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मद्रास हाईकोर्ट के जीवन और स्वतंत्रता सम्बन्धी आरटीआई आदेश पर 49 वें राष्ट्रीय वेबिनार का हुआ आयोजन

कोविड-19 से जुड़ी लाइफ और लिबर्टी संबंधी जानकारी के लिए सरकार बनाए व्यवस्था – मद्रास हाई कोर्ट

लाइफ और लिबर्टी मामलों में भी अपीलों के लिए समय सीमा निर्धारित हो – एक्टिविस्ट सौरव दास

 

दतिया/ रीवा @rubarunews.com>>>>>>>>>> 49 वें राष्ट्रीय जूम मीटिंग वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से आरटीआई एक्टिविस्टों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने किया जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, कर्नाटक से आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेश वेल्लोर, पत्रकारिता से जुड़े और आरटीआई एक्टिविस्ट सौरव दास सम्मिलित हुए।

कार्यक्रम का संचालन, समन्वयन एवं प्रबंधन का कार्य एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, पत्रिका से मृगेंद्र सिंग, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा एवं छत्तीसगढ़ से आरटीआई कार्यकर्ता देवेंद्र अग्रवाल ने किया। ल

🔹 कोविड-19 से जुड़ी लाइफ और लिबर्टी संबंधी जानकारी के लिए सरकार बनाए व्यवस्था – मद्रास हाई कोर्ट

49 वें ज़ूम मीटिंग वेबीनार में चर्चा का मुख्य विषय अभी हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट का एक निर्णय रहा जिसमें याचिकाकर्ता सौरव दास बनाम केंद्रीय सूचना आयोग एवं अन्य के एक 2020 के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने अंतरिम रिलीफ देते हुए सरकार और केंद्रीय सूचना आयोग को निर्देशित किया कि वह आरटीआई कानून की धारा 7(1) के तहत जीवन और स्वतंत्रता संबंधी 48 घंटे के भीतर चाही जाने वाली जानकारी के लिए आयोग में प्रतिदिन 3 से 4 घंटे तक स्पेशल व्यवस्था सुनिश्चित करें।

इस विषय में निर्देशित करते हुए सरकार और आयोग को व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कहा। साथ में मद्रास हाई कोर्ट ने यह भी कहा की कोविड-19 महामारी की स्थिति में आवेदक अनाप-शनाप आरटीआई न लगाएं और लोक प्राधिकारी एवं लोक सूचना अधिकारियों का महत्वपूर्ण समय न बर्बाद हो।

इस विषय पर उपस्थित कार्यक्रम अध्यक्ष राहुल सिंह, पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी, पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप, आरटीआई एक्टिविस्ट वीरेश बेलूर एवं स्वयं एक्टिविस्ट एवं याचिकाकर्ता सौरव दास ने बताया कि मद्रास हाईकोर्ट का जीवन और स्वतंत्रता से संबंधित 48 घंटे के भीतर जानकारी सुनिश्चित किए जाने संबंधी आदेश मील का पत्थर साबित होगा।

इस आदेश को आधार बनाकर सभी प्रदेशों के राज्य सूचना आयोग एवं सरकारों को आरटीआई कार्यकर्ताओं के द्वारा पत्राचार किए जाने चाहिए और जीवन एवं स्वतंत्रता से संबंधित समस्त ऐसी जानकारियों को समय सीमा में जल्द से जल्द उपलब्ध करवाया जाए इस विषय पर जोर दिया जाना चाहिए। इस बीच सभी ने कर्नाटक एवं कोलकाता हाई कोर्ट के 45 दिन के भीतर द्वितीय अपील के निपटारे संबंधी आदेश का भी हवाला दिया और बताया गया की ऐसी व्यवस्थाएं सुनिश्चित हों जिसमें समय सीमा के भीतर अपीलों का निपटारा किया जाना चाहिए।

 

🔸लाइफ और लिबर्टी मामलों में भी अपीलों के लिए समय सीमा निर्धारित हो – एक्टिविस्ट सौरव दास

इस बीच पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े हुए एक्टिविस्ट सौरव दास ने बताया कि उन्होंने अपनी मूल याचिका में 48 घंटे के भीतर जीवन और स्वतंत्रता संबंधी धारा 7(1) की जानकारी न मिलने पर प्रथम एवं द्वितीय अपील के लिए भी उसी प्रकार उचित समय सीमा निर्धारित करने के लिए माग की थी। लेकिन अभी मामले में अंतिम सुनवाई नहीं हुई है और मात्र अंतरिम सुनवाई ही हुई है। उन्होंने बताया कि मामला अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है जबकि कुछ समय के लिए को क्लोज कर दिया गया है। इसलिए उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट लाइफ और लिबर्टी वाले मामलों में बेहतर ढंग से संज्ञान लेगी और प्रथम एवं द्वितीय अपील के लिए भी 48 घंटे जैसी ही समय सीमा निर्धारित करेगी।

49 वें जूम मीटिंग वेबीनार का सीधा प्रसारण फेसबुक लाइव पेज आरटीआई रिवॉल्यूशनरी ग्रुप में भी किया गया एवं साथ में यूट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध है। आयोजक सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा बताया गया की 50 वीं जूम मीटिंग वेबीनार में आरटीआई के विशेष पहलुओं पर चर्चा की जाएगी एवं साथ में विशेष अतिथियों को आमंत्रित किया जाएगा। उक्त जानकारी शिवानंद द्विवेदी सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता जिला रीवा ने दी।