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2014 से पूर्वोत्तर में शांति का दौर, 6000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया- श्री ठाकुर Period of peace in Northeast since 2014, 6000 militants surrendered – Shri Thakur

नईदिल्ली.Desk/ @www.rubarunews.com>> भारत सरकार की नीति ‘आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस’ पर केन्द्रित है। केंद्रीय मंत्री  अनुराग ठाकुर ने अपने आवास पर आतंकवाद से निपटने के लिए सरकार के प्रयासों पर मीडिया को विस्तृत बयान देते हुए कहा कि सरकार ने जहां यूएपीए को मजबूत करने के लिए कानूनी मोर्चे पर काम किया है, वहीं प्रवर्तन स्तर पर भी विभिन्न कदम उठाए गए हैं; राष्ट्रीय जांच एजेंसी (संशोधन) अधिनियम को पेश करके राष्ट्रीय जांच एजेंसी को वास्तविक तौर पर एक संघीय संरचना दी गयी है। इन उपायों का सामूहिक प्रभाव, आतंकवाद के इकोसिस्टम को कमजोर कर रहा है।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि भारत ने उच्चतम वैश्विक स्तर पर अपनी चिंताओं को उठाया है, उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और बैठकों में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने के लिए हमेशा दबाव डाला है। उन्होंने कहा कि 90वीं इंटरपोल महासभा में 2000 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसका समापन ‘आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई’ की घोषणा के साथ हुआ।

2014 से पूर्वोत्तर में शांति का दौर, 6000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया- श्री ठाकुरPeriod of peace in Northeast since 2014, 6000 militants surrendered – Shri Thakur

श्री ठाकुर ने कहा, “आतंक के खिलाफ सरकार के संकल्प को सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर बालाकोट स्ट्राइक तक बार-बार प्रदर्शित किया गया है। हमारे सशस्त्र बलों की कार्रवाई से जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में भारी कमी दर्ज की गयी है। इसी तरह, आतंकवाद को वित्तीय मदद देने के मामलों में सजा की दर 94 प्रतिशत तक हासिल की गयी है।”

केन्द्रीय मंत्री ने पूर्वोत्तर में शांति का माहौल बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि 2014 से उग्रवाद प्रभावित हिंसा में 80 प्रतिशत और नागरिकों की मौतों में 89 प्रतिशत की भारी गिरावट आने की वजह से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति का एक युग शुरू हो गया है। इसके अलावा, उन्होंने 2014 के बाद से छह हजार उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण की उपलब्धि को भी रेखांकित किया।

सरकार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सशस्त्र कार्रवाई से आगे जाने के लिए प्रतिबद्ध है और उसने पूरे क्षेत्र में स्थायी शांति का माहौल बनाने के लिए काम किया है। ये शांति समझौते सरकार की उपलब्धियों की विरासत हैं। इस पहलू को रेखांकित करते हुए, श्री ठाकुर ने सरकार द्वारा हस्ताक्षरित शांति समझौतों को सूचीबद्ध किया

  1. बोडो समझौते पर जनवरी 2020 में हस्ताक्षर किए गए,
  2. ब्रू-रियांग समझौता जनवरी 2020,
  3. एनएलएफटी-त्रिपुरा समझौता, अगस्त 2019 में,
  4. कार्बी आंगलोंग समझौता, सितंबर 2021,
  5. असम-मेघालय अंतर-राज्यीय सीमा समझौता, मार्च 2022 में।

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफ्स्पा) के बारे में बोलते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि अफ्स्पा को वापस लेने के बारे में अबतक सिर्फ चर्चा ही होती रही, लेकिन इस सरकार ने इसे पूरे त्रिपुरा और मेघालय सहित पूर्वोत्तर के एक बड़े हिस्से से वापस ले लिया। उन्होंने मीडिया को जानकारी दी कि यह कानून अरुणाचल प्रदेश के सिर्फ तीन जिलों में लागू है, असम का 60 प्रतिशत हिस्सा अफ्स्पा से मुक्त है, छह जिलों के अंतर्गत 15 पुलिस थानों को अशांत क्षेत्र की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है, सात जिलों में 15 पुलिस थानों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटा दिया गया है।

श्री ठाकुर ने सरकार द्वारा वर्षों से चलाए जा रहे बचाव कार्यों का भी जिक्र किया। इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि संकट में फंसे भारतीय लोगों का जीवन बचाना, सरकार का एक सबसे प्रमुख चिंता का विषय है और भारत पूरी दुनिया में बचाव अभियान चलाने के मामले में सबसे आगे रहा है, उन्‍होंने बचाव अभियान की उपलब्धियों को सूचीबद्ध किया –

  1. फरवरी-मार्च 2022 में ऑपरेशन गंगा के तहत 22,500 नागरिकों को बचाया गया,
  2. ऑपरेशन देवी शक्ति में अफगानिस्तान से 670 भारतीय नागरिकों को बचाया गया।
  3. वर्ष 2021-22 में वंदे भारत मिशन के तहत, बचाव अभियानों की एक सबसे बड़ी सफलता में 1.83 करोड़ नागरिकों की कोविड-19 संकट के दौरान घर वापसी की गई।
  4. भारत द्वारा चीन के वुहान से 654 लोगों को बचाया गया।

भारत में न केवल भारतीयों को बल्कि संकट में फंसे विदेशी नागरिकों के लिए भी मदद की पेशकश की। वर्ष 2016 में ऑपरेशन संकट मोचन के तहत दक्षिण सूडान से 2 नेपाली नागरिकों सहित 155 लोगों को देश में वापस लाया गया। ऑपरेशन मैत्री के दौरान नेपाल से 5,000 भारतीयों को बचाया गया जबकि नेपाल से ही 170 विदेशी नागरिकों का भी बचाव किया गया। ऑपरेशन राहत के तहत यमन से 1,962 विदेशी नागरिकों सहित 6,710 लोगों को बचाया गया।

विश्‍व में भारत द्वारा किए गए इन प्रयासों से जो स्थिति बनी है, उसका जिक्र करते हुए  अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत को अब एक ऐसे देश के रूप में देखा जा रहा है जो संकट के समय अन्य देशों को भी सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए तत्‍पर रहता है और आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से कार्य करता है, जबकि एक पड़ोसी देश को केवल आतंकवाद को शरण देने वाले और हिंसा को बढ़ावा देने वाले देश के रूप में ही देखा जाता है।