आरवीटी-1 द्वारा किया नीलगाय का शिकार, नर बाघ आरवीटी-1 की निगरानी और मॉनिटरिंग में तेजी
बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- पिछले दिनों रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व में आपसी संघर्ष में नर बाघ आरवीटी-4 की मौत के बाद संघर्ष में आरवीटी-1 के घायल होने की आंशका को देखते हुए वनकर्मियों को प्रत्यक्ष रूप से देखकर उसके घायल होने के प्रमाणिक साक्ष्य जानकारी एकत्रित करने हेतु निर्देशित किया गया हैं। यह कहना हैं टाईगर रिजर्व के उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक अरविंद कुमार झा का।
उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक झा ने मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में नर बाघ आरवीटी-1 की मूवमेंट से अवगत करवाते हुए कहा कि आपसी संघर्ष में नर बाघ आरवीटी-4 की मौत के बाद लगातार सभी वन्यजीव प्रेमियों के द्वारा इस संघर्ष में आरवीटी-1 के घायल होने के कयास लगाएं जा रहे थे। झा ने बताया कि इस दिशा में टाईगर रिजर्व प्रशासप गंभीरता से कार्य कर रहा हैं और वनकर्मियों को प्रत्यक्ष रूप से देखकर आरवीटी-1 के घायल होने के प्रमाणिक साक्ष्य जानकारी एकत्रित करने हेतु निर्देशित किया गया हैं। इस दौरान उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक झा ने आरवीटी-1 के विचरण वन क्षेत्र में लगाये गये कैमरा ट्रेप से 2 व 3 फरवरी को प्राप्त फोटाज का विवरण भी साझा किया और बताया कि प्राप्त फोटोज घटना स्थल से साढ़े 7 किलोमीटर के अंतराल के हैं। इस आपसी संघर्ष के बाद आरवीटी-1 के द्वारा नील गाय के शिकार करने की बात भी प्राप्त फोटोज के आधार पर उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक अरविंद कुमार झा ने कही।
वीडियो मोड में लगाया गए कैमरा ट्रेप
उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक झा ने बताया कि पूर्व से ही टाईगर रिजर्व में उपयोग किये जा रहे कैमरा ट्रेप की लोकेशन को परिवर्तित कर आरवीटी-1 के संभावित विचरण करने वाले वन क्षेत्रों में स्थापित करने के साथ कुछ और कैमरा ट्रेप को स्थापित किया गया है। इस प्रक्रिया में स्थापित किये गये कैमरों की अक्षांश-देशांन्तरकी रीडिंग ली जा रही हैं। इसके साथ-साथ अतिरिक्त लगाये गये कैमरों ट्रेप को विडियों मोड में लगाया गया है, ताकि आरवीटी-1 के फोटोग्राफ्स कुछ अधिक समय के लिये कैप्चर किये जा सकें। जिससे कि उसके घायल होने के प्रमाणिक साक्ष्य प्राप्त हो सकें। इसके साथ-साथ ही इस बाघ के संभावित विचरण क्षेत्र में कार्यरत वनकर्मियों द्वारा उक्त नर बाघ के पगमार्क, स्केट, किल, पेड़ों पर बाघ द्वारा किये गये नाखूनों से खरोध आदि के साक्ष्य भी एकत्रित करने की प्रक्रिया प्रगतिरत है।
उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक झा ने मंगलवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में नर बाघ आरवीटी-1 की मूवमेंट से अवगत करवाते हुए कहा कि आपसी संघर्ष में नर बाघ आरवीटी-4 की मौत के बाद लगातार सभी वन्यजीव प्रेमियों के द्वारा इस संघर्ष में आरवीटी-1 के घायल होने के कयास लगाएं जा रहे थे। झा ने बताया कि इस दिशा में टाईगर रिजर्व प्रशासप गंभीरता से कार्य कर रहा हैं और वनकर्मियों को प्रत्यक्ष रूप से देखकर आरवीटी-1 के घायल होने के प्रमाणिक साक्ष्य