ऑपरेशन सिंदूर और हमारी सेना का पराक्रम इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज होगा- बिरला
बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और भारतीय सेना के अदम्य साहस, पराक्रम और शौर्य के सम्मान में मंगलवार को बून्दी शहर में ऐतिहासिक तिरंगा यात्रा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आजाद पार्क से कोटा रोड, नागर-सारग कुंड, इन्दिरा मार्केट, अहिंसा सर्किल, खोजा गेट, गायत्री नगर से होते हुए शहीद रामकल्याण स्मारक पर समाप्त हुई। यात्रा के दौरान हजारों की संख्या में लोग हाथ में तिरंगा थामे और भारत माता की जय का जयघोष करते हुए निकले। रैली में जनप्रतिनिधियों सहित हजारों की संख्या में नागरिक, सामाजिक संस्थाएं, युवा व मातृशक्ति ने सहभागिता की।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हम सभी ने बीते दिनों में देश का सामर्थ्य और उसका संयम, और हर नागरिक के हृदय में उठता राष्ट्रभक्ति का वह ज्वार प्रत्यक्ष देखा हैं। आज जब हम हमारे जवानों के शौर्य को समर्पित तिरंगा यात्रा निकाल रहे हैं और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जयघोष कर रहे हैं, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह सिर्फ़ सेना ही नहीं बल्कि भारत की हर मां की, हर बहन की, हर बेटी की जीत है। यही नारीशक्ति राष्ट्र की अदृश्य शक्ति बनकर, सैनिकों के हौसले की सबसे ऊँची पराकाष्ठा बन गई। जिस प्रकार हमारी सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह उन माताओं के,बहनों के सिंदूर की रक्षा की प्रतिज्ञा थी, जिनके बेटे सरहद पर तिरंगे की रक्षा में मुस्तैदी से तैनात हैं। आज हम सभी भारत माता की रक्षा में दिन-रात समर्पित हमारी थल सेना, वायु सेना, नौसेना, बीएसएफ, अर्धसैनिक बलों और हमारी खुफिया एजेंसियों को, हमारे वैज्ञानिकों को नमन करते हैं।
भारत बुद्ध का देश लेकिन सुदर्शन भी उठा सकता है
बिरला ने कहा कि हम शांति के पक्षधर है, हमने साबित किया है कि यदि शांति की आवश्यकता हो तो भारत बुद्ध का अनुयायी है, और यदि प्रतिकार का समय हो तो भारत विष्णु का सुदर्शन भी उठा सकता है। आज इस राष्ट्र गौरव तिरंगा यात्रा के माध्यम से हम पूरे देश को यह संदेश देना चाहते हैं कि तिरंगा केवल एक झंडा नहीं, यह हमारे शौर्य, बलिदान और अस्मिता का प्रतीक है। जब यह तिरंगा लहराता है, तो हर भारतवासी की छाती गर्व से चौड़ी हो जाती है।