क्या रहें जिलें में जीत और हार के बड़े कारण
बून्दी.KrishnakantRathore/ @www.rubarunews.com- राजस्थान विधानसभा के चुनावों के परिणाम जारी होने के बाद बून्दी जिलें की तीनों विधानसभाओं में 46 वर्ष बाद कांग्रेस काबिज हुई। साइलेंट वोटिंग के बाद आमजन और विश्लेषकों के द्वारा 2 अनुपात 1 के जो कयास लगाए जा रहे थे, उनके उलट जिले में तीनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याषियों को सफलता मिली। बून्दी विधानसभा से पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा ने 2018 के चुनाव में 713 वोटों से हुई हार का बदला लेते हुए भाजपा के अशोक डोगरा को 18814 वोटों से षिकस्त दी। वहीं हिण्ड़ोली सीट पर खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना ने जिलें में सबसे बड़े अंतर 45004 वोटों से भाजपा के पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी को मात दी। ऐसे ही केशवराय पाटन से कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सीएल प्रेमी ने भाजपा की चंद्रकांता मेघवाल को 17087 वोटों से हरा कर जीत हासिल की।
बहरहाल जिले की तीनों सीटों बून्दी, हिण्ड़ोली तथा केशवराय पाटन में क्रमशः हरिमोहन शर्मा, अशोक चांदना तथा सीएल प्रेमी कांग्रेस के प्रत्याशियों ने विजय प्राप्त कर ली हैं। हालांकि जिलें में हुई साइलेंट वोटिंग के बाद नेता, कार्यकर्ता सहित आमजन भी परिणामों को लेकर असमंजस में थे और परिणामों को चौंकाने वाला बता रहे थे। परिणामों के बाद जिलें में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण बूथ मैनेजमेंट निकल कर सामने आया, जिसके कारण कांग्रेस तीनों सीटों पर काबिज हो सकी। बून्दी सीट पर 15 साल बाद हरिमोहन शर्मा कांग्रेस से विधायक बने, इससे पूर्व 2003 मे ममता शर्मा कांग्रेस से विधायक रही थी।
हार के बावजूद क्षेत्र में सक्रियता व जातीय समीकरण रही जीत का बड़ा कारण
पिछले 15 सालों बाद बून्दी विधान सभा में कांग्रेस के विधयक बने हरिमोहन शमा र्की जीत के पीछे बड़ा कारण विगत पांच वर्षो में क्षेत्र में सक्रियता रही। 85 वर्शीय शर्मा पिछला चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहे तथा सरकार के साथ तालमेल बना कर अपने संपर्को का लाभ उठा कर क्षेत्र में कई विकस कार्य करवाएं। इन्होंने लोगों को लोककल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित भी करवाया। शर्मा को आमजन और कार्यकर्ताओं के साथ जुडाव, क्षेत्र में सक्रियता, बूथ मैनेजमेंट के साथ अपनी जातीय समीकरणों का लाभ भी इस चुनाव में मिला। साथ ही भाजपा के बागी निर्दलीय रूपेश शर्मा के मैदान में ढटे रहने का सीधा फायदा हरिमोहन शर्मा को मिला। वहीं 15 साल से लगातार विधायक रहे भाजपा के अशोक डोगरा को एंटी एंकमबेंसी का नुकसान उठाना पड़ा। डोगरा द्वारा अपने 15 वर्षों में गिनाने लायक कोई बड़ा कार्य नहीं करवाना, विपक्ष की भूमिका में खरा नहीं उतरना, कार्यकर्ताओं में नाराजगी, संगठन के साथ तालमेल का अभाव भी हार के कारणों में शामिल रहें। बहरहाल अशोक डोगरा की साफ व स्पष्ट छवि होने के बावजूद भाजपा के बागी के रूप में मैदान में डटे रूपेष शर्मा का सीधा सीधा नुकसान अशोका डोगरा को उठाना पड़ा। रूपेश शर्मा के रहने से जातीय समीकरणों के साथ भाजपा के नाराज कार्यकर्ताओं के साथ युवाओं के वोट अशोक डोगरा को नहीं मिल पाएं। वहीं संगठन के साथ तालमेल के अभाव के चलते बूथ मैनेजमेंट भी कमजोर रहा।