जानकारी एकत्रित करने हेतु निर्देशित किया गया हैं। इस दौरान उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक झा ने आरवीटी-1 के विचरण वन क्षेत्र में लगाये गये कैमरा ट्रेप से 2 व 3 फरवरी को प्राप्त फोटाज का विवरण भी साझा किया और बताया कि प्राप्त फोटोज घटना स्थल से साढ़े 7 किलोमीटर के अंतराल के हैं। इस आपसी संघर्ष के बाद आरवीटी-1 के द्वारा नील गाय के शिकार करने की बात भी प्राप्त फोटोज के आधार पर उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक अरविंद कुमार झा ने कही।
वीडियो मोड में लगाया गए कैमरा ट्रेप
उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक झा ने बताया कि पूर्व से ही टाईगर रिजर्व में उपयोग किये जा रहे कैमरा ट्रेप की लोकेशन को परिवर्तित कर आरवीटी-1 के संभावित विचरण करने वाले वन क्षेत्रों में स्थापित करने के साथ कुछ और कैमरा ट्रेप को स्थापित किया गया है। इस प्रक्रिया में स्थापित किये गये कैमरों की अक्षांश-देशांन्तरकी रीडिंग ली जा रही हैं। इसके साथ-साथ अतिरिक्त लगाये गये कैमरों ट्रेप को विडियों मोड में लगाया गया है, ताकि आरवीटी-1 के फोटोग्राफ्स कुछ अधिक समय के लिये कैप्चर किये जा सकें। जिससे कि उसके घायल होने के प्रमाणिक साक्ष्य प्राप्त हो सकें। इसके साथ-साथ ही इस बाघ के संभावित विचरण क्षेत्र में कार्यरत वनकर्मियों द्वारा उक्त नर बाघ के पगमार्क, स्केट, किल, पेड़ों पर बाघ द्वारा किये गये नाखूनों से खरोध आदि के साक्ष्य भी एकत्रित करने की प्रक्रिया प्रगतिरत है।
हरियाण से रेस्क्यू किया गया था मृत बाघ आरवीटी-4
गौरतलब है ंकि हरियाणा के रेवाड़ी वन मण्डल के झाबुआ वनक्षेत्र से सरिस्का रिजर्व के नर बाघ एसटी-2303 को रेस्क्यू कर 11 नवंबर को रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व, बून्दी में स्थानान्तरित किया गया था, जिसे यहां आरवीटी-4 नाम दिया गया था। आरवीटी-4 के पूर्व में विचरण कर रहे नर बाघ आरवीटी-1 के साथ हुए आपसी संघर्ष में 31 जनवरी को मृत्यु हो गई थी। रामगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले छह महीने बाघ की मौत का यह दूसरा मामला था। इससे पहले 15 सितंबर को जंगल में बाघिन आरवीटी 2 का शव मिला था। बाद में बताया गया कि बाघिन की नेचुरली मौत हुई हैं। जिसके बाद रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वन्यजीव प्रेमी भी बाघ की मौत पर दुख जताते हुए बाघों की सुरक्षा को और पुख्ता करने की बात कह रहे हैं।
गौरतलब है ंकि हरियाणा के रेवाड़ी वन मण्डल के झाबुआ वनक्षेत्र से सरिस्का रिजर्व के नर बाघ एसटी-2303 को रेस्क्यू कर 11 नवंबर को रामगढ़ विषधारी टाईगर रिजर्व, बून्दी में स्थानान्तरित किया गया था, जिसे यहां आरवीटी-4 नाम दिया गया था। आरवीटी-4 के पूर्व में विचरण कर रहे नर बाघ आरवीटी-1 के साथ हुए आपसी संघर्ष में 31 जनवरी को मृत्यु हो गई थी। रामगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले छह महीने बाघ की मौत का यह दूसरा मामला था। इससे पहले 15 सितंबर को जंगल में बाघिन आरवीटी 2 का शव मिला था। बाद में बताया गया कि बाघिन की नेचुरली मौत हुई हैं। जिसके बाद रामगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वन्यजीव प्रेमी भी बाघ की मौत पर दुख जताते हुए बाघों की सुरक्षा को और पुख्ता करने की बात कह रहे हैं।