राजस्थान

151 वीं वर्ष जयंती पर बादलों से अवतरित हुए रेडियम के गाँधी……

कोटा.K.K.Rathore/ @www.rubarunews.com- सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के पुजारी महात्मा गाँधी की 151 जयंती के उपलक्ष्य में जहाँ एक और पुरे विश्व में शैक्षणिक, सांस्कृतिक और अध्यात्मिक गतिविधियाँ वर्चुअल और प्रत्यक्ष रूप में हो रही है वही दूसरी और कोटा राजस्थान की सोसाइटी हैस ईव इंटरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष डॉ. निधि प्रजापति ने हाथ से महात्मा गाँधी की विश्व की अब तक की सबसे बड़ी रेडियम डॉट्स (बिंदियों) के संयोजन से कोलाज के रूप में पेंटिंग बनाई है जिसका उद्घाटन विश्व विख्यात गांधीवादी चिन्तक विचारक जीवंत गाँधी सम्मानीय श्री डॉ. एस. एन. सुब्बाराव ने वर्चुअल रूप से किया |
डॉ. निधि प्रजापति ने बताया की इस पेंटिंग को बनाने में उन्हें पुरे दो माह का समय लगा जिसमे पहले एक माह में रेडियम के स्क्रैप से पेपर पंचिंग मशीन की सहायता से डॉट्स के गोल स्टीकर तैयार किये गए तत्पश्चात उन्हें 8’ X 4’ फीट की प्लाई पर प्रतिदिन चार से पांच घंटे नियमित रूप से देते हुए तीस हजार से अधिक रेडियम डॉट्स से गाँधी जी की प्रतिमा को रूप देते हुए प्रेरणा सेवा संस्थान की निदेशक कविता शर्मा के फायर एंड सेफ्टी इंस्टिट्यूट में पेंटिंग बनाई गई | पेंटिंग के लिए रेडियम डॉ. निधि के पिता की शॉप से जो रेडियम उपयोग में लेने के बाद वेस्ट बच जाता था उसका प्रयोग किया | पेंटिंग में गाँधी जी की परछाई को बादलों से झलकते हुए दर्शाया गया है जो ये दर्शाता है की आज भी गाँधी के आचार, विचार, दर्शन, नियमों और अनुशासन की आवश्यकता है |
उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. एस. एन. सुब्बाराव ने डॉ. निधि प्रजापति को पेंटिंग की बधाई देते हुए ‘यदि वर्तमान में गाँधी जीवित होते तो युवाओं के लिए क्या सन्देश देते है’ विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा की आज यदि गाँधी जिन्दा होते तो बहुत दुखी होते क्योंकि युवाओं के चरित्र में देशप्रेम, राष्ट्रप्रेम के स्थान पर रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, बेईमानी, झूठ, फरेब भरा हुआ है उनके जीवन में चारित्रिक-नैतिक मूल्यों का हास हो गया है | युवाओं को चाहिए की वे बेईमानी और रिश्वतखोरी को छोड़ कर बेरोजगारी, हिंसा, भूख, नशा और भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की और अपना ध्यान केन्द्रीत करे क्योंकि इसी से विश्व में भारत वासियों को मान-सम्मान और इज्जत मिलेगी | मार्ग में आई बाधाएँ –डॉ. निधि प्रजापति ने बताया की इस दौरान सबसे बड़ी समस्या पेंटिंग को बनाने के लिए बड़े स्थान की थी जिसे प्रेरणा सेवा संस्थान के फायर एंड सेफ्टी इंस्टिट्यूट के द्वारा दूर किया गया क्योंकि इतनी बड़ी खुली जगह इस कोरोना काल में कही नहीं मिल रही थी | हर डॉट से उसका स्टीकर निकलना दूसरा सबसे बड़ा चैलेंज था | इसके बाद पेंटिंग के अंतिम चरण में पीले रेडियम डॉट्स के खत्म होने पर आई पिता जी के पास जो रेडियम वर्तमान में उपलब्ध थे उनका रंग पहले से अलग था कोटा की अनेको दुकानों पर देखने पर भी पहले जैसे रेडियम नहीं मिला अंत में साधना आर्ट्स के रजनीश राहुरे के मदद से बाकि बचे हुए रेडियम की पूर्ति की गई |