प्रेमऔर आशा का संदेश देते हैं संतोष आनंद के गीत—–उपाध्याय
श्योपुर.Desk/ @www.rubarunews.com- अपने 50 वर्ष के रचनाकाल में संतोष आनंद के गीतों ने तीन पीढ़ियों को अपने काव्य कौशल से प्रभावित किया है उनके गीत लोगों के दिलों को छूते हैं उनके गीतों में प्रेम सतही नहीं दिल की गहराइयों तक पहुंचने वाला है उनका गीत एक प्यार का नगमा है मौजों की रवानी है जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है प्यार को ऊंचाइयां प्रदान करता है वे आशावादी गीतकार हैं जब वे लिखते हैं कुछ पाकर खोना है कुछ खोकर पाना है और अंधेरे में भी मिल रही रोशनी है तो वे लोगों को आशा का संदेश देते हैं वे शब्दों के शिल्पी हैं जब वे लिखते हैं दो पल के जीवन से एक उम्र चुरानी है तो उनका अंदाज ए बयां कुछ छ अलग ही नजर आता है पुरवा सुहानी आई रे में वे प्रकृति के चितेरे नजर आते हैं बाबजूद इसके अपने गीतों से फिल्म जगत को नई ऊर्जा देने वाले इस गीतकार को कलाजगत में वो स्थान नहीं मिल पाया जिसके कि वो हकदार हैं आज जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद ने जिलाधीश व अध्यक्ष आर के श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में कार्यक्रम जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी कहानी है के माध्यम से उन्हें सम्मान देने का प्रयास किया है यह बात अपर कलेक्टर रूपेश उपाध्याय ने मुक्तिबोध वीथिका में महान गीतकार संतोष आनंद के कृतित्व पर आयोजित संगोष्ठी में कहीं उन्होंने बताया कि आगे भी ऐसे सार्थक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा
कला एवं संस्कृति में अभिरुचि रखने वाले नगरसेना के कमांन्डेंट कुलदीप मलिक ने कहा कि कि आज जहां साहित्य और संगीत में सौंदर्य बोध की कमी नजर आती है ऐसे में संतोष आनंद के गीत हमें आश्वस्ति प्रदान करते हैं उनके गीत सीधे लोगों के दिल में उतर जाते हैं उन्होंने प्रेम को बड़े सहज तरीके से अपने गीतों में परिभाषित किया है महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ ओ पी शर्मा का मानना था कि संतोष आनंद के गीतों में जीवन के उतार चढ़ाव,सुख दु:ख आशा निराशा का सार्थक चित्रण है उनके गीत आपको तनाव और निराशा से दूर कर आशा और उल्लास की और ले जाते हैं
महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ नेहा चौहान ने बताया कि मेरी मां संतोष आनंद के गीत गाती थी तो अच्छे तो लगते थे पर मुझे नहीं मालूम था कि ये गीत संतोष जी ने लिखे हैं आज मैं इन गीतों के माध्यम से मां से जुड़ जाती हूं तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है अंधेरों में भी मिलती रोशनी है ये मरे जीवन का आधार है मेरी प्रेरणा है
नेहरू युवा केंद्र के समन्वयक विनोद चतुर्वेदी मानते हैं कि संतोष आनंद के गीतों में प्रेम की पराकाष्ठा है उनके प्रेम में जीवन का दर्शन छिपा है तू मेरा सहारा है मैं तेरा सहारा है में उन्होंने बताया है कि प्रेम ही है जो हमें एक दूसरे से बांधे हुए है
एडीशनल एस पी पी एल कुर्वे तथा एस डी एम नवजीवन पंवार ने भी अपने उद्बोधन में संतोष आनंद के गीतों को सदाबहार बताया तथा कहा कि उनके गीत काव्य कला की गहराइयां लिए हुए हैं यही कारण है कि वे सीधे दिल को छूते हैं
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध गायक सुरेश राय और समन्वयक एन वाय के विनोद चतुर्वेदी ने संतोष आनंद के गीतों का गायन किया उपस्थित अतिथियों का स्वागत मुक्तिबोध वीथिका के प्रभारी आदित्य चौहान ने और आभार प्रदर्शन समाजसेवी कैलाश पाराशर ने किया