खबरदतियामध्य प्रदेश

अनन्त विभूषित स्वामी देवनायकाचार्य जी समदर्शी महाराज समाधिस्थ

अनन्तश्री विभूषित स्वामी देवनायकाचार्य समदर्शी महाराज समाधिस्थ हुए, हजारों श्रद्धालुओं/ भक्तों व शिष्यों ने किए अंतिम दर्शन
दतिया @rubarunews.com/Ramji S. Rai/>>>>>>>>>>>>  श्रीरामानुज धाम आश्रम दतिया एवं श्री गीता ज्ञान आश्रम कम्पिल फरुखाबाद उप्र के अधिष्ठाता अनन्तश्री विभूषित स्वामी देवनायकाचार्य जी समदर्शी महाराज (135 वर्षीय) बुधवार को समाधिस्थ हो गए।

श्रीरामानुज धाम आश्रम दतिया पर विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ स्वामी देवनायकाचार्य जी महाराज का श्री रामानुज सम्प्रदाय की परंपरा अनुसार स्वामी जी के शिष्यों व सेवादारों ने सामूहिक रूप से दुग्ध,दही, घृत,जल,इत्र से अभिषेक कराया। संपूर्ण क्रिया पंडित नन्द किशोर दीक्षित ने वैदिक मंत्रोच्चारण द्वारा सम्पन्न कराई।

अभिषेक के पश्चात स्वामी जी की आरती हुई। हजारों की संख्या में श्री रामानुज धाम पहुंचे स्वामी जी के शिष्यों व श्रद्धालुओं ने नम आंखों से स्वामी जी के अंतिम दर्शन कर, पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें अंतिम विदाई दी। कई श्रद्धालु एवं महिलाएं भाव विभोर हो उठे।

अंतिम दर्शनों के पश्चात स्वामी जी समाधिस्थ हुए। इस विशेष अवसर पर संत श्री रामसिया सरकार एवं श्री धूमेश्वर महादेव मंदिर के संत जी विशेष रूप से उपस्थित है। स्वामी जी के अंतिम दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में देश के कोने कोने से श्रद्धालु व स्वामी जी के शिष्य आश्रम पर पहुंचे।

आत्मा अविनाशी हैं, शरीर नाशवान-
श्रीरामानुज धाम दतिया के पीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित स्वामी देवनायकाचार्य समदर्शी महाराज के मतानुसार श्रीमद भगवद गीता भगवान के मुखार बिंद से निकली हरि मुख की वाणी हैं, इसलिए हम सभी के लिए गीता बहुत अमूल्य देन हैं। गीता को पढ़ना चाहिए, जानना चाहिए, सुनना चाहिए और सुनाना चाहिए। गीता में अपना जीवन अर्पित कर देना चाहिए। आत्मा अविनाशी है और शरीर नाशवान है, आत्मा किसी काल में न तो जन्म लेती है न मरती है। शरीर के नष्ट हो जाने के बाद भी यह नहीं मरती। व्यक्ति सांसारिक सुखों के वशीभूत होकर परमात्मा से विमुख हो जाता है। श्रीमद भागवतगीता जीवात्मा का परमात्मा से साक्षात्कार कराती है।

श्रीरामानुजम धाम पर होता है प्रतिदिन 7 हजार श्लोकों का उच्चारण
श्रीरामानुज धाम आश्रम पर चल रहे श्रीमद्भागवत गीता के अखण्ड अनवरत पाठ पिछले 8 साल से चल रहा है। प्रतिदिन अलग-अलग यजमानों के नाम से गीतापाठ होता हैं। गीतापाठ का प्रतिफल व्यक्ति व उसके परिवार के लिए कल्याणकारी है। श्रीमद्भागवत गीता के 1 पाठ में 18 अध्याय में 700 श्लोक हैं। प्रतिदिन 10 गीता पाठ होते हैं। इस तरह प्रतिदिन 7 हजार श्लोकों का सस्वर उच्चारण आस-पास के वातावरण को शांत व कांतिमय बनाता है। पिछले 8 साल में 29200 गीता पाठ यानि 2 करोड़ 4 लाख 40 हजार श्लोकों का उच्चारण हो चुका है।

जीव के लिए कवच है गीता- समदर्शी महाराज
श्रीरामानुज धाम से जुड़े पंडित नन्द किशोर दीक्षित के अनुसार गीता भगवान के मुख से निकली हुई वाणी हैं, यह जीवन के आपातकाल में विशेष कवच तैयार करती हैं।जिससे व्यक्ति पूरी तरह सुरक्षित हो जाता हैं। मरणासन्न अवस्था में व्यक्ति को गीता इसलिए सुनाई जाती है, कि कवच तैयार हो जाए,उससे ना-ना प्रकार के भोग कर्म है उसे उनको भोगने के लिए हमारा जीवन भगवान को अर्पित हो जाए।

2014 में हुई थी श्री रामानुज धाम की स्थापना-
दतिया में श्री रामानुज धाम आश्रम की स्थापना साल 2014 में स्वामी जी ने कराई थी। स्वामी श्री देवनायकाचार्य जी समदर्शी महाराज श्रीमद्भागवत गीता के प्रचारक थे। उन्होंने उप्र के फरुर्खाबाद जिले के कम्पिल में ग्यारह खंडीय गीताज्ञान आश्रम का भी निर्माण कराया तथा आश्रम के संचालन की व्यवस्था बनाई।
श्री रामानुज धाम पर तब से ही अखंड गीता पाठ चल रहा है एवं विश्व का एकमात्र सहस्त्रफड़धारी भगवान शेषनाग जी का मंदिर श्री रामानुज धाम आश्रम में ही बन रहा है।