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जंगलों से लुप्त होते कड़ाया के दुर्लभ पेड़, संरक्षण की दरकार

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-दक्षिणी पूर्वी राजस्थान में अरावली तथा विंध्यन कालीन पर्वतमालाओं के दुर्गम पहाड़ी इलाकों व चम्बल घांटी में कहीं कहीं नजर आने वाले कड़ाया के पेड़ अपनी प्रजाति को बचाने के लिए संघर्ष करते से लगने लगे हैं। वन विभाग की पौधशालाओं में कड़ाया के पौधे तैयार नहीं किए जाने से इनकी प्रजाति के खत्म होने का खतरा है। चांदी से दमकते चिकने तने के साथ टहनियों पर बीच बीच में हथेली के आकार जैसी पत्तियों वाले इन विचित्र से लगते दुर्लभ पेड़ों पर नजरें अनायास ही ठहर जाती हैं। चांदनी रात में वीरान जंगल में ये पेड़ अलग ही चमक बिखेरते सहज ही नजर आ जाते हैं। कई बार रात के समय लोग इसे भूत-प्रेत समझकर डर भी जाते है इसलिए इसे घोस्ट ट्री या भूतिया पेड़ के नाम से भी जाना जाता है। इन पेड़ों की संख्या अब केवल ऐसी दुर्गम जगहों पर ही बची है जहां मानवीय सहज पंहुच संभव नहीं है या धार्मिक मान्यताओं के चलते काटने पर पाबंदी है। हाड़ौती में इस सुंदर एवं खूबसूरत से दिखने वाले पेड़ को कड़ाया, या खड़ू के नाम से जानते है। इसका गोंद दुनिया मे सबसे अच्छा व महंगा बिकता हैं तथा कलात्मक सजावटी समान व फर्नीचर भी बनते हैं जिससे इसकी बड़े पैमाने पर कटाई हुई और अब यह संकटग्रस्त प्रजाति में आ गया है। । चांदनी रात में चांदी जैसी आभा बिखेरते तथा जंगल में अलग से दिखाई देने वाले कड़ाया (स्टेरकुलिया वेरेनस) की खुबसूरती देखकर अंग्रेजों ने इसे ‘लेडी लेग’ का नाम दिया था। चमकीले आकर्षक सफेद रंग के दिखने के कारण ये पेड़ जंगल में जाने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

राज्य कर सबसे लंबे पेड़ का रिकॉर्ड बूंदी के नाम

कड़ाया के पेड़ मध्यम आकार के तथा 15 से 20 मीटर तक लंबे होते हैं। राज्य जैवविविधता बोर्ड के द्वारा गत वर्ष किए गए प्राचीन पेड़ों के खुले सर्वे में बूंदी जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर जोन में कलदां माताजी के पास मोचड़ियां के देवनारायण स्थान पर राज्य का सबसे बड़ा कड़ाया का पेड़ रिकॉर्ड किया गया है। इस पेड़ की लंबाई 16 मीटर है जो राज्य में एक रिकॉर्ड है। इस पेड़ को बूंदी के पर्यावरणविद पृथ्वी सिंह राजावत ने सर्वे कर इसे राज्य में पहचान दिलाई।
इनका कहना है

कड़ाया के पेड़ प्राकृतिक रूप से पहाड़ों पर उगते हैं जिनकी संख्या कम बची है। इसकी पौध को नर्सरी में लगाने का प्रयास करेंगे ताकि जिले में फिर से इसकी प्लांटिंग हो सके।
देवेंद्र सिंह भाटी, उपवन संरक्षक एवं उपक्षेत्र निदेशक रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व (बफर जोन) बूंदी