गुरु कृपा आत्म प्रेरणा को जगाती है – लोकेश नारायण
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com-गायत्री शक्तिपीठ द्वारा जोगियों का टापरा ग्राम पंचायत दोडूंदा आयोजित प्रज्ञा पुराण कथा में चौथे दिन कथा सुनाते हुए पंडित लोकेश नारायण शर्मा ने कहा कि मनुष्य संवेदनहीन होकर दुष्कर्म कर रहा है।
आज भरत राम और राम लक्ष्मण जैसा भाई-भाई का प्यार दशरथ जैसा पिता का स्नेह सीता जैसा पत्नी का समर्पण कहां है। स्वार्थ के वशीभूत होकर सब एक दूसरे को परेशान करने के लिए बेचैन रहते हैं। काम काम करें लाभ अधिक हो यही भावना मन में रहती है। इसी कारण धोखा देना, मिलावट करना एवं भ्रष्टचार का बोलबाला है। मरने के बाद एक व्यक्ति की आत्मा को मृत्यु धर्मराज के सामने लेकर पहुंचे दूतों ने बताया कि यह एक बड़ा महात्मा है भारी युषा अवस्था में अपने माता-पिता और स्त्री बच्चों को छोड़कर यह जंगल में चला गया और जीवन भर तप करता रहा धर्मराज ने कहा कर्तव्यों का त्याग कर कोई व्यक्ति धर्मात्मा नहीं बन सकता। परिवार को लोगों के साथ विश्वास घात करके इसने अधर्म ही कमाया है। ऐसा भजन किस काम का जी कर्तव्यों को भूल कर किया जाए। इसे पुनः धरती पर भेजो और कर्तव्य पालन के साथ भजन करने का आदेश दो तभी से स्वर्ग में स्थान मिलेगा।
इन्होंने बताया कि गुरु का महत्व समझाते हुए कहा कि जब मनुष्य को जीवन रूपी या भवसागर में होने लगती है तो गुरु ही उसको पार लगाते हैं। गुरु कृपा आत्म प्रेरणा को जगाती है और अब हमें क्या करना चाहिए, यह समझाती है ।गुरु कृपा होती है तो आत्म प्रगति का द्वार खुल जाता है। नरेंद्र विवेकानंद बन जाते हैं मूल शंकर स्वामी दयानंद सरस्वती घन जाते हैं और हनुमान बजरंगबली बनकर समुद्र को पार कर अकेले ही सोने की लंका को जलाकर भस्म कर देते हैं। गुरु कुभा पाने के तीन सूत्र है ब्रद्धा प्रजा और निछ संसार में यह दोनों ही मुक्ति के समान है।