5 साल की सक्रियता व विकास कार्य बने जीत के कारण
हिण्ड़ोली विधानसभा क्षेत्र में अषोक चांदना की जीत के पीछे सबसे बडा कारण बूथ मैनेजमंट के साथ उनका युवा तथा बेबाक छवि होना रहा। पिछले 10 वर्शो में करवाए गए विकास कार्य के सहारे अशोक चांदना भाजपा के कद्दावर पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी को शिकस्त देने में कामयाब रहे। अषोक चांदना को आमजन और कार्यकर्ताओं साथ जुडाव, कुशल संवाद, मजबूत टीम और क्षेत्र में पूर्णत सक्रियता भी चांदना को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण रही। वहीं पूर्व मंत्री प्रभु लाल सैनी को टिकट मिलने में देरी होना, समय कम मिलने के साथ पिछले कार्यकाल में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होना भी हार का कारण बनी। साथ ही सैनी को आमजन के साथ कार्यकर्ताओं के साथ संवादहीनता, तालमेल की कमी, क्षेत्र में सक्रियता के अभव के साथ कमजोर बूथ मैनेजमेंट का नुकसान उठाना पड़ा।
जातीय समीकरण के साथ बूथ मैनेजमेंट ने प्रेमी को दिलाई जीत
केशवराय पाटन से 17087 मतों से जीत कर दूसरी बार विधायक बने सीएल प्रेमी को जातीय समीकरण के साथ बूथ मैनेजमेंट का खासा फायदा मिला। यहां पर बागी के स्प में उतरे कांग्रेस के राकेश बोयत कोई खास प्रभाव नहीं दिखा पाएं। सीएल प्रेमी के जिलाध्यक्ष होने के नाते कार्यकर्ताओं पर अच्छी पकड़ बनी रहने से उनके साथ सक्रिय संबंधों का फायदा मिला। वहीं प्रेमी पिछला चुनाव हारने के बाद भी क्षेत्र में में निरन्तर सक्रिय रहें और ग्रामीणों के साथ अच्दे संबंध बनाए रखें। साथ ही जातीय समीकरणों का फायदा मिलने के साथ प्रेमी को पिछले कार्यकाल में करवाएं गए कार्य भी लाभ दें गए। वहीं भाजपा की चन्द्रकांता की हार के पीछे अपने कार्यकाल में क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहने का नुकसान उठाना पड़ा। मेघवाल विधयाक बनने के बाद अधिकांश कोटा और जयपुर में सक्रिय रही, जिसका खामियाजा इन्हे उठाना पड़ा। साथ ही अपनी राजनेतिक जमीन ढूढ़ने के लिए रामगंजमंडी में सक्रिय रहना भी इन्हें नुकसानदेय रहा। कार्यकर्ताओं व आमजन के साथ संवादहीनता और जातीय समीकरणों का अभाव मेघवाल की हार का कारण बनें।
26 प्रत्याशियों में से 19 की जमानत जप्त
जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में हुए चुनाव में 26 प्रत्याशियों में से 19 प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई। बूंदी विधानसभा क्षेत्र से रुपेश शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी ही अपनी जमानत बचा पाए। तीनो विधानसभा क्षेत्रो में भाजपा कांग्रेस प्रत्याशीयों को ही जमानत जप्त होने से अधिक मत प्राप्त हुए। के पाटन विधानसभा क्षेत्र में 6, हिंडोली विधानसभा में 4, बूंदी विधानसभा में 9 प्रत्याशी की जमानत जप्त हुई हैं।