राजस्थान

होली के नाम पर कही आप पाप के भागी तो नहीं बन रहे?

बून्दी.KrishnaKantRathore/ @www.rubarunews.com>> पेड़-पौधे हमारे परिवार के सदस्य की तरह हैं। इनकी देखभाल करना हम सब का दायित्व है। जब तक हम वृक्षों का ग्रहों से जुड़ा गहरा नाता नहीं समझेंगे तब तक होलिका दहन को समझ पाना मुश्किल है। बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक होली के त्योंहार पर हरे पेड़-पौधों की बलि चढ़ाना सही नहीं है। होली पर दिखावे के लिए हजारों हरे-भरे पेड़ों की बलि देना पाप का भागी बनने के समान है। ज्योतिषाचार्य शिव प्रकाश दाधीच ने बताया कि एक पेड़ को काटने पर एक पुत्र की हत्या के बराबर पाप लगता है।
होली जलाएं, मगर प्रतीकात्मक
दुनिया का कोई भी शास्त्र हरे पेड़ को काटने की अनुमति नहीं देता। हरे पेड़ को काटना एक हत्या के समान बताया गया है। हिन्दू दर्शन एवं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर पेड़ का सम्बन्ध किसी न किसी ग्रह से होता है। यह जरूरी नहीं की आप होलिका दहन के लिए लकड़ी जलाएं, बल्कि कंडों की होली भी जलाई जा सकती है। इससे वातावरण शुद्ध रहेगा। प्रतीकात्मक रूप से सूखी लकड़ी की होली जलाएं या कंडों की होली जला सकते हैं ।
इन पेड़ों को काटने से यह ग्रह होंगे नाराज
आक, नीम व बिल्व पत्र का पेड़ काटने पर सूर्य रूष्ठ होगा। इसी तरह पलाश का पेड़ काटा तो- चन्द्रमा, अनंत मूल या खेर-से मंगल, विधारा,जामुन या केत काटने पर बुध की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। केल, भृंगराज, बड, पीपल व अशोक काटा तो बृहस्पति नाराज होंगे। गूलर ,आम, अमरूद आदि फलों के वृक्ष काटने पर शुक्र की नाराजगी झेलनी पड़ सकती हैं ।वहीं, बबूल, बिछोल खेजड़ी काटने से शनि आप से नाराज हो सकता है। चंदन व दोब को नुकसान पहुंचाने पर राहु , असगंध व कुषा पेड़ काटे तो केतु की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। हर पेड़ का स्वामी कोई न कोई ग्रह है। इस कारण पेड़ काटने से ग्रह नाराज हो जाते हैं।
हर साल होली के रूप में कुर्बान होती है हजारों खेजड़ियाँ
राजस्थान के अधिकांश अंचलों में पहले हर गांव में किसी एक स्थान पर एक माह पूर्व विधि विधान से होली के डांडे का रोपण होता था लेकिन आजकल हर गली मोहल्लों में होलिका दहन के दिन कई हरे पेड़ों की बली लेकर होलिकाएँ खड़ी कर दी जाती है। होली के लिए ज्यादातर मामलों में खेजड़ियाँ या रोंझ के हरे व सीधे तने वाले पेड़ को काम में लेते हैं। दुखद पहलू है होली के नाम पर हरे पेड़ काटने की बढ़ती इस गलत परम्परा को रोकने की अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है। पृथ्वी सिंह राजावत, बून्दी

Umesh Saxena

I am the chief editor of rubarunews.com