हुनर को मिला सहारा तो बना दिया 50 फीट ऊंचाई तक उड़ने वाला हेलिकॉप्टर बनाया
बूंदी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com>> बूंदी जिले के हिंडोली उपखंड के एक आईटीआई के ग्रामीण छात्रा ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए 50 फीट ऊपर उड़ने वाला एक हेलीकॉप्टर बनाया है। जानकारी के अनुसार हिंडोली के कचनारिया गांव निवासी राजबहादुर सिंह सोलंकी ने एक हेलीकॉप्टर बनाकर अपना सपना सच कर दिखाया है। इसके लिए सोलंकी को 2 साल की कड़ी मेहनत लगी। सोलंकी ने बताया की उनका सपना था कि वह हेलीकॉप्टर तैयार करें। जो आज पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर तैयार करने में 1 लाख रुपए का खर्च आया है। राजबहादुर आईटीआई डिग्री धारक होने के साथ ही आईटीओटी के सीटीआई का डिप्लोमा कर रहे हैं। पढ़ाई के दौरान छात्र का सपना था कि वह हेलीकॉप्टर बनाए। उसने विशेषज्ञों की सलाह के बाद 150 किलो वजन का 50 फीट ऊंचाई तक उड़ने वाला हेलिकॉप्टर बना दिया।
हेलीकॉप्टर तैयार करने में एक लाख की आई लागत
सोलंकी ने बताया कि हेलीकॉप्टर को तैयार करने में 1 लाख रुपए की लागत आई है। इसके लिए निदेशालय से वित्तीय सहायता भी मिली जिससे 150 किलो वजन का हेलिकॉप्टर बनकर तैयार हुआ। जो अब उड़ने के लिए तैयार है। हेलिकॉप्टर बनाने के लिए निदेशालय जोधपुर से बाकायदा अनुमति ली गई है। इसको स्टार्ट करने की टेस्टिंग भी कर ली है। केवल उड़ाना बाकी है।
उड़ाने की अनुमति के लिए किया आवेदन
छात्र राजबहादुर ने बताया कि हेलीकॉप्टर बनकर तैयार है तथा इसकी सारी टेस्टिंग कर ली गई है केवल उड़ाना बाकी है। हेलिकॉप्टर उड़ाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है, अनुमति के लिए आवेदन किया है और स्वीकृति मिलते ही इसको उड़ाया जाएगा।
हेलीकॉप्टर तैयार करने में इन उपकरणों का किया उपयोग
सोलंकी ने बताया कि हेलिकॉप्टर बनाने में ऑटो का 7.5 एचपी का डीजल एयर कूल्ड इंजन लगाया गया। वहीं, 2 बेवल गियर बॉक्स लगाए हैं, जो 90 डिग्री पर इनपुट और आउटपुट सॉफ्ट रोटेड करते हैं। 2 श्वास प्लेट, हाथों के लिए कंट्रोलर लीवर लगाए हैं। पीछे वाली पंखुड़ी का कंट्रोलर पैरों की ओर लगाया है। हेलीकॉप्टर में सिंगल सीट, 2 फैन बेल्ट, 2, 4 व 12 इंच की एलॉय पुल्ली, 2 एक्सल पंखुड़ी चलाने के लिए लगाई गई। पंखुड़ियों को कनेक्ट करने और फिक्सिंग के लिए नट बोल्ट और विशेष प्रकार के पाइप लगाकर हेलिकॉप्टर तैयार किया।
सहायक निदेशक आईटीआई मुकुट बिहारी वर्मा ने बताया कि छात्र को उसकी प्रतिभा के चलते हेलीकॉप्टर के प्रोजेक्ट में शामिल किया गया। इसके लिए निदेशालय से परमिशन भी मांगी गई। इसकी वित्तीय सहायता भी मिली है। छात्र ने निरंतर प्रयास कर सफलता हासिल की है। ऐसी प्रतिभाओं को निखारा जाएगा।