राजनीति… हमारे अंगने में तुम्हारा क्या काम है ।Politics… what is your work in our body
श्योपुर( राम प्रसाद पारेता) @www.rubarunews.com>> विद्वान ख्यातिमान राजनीतिक विश्लेषकों का स्पष्ट मत है कि जब “खुद को किरदार वालों का सम्राट होने का दिखावा करके, किरदार वाले समर्पित कुशल एवं प्रतिभावान योग्य कार्यकर्ताओं के किरदार को तराशने की फिराक में रहते हैं,जबकि हकीकत यह है कि उनका अपना परमार्थिक या लोकहित के लिए काम करने की दिशा में कोई अच्छा किरदार नहीं रहा है””लेकिन फिर भी वरिष्ठ नेतृत्व की पसंद बने हुए हैं ।
राजनीति… हमारे अंगने में तुम्हारा क्या काम है ।Politics… what is your work in our body
मतदाता कोई अच्छा विकल्प न होने की स्थिति में इन्हें सुनती और चुनती भी रहती है जबकि यह विश्वास योग्य नहीं होते हैं बल्कि दलगत एवं गुटवादको भूलकरअपना लाभ प्राप्त करने के लिए आपस में उसी तरह एक हो जाते हैं जैसे विधानसभा और लोकसभा में अपने वेतन भत्ता के लाभ प्राप्त करने की गरज होने पर दल की रीति नीति के अनुसार लोकहित में किसी प्रकार की बहस भी नहीं करते मौन होकर 2 मिनट में प्रस्ताव को पारित कर देते हैं इसी तरह है यह सारे एक दूसरे के साथ में एकराय होकर लोकहित में काम करने की क्षमता रखने वाले ऊर्जावान प्रतिभावान नई प्रतिभा के सेवक को प्रतिस्पर्धी बनने से (मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है की तर्ज पर)रोक देते है और ऐसी निर्विकल्प परिस्थिति में मतदाता इनमें से ही किसी एक को मजबूर होकर चुनता है ।
ऐसी स्थिति में जिस राजनीतिक पार्टी के अंदर संगठन की रीति नीति (विचारधारा) को इस प्रकार के किरदार वालों के द्वारा कम महत्व दिया जाए और व्यक्तिवादी महत्वाकांक्षा को अधिक बढ़-चढ़कर महत्व दिया जाए अर्थात पार्टी के समर्थित कार्यकर्ताओं को तथा पार्टी की रीति नीति (विचारधारा ) से सम्मोहित संवेदनशील मतदाताओं को पार्टी की विचारधारा से जोड़ने की बजाए पार्टी के अंदर अपना वर्चस्व एवं प्रभावशाली दबाव कायम रखने की मनसा वाला व्यक्ति जो गब्बर सिंह की तरह अपने को ही पार्टी आका की हैसियत का समझने वाला होता है वह चाहे कोई एक व्यक्ति हो अथवा अनेक लेकिन ऐसे व्यक्ति जब एक से अनेक हो जाते हैं तब की स्थिति में एक और जहां यह सभी आपस में एक दूसरे को नीचा दिखाने और चुनाव में हराने की कोशिश करने में कोई कोर कसर छोड़ते नहीं है
जिसके कारण पार्टी उस क्षेत्र के लिए नेतृत्व विहीन होने की स्थिति में आ जाती है तथा वही दूसरी ओर इनकी कारगुजारीओं के कारण कार्यकर्ता एवं मतदाताओं को गुटबाजी चलाकर अपने अपने से जुड़ने के लिए तन मन से जुट जाते हैं और कार्यकर्ता एवं मतदाता उसके प्रभाव में आकर गुटबाजी का शिकार हो जाता है |
यही प्रभावशाली राजनीतिक नेता पार्टी के प्रति प्रतिबद्ध समर्पित निष्ठावान कार्यकर्ताओं का समय-समय पर मुसीबत में उनका वैधानिक काम करके स्मरणीय एवं चिंतन योग्य सम्मान और सहयोग करने के बजाए गुटबाजी की चल रही प्रतिस्पर्धा के कारण किसी भी तरह निराश करने को तैयार रहते हैं यह जानकर कर कि यह पार्टी का लेवल लगा कार्यकर्ता है इसलिए इस पार्टी के अलावा जाएगा कहां और यदि किसी अन्य गुट को साथ दिया तो बच कर कहां जाएगा किनारे करके अथवा अलग-थलग करके ठीक से इस तरह निपटा देंगे कि जिंदगी भर याद करेगा और दो-दो “खून के आंसू रोएगा” अर्थात समर्थन एवं सहयोग उनके गुट को देना कार्यकर्ता की मजबूरी कर देंगे साथ ही साथ यह नेता अपने एवं पार्टी प्रभाव का इस्तेमाल जिन लोगों का पार्टी से कोई जुड़ाव नहीं रहा है लेकिन जिनसे इनका मतलब हल हो सकता है|
ऐसे अन्य लोगों को “पुराने को छोड़ो और नय को पकड़ो तथा घर के पूत कुंवारा डोले और पड़ोसी के फेरे”की तर्ज पर वक्त वक्त पर बढ़-चढ़कर मदद करके लाभ पहुंचाते रहे और इस तरह समर्पित पार्टी के कार्यकर्ताओं को आहत करते हुए चिढ़ाते रहने की आदत अर्थात स्वभाव बना लें या बन जाए ,तब की स्थिति में जहां-जहां गोपनीय तौर पर प्रतिस्पर्धात्मक गुटबाजी का शिकार हुई वह राजनीतिक पार्टी समय चाहे कितना भी लगे स्थिति और परिस्थिति चाहे कुछ भी बने लेकिन इस निहित स्वार्थ एवं व्यक्तिवाद पर केंद्रित हो जाने की स्थिति में वहां वहां आहत हुए समर्पित कार्यकर्ताओं की कमी होती है और तब की स्थिति में उस पार्टी का जनाधार वहां वहां 1 दिन समाप्त होने की स्थिति में आ जाता है जिसका दुष्प्रभाव प्रदेश एवं देश की राजनीति पर भी होता है
यह दुर्योधन जैसा कृत्य इन महाबलीओं का ऐसा है “”हम भी डूबेंगे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे . खुद भी गए . निष्ठावान कार्यकर्ता भी गया और मातृत्व संगठन भी कमजोर हो गया तथा क्षेत्र प्रतिनिधित्व विहीन हो गया ,डायन जैसी स्थिति
……. हर किसी को खा खा कर समाप्त ही करेगी !??? ऐसी स्थिति में “”यदि राजनीतिक पार्टी का प्रभावशाली वरिष्ठ नेतृत्व लोकहित एवं पार्टी हित में सख्त निर्णय लेना चाहे तो राजनीतिक पार्टी की साख बचाव के लिए इन बाहुबलियों को कटप्पा चाहिए” मैं इस बात से सहमत हूं |