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परिंदों के लिए समृद्ध वेटलैंड है अभयपुरा बांध

बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com/ @www.rubarunews.com- बून्दी जिले में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर नियंत्रण क्षेत्र का अभयपुरा बांध परिंदों के लिए समृद्ध वेटलैंड है। इस बांध का नहरी सिस्टम ऊंचाई पर होने से यह कभी खाली नहीं होता जिससे यहां वर्ष भर पक्षियों व अन्य वन्यजीवों की उपस्थिति बनी रहती हैं। यदि यहां मछली ठेका नहीं हो तो पेलिकन सहित सभी प्रजातियों के पक्षियों के लिए यह वेटलैंड सर्वोत्तम आश्रय स्थल बन सकता है। भीमलत-अभयपुरा इको टूरिज्म क्षेत्र में इन दिनों प्रवासी, अन्तः प्रवासी व स्थानीय पक्षियों के कलरव से आबाद है, लेकिन पिछले वर्षों की अपेक्षा प्रवासी, अन्तः प्रवासी बहुत ही कम हैं। जिसका कारण अभयपुरा बांध में मछली ठेका दिया जाना हैं। मछली ठेका परिंदों के लिए के स्वच्छंद आश्रय में सबसे बड़ी बाधा हैं। जानकारी के अनुसार पिछले दिनों आरवीटीआर प्रशासन द्वारा जल संसाधन विभाग को पत्र भेज कर मछली पालन का ठेका निरस्त करने को लेकर भिजवाया भी गया हैं।
स्थानीय निवासी और प्रकृति प्रेमी राधेश्याम सैनी ने बताया कि पिछले 2 वर्षो में यहां मछली ठेका बंद होने से पक्षियों की तादात बढ गई थी, जिससे यह स्थान प्रवासी, अन्तः प्रवासी व स्थानीय पक्षियों से आबाद हो गया था। जिससे चलते इसे पक्षी संरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित करने की उम्मीद जगी हैं। लेकिन अब वापिस मछली ठेका देने के कारण यहां पक्षी कम तादाद में नजर आ रहे हैं।
ईको टूरिज्म सेंटर बनने की प्रबल संभावना
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बूंदी-चित्तौड़ मार्ग स्थित अभयपुरा बांध को ईको टूरिज्म सेंटर के रूप में विकास किया जा सकता हैं। इसके लिए सुव्यवस्थित तरीके से तैयारियां किए जाने की आवश्यकता है। बूंदी महोत्सव के दौरान इन स्थानों पर देशी विदेशी पर्यटकों को लाया जाना चाहिए, इसको दृष्टिगत रखते हुए पर्यटन गतिविधियां शीघ्र शुरू करवाई जाऐ। अभयपुरा बांध परं पक्षियों को देखने के लिए बर्ड वाचिंग सेंटर स्थापित किया जाए, साथ ही आईलैंड पर पर्यटकों के लिए भी व्यवस्थाओं का रोडमैप तैयार किया जा सकता हैं। यहां पास मे ही भीमलत महादेव हैं, जहां पिछले 5 महिने पहले लवकुश वाटिका की सौगात भी पर्यटकों के लिए दी गई हैं। इसी क्षेत्र में कोटा-चित्तौडग़ढ़ रेल खंड में वर्ष 1988 में दुर्गम पहाड़ी के बीच ह 4 डिग्री कर्व पर बनी हुई भीमलत टनल भी स्थित है। जिसकी कुल लंबाई 320 मीटर है। भीमलत महादेव वाटरफॉल का पानी इस अभयपुरा बांध को सरसब्ज करता हैं। भीमलत घाटी का भ्रमण कर गिद्धों की काफलोनी तथा रॉक पेंटिंग भी उपलब्ध हैं।
इन पक्षियों का हैं बसेरा
भीमलत-अभयपुरा इको टूरिज्म क्षेत्र रेल व मुख्य सड़क से जुड़ा हुआ होने के साथ प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का भी भाग है जिससे यहां इको टूरिज्म की प्रबल संभावनाएं है। बांध में पूरे साल पानी रहता है, जिससे यह वेट-लेंड कई प्रजातियों का स्थाई बसेरा बन गया है। यहां पहुंचने वाले प्रवासी पक्षियों में पेलिकन व बार हेडेड गूज पक्षी अधिक संख्या में है। इसके साथ ही नोर्थन शोवलर बतखें, यूरोपियन पिनटेल, कोमन टील, पोचार्ड, ग्रे-लेग गूज, सुरखाब, गोडविट, रफ, यूरेशियन कूट आदि भी दिखाई दे रहे है। स्थानीय व अन्तःप्रवासियों में ग्रे-हेरोन, थिकनी, ओपन-बिल स्ट्रोक, वूली-नेक्ड स्ट्रोक, पेंटेड स्ट्रोक, यूरेशियन स्पूनबिल, कोरमोनेन्ट, स्पोटबिल बतखें आदि आकर्षण का केंद्र होते हैं।
