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अनुभव से प्राप्त ज्ञान ही मनुष्य के जीवन में उपयोगी: मुनि सुप्रभ सागर महाराज

बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-जिला मुख्यालय के देवपुरा में स्थित संभवनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में चातुर्मासकालीन वाचना में आचार्य वर्धमान सागर महाराज के शिष्य सुप्रभ सागर महाराज ने प्रातःकालीन स्वाध्याय सभा में द्रव्य संग्रह ग्रंथ के गाथा दर्शन और ज्ञान का साहचर्य पर प्रवचन देते हुए कहा कि व्यक्ति को किसी भी कार्य को करते समय उसी कार्य पर ध्यान केन्द्रित रहना चाहिए। यदि अन्य ओर ध्यान केन्द्रित हुआ तो उसके परिणाम हानिकारक होते हैं। इस अवसर पर मुनिश्री ने चारित्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि व्यक्ति को अशुभ क्रियाओं पाप कषाय से ध्यान हटाकर शुभ क्रियाओं की प्रवृत्ति में ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। इससे मन शुद्धि को प्राप्त किया जा सकता है। जो व्यक्ति अपने चारित्र का पालन करता है वह एक निष्ठावान बनकर कर्मों की निर्जरा कर लेता है। मुनिश्री ने कहा कि लौकिक शिक्षा से डिग्री प्राप्त करके अपनी जीविकोपार्जन तो कर सकता है किंतु मनुष्य के जीवन में अनुभव से प्राप्त ज्ञान बहुत उपयोगी रहता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक व्यक्ति पुस्तकों के आधार पर वाहन के बारे में जानकारी तो प्राप्त कर लेता है किंतु जब तक वह उसे चलाकर अनुभव प्राप्त नहीं करेगा तब तक सफल चालक नहीं बन सकता। आज की धर्मसभा में मंगलाचरण संभवनाथ संस्कार पाठशाला की बालिका परी जैन ने किया तथा दीप प्रज्वलन राजेन्द्र जैन अजेता वाले, विकास सबदरा, जम्बू जैन बोरावर वालों ने किया।