कुल 8 चीतों को जिनमें तीन नर चीता और पांच मादा चीतों को छोड़ेंगे ।नामीबिया से जो चीते लाए गए हैं उनमें तीन नर इनमें दो सगे भाई हैं जिनकी दो की उम्र साढ़े 5 साल और 1 की उम्र साढ़े 4 साल है लाए गए चीतों में 5 मादा हैं जिनमें एक की आयु 2 वर्ष, एक मादा ढाई वर्ष, 1 की आयु 3 से 4 वर्ष, और दो मादा पांच 5-5 वर्ष आयु की हैं इनमें से तीन चीतों को प्रधानमंत्री जी कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पिंजरे से बाड़े में छोड़कर राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
भारत से 1952 में चीता विलुप्त हो गया और अब 2022 में नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे लाया है भारत के इतिहास में यह पहली बार होगा जब एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में चीतों को हवाई जहाज से भारत लाया जाएगा ।
यही 8 चीते क्यों
कई मेडिकल परीक्षण के बाद सैकड़ों चीतों में से इन 8 चीतों का चयन किया गया है यह बहुत अच्छे शिकारी हैं और आबादी बढ़ाने के लिए भी इन चीतों का चयन किया गया है अगले महीने साउथ अफ्रीका से 12 चीते और आएंगे इस प्रकार इस वर्ष आने वाले चीतों की संख्या 20 हो जाएगी भारत में लगभग 500 चीतों की जरूरत है । इस प्रकार 8 से 12 सीटें प्रतिवर्ष भारत आएंगे।
विलुप्त होते चीतों को लेकर मोदी मोदी की एक योजना के अनुसार गुजरात राजस्थान कर्नाटक आंध्र प्रदेश में चीता रिजर्व बनाया जाएगा जिससे देश के कोने कोने में चीते देखे जाएंगे।
चीतल बनेंगे चीतों का भोजन
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए चीतों के भोजन के लिए मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के चिड़ी खो अभ्यारण से 181 चीतल पहले ही अगस्त माह में श्योपुर पहुंच गए हैं और जल्दी ही लगभग 1500 चीतल और लाए जाएंगे जानकारी के अनुसार गांधी सागर अभ्यारण में भी शीघ्र चीतों की आमद होने की संभावना है और राजगढ़ से ही लगभग 500 चीतल गांधी सागर अभ्यारण में भेजे जाएंगे ।
कूनो में ही चीता क्यों
कूनो राष्ट्रीय उद्यान में ऊंची घास वाला मैदान होने और खाने के पर्याप्त साधन होने के कारण ही इसे चुना गया है यहां ना अधिक बारिश ना ही अधिक गर्मी होने के कारण चीतों के लिए मौसम अनुकूल रहेगा , और चीतों को ऐसा ही मौसम रास आता है मैदानी क्षेत्र होने के कारण चीतों को दौड़ने के लिए पर्याप्त क्षेत्र मिलेगा।
मॉनिटरिंग के लिए सभी चीतों को रेडियो सेटेलाइट कॉलर भी लगाया जाएगा और प्रत्येक चीते की मॉनिटरिंग के लिए एक व्यक्ति रहेगा जो उनकी सभी गतिविधियों की जानकारी रखेगा