पक्षी विशेषज्ञों ने माना उत्तम आश्रयस्थल
पिछले वर्षो में अभयपुरा बांध पर आयोजित पक्षी मेले के दौरान भीमलत घाटी व आसपास के क्षेत्र का भ्रमण कर इन पक्षी संरक्षण की संभावनाओं को तलाशा था। इस दौरानं कोटा के पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक रविंद्र सिंह तोमर, बूंदी के पृथ्वी सिंह राजावत, नेचर प्रमोटर ए.एच. जैदी, जल बिरादरी के ब्रजेश विजयवर्गीय, मनीष आर्य, बनवारी यदुवंशी, उर्वशी, राजेंद्र माहेश्वरी, सौमित्र शर्मा, सोनू सहित कई पक्षी विशेषज्ञों ने यहां के पर्यावास को परिन्दों के लिए उत्तम आश्रयस्थल माना था और पक्षी संरक्षित क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की आवश्यकता जताई थी।
यह पांच बांध वेटलैंड हेतु प्रक्रियाधीन
पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक पृथ्वी सिंह राजावत ने बताया कि पक्षी प्रेमियों की मांग पर पिछले दिनों वन विभाग द्वारा बून्दी के बरधा बांध, तालेड़ा, कनक सागर दुगारी, रतन सागर तलवास, जैतसागर, बून्दी तथा अभयपुरा बांध के प्रस्ताव वेटलैंड घोषित करने हेतु भिजवाएं गए हैं, जिन पर विभाग द्वारा आपत्तियां मांगी गई हैं। जल्दी ही अभयपुरा बांध सहित पांचों बांध वेटलैंड क्षेत्र घोषित होगे।
इनका कहना है
भीमलत की प्राकृतिक वेली में स्थित अभयपुरा बांध सभी प्रजाति के पक्षियों के लिए बेहतर आश्रय स्थल व बूंदी जिले का प्रमुख वेट-लेंड है। इस बांध के बीच में बड़े बड़े भू-भाग टापू के रूप में है, जहां पर उगे विलायती बबूलों का हटाकर अन्य पौध लगाए जाएं तो यह पक्षियों के लिए घाना पक्षी विहार की तरह राजस्थान के दूसरा पक्षी विहार बन सकता है।
पृथ्वी सिंह राजावत, पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक, बूंदी
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मछली पालन और वेटलेंड की घोशण दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते। वेटलैंड बना कर पक्षियों को बचाना और संरक्षण देना हैं तो मछली पालन के ठेके भी बंद करने होंगे। मठली ठेकेदार एक्सप्लोसिव का उपयोग भी करते हैं, जिससे न केवल पानी प्रदूशित होता हैं, अपितु पक्षी भी चोटिल होते हैं और डर की वापिस चले जाते हैं।
बृजेश विजयवर्गीय, बाघ चीता मित्र व सदस्य चंबल संसद
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अभयपुरा बांध रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व क्षेत्र से संबंध हैं, जिसमें पहले से ही मत्स्य विभाग द्वारा मछली पालन का ठेका दे रखा हैं। विभाग की ओर से मछली टेके को निरस्त करने के लिए पत्र भेजा गया हैं। यह सभी प्रजाति के पक्षियों के लिए उपयुक्त आश्रय स्थल हैं। इसे इको टूरिज्म सेंटर के रूप में विकसित करने के प्रयास करेंगे।
संजीव शर्मा, उपवन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक,रामगढ़-विषधारी टाइगर रिजर्व