पेंच टाइगर रिजर्व से हेलीकॉप्टर में सवार होकर जयपुर पहुंची रामगढ़ की रानी बाघिन पी एन 224
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में पिछले एक महीने से इंतजार की घड़ियां रविवार को समाप्त हो गईं। मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से ट्रांसलोकेट की गई बाघिन पी एन 224 आज रात तक बूंदी पहुंच गई। यह राजस्थान में एयर मार्ग से इंटर-स्टेट टाइगर ट्रांसलोकेशन का पहला मामला है। जिसमें भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई। मामले को देखते हुए बूंदी रामगढ़ टाइगर रिजर्व से जुड़े तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को अलर्ट पर रखा गया है।वायूसेना के हेलिकॉप्टर से लाया गया
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कोटा कार्यालय से जारी आधिकारिक जानकारी के अनुसार, रविवार दोपहर पेंच टाइगर रिजर्व में बाघिन को विशेषज्ञों द्वारा सावधानीपूर्वक ट्रेंकुलाइज किया गया । इसके बाद उसे रेडियो कॉलर पहनाया गया, ताकि उसके स्वास्थ्य और आवागमन पर निरंतर निगरानी रखी जा सके। ट्रांसलोकेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद बाघिन को वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर से जयपुर के लिए रवाना किया गया,जो रात्रि 10:30 बजे सुरक्षित जयपुर हवाई अड्डे पर उतरी। जहाँ से सड़क मार्ग से उसे बूंदी के जयपुर रेंज के एंक्लोजर में सुबह 6:30 बजे छोड़ दिया।बाघ संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार रात होने के कारण हेलीकॉप्टर को सीधे बूंदी नहीं उतारा गया । जयपुर में लैंडिंग के बाद बाघिन को सड़क मार्ग से रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व लाया जा रहा है। पूरे अभियान में उच्च स्तरीय अधिकारियों की सतत निगरानी रही। बूंदी रामगढ़ टाइगर रिजर्व के एसीएफ नवीन नारायणी ने बताया कि पिछले तीन दिनों से सभी टीमों को अलर्ट पर रखा गया था और सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही।लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रयासों से पहले भी यहां बाघ-बाघिन लाए जा चुके हैं। यह इंटर-स्टेट ट्रांसलोकेशन बाघों की प्रजनन दर बढ़ाने और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में मदद करेगा । बूंदीवासियों के लिए यह खुशी का अवसर है। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि नई बाघिन का रामगढ़ में बसना स्थानीय प्रजातियों के बीच सामंजस्य बनाए रखेगा और जैव विविधता को मजबूती प्रदान करेगा।
पीएन 224 को लाया गया है रामगढ़
मध्य प्रदेश के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक शुभरंजन सेन ने बताया कि बाघिन पीएन 224 को पहले से आईडेंटिफाई कर लिया गया। उसे एक बार रेडियो कॉलर लगा दिया था, पर वह निकल भी गया था. ऐसे में दोबारा आज उसे दुबारा मिलने के बाद ट्रेंकुलाइज किया गया है । इस बाघिन की उम्र करीब ढाई साल के आसपास है